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कैसे बढ़ेगा भारतः सरकारी स्कूल के बच्चों का भविष्य अंधेरे में, नहीं चल रही पढ़ाई

कोरोना वायरस के जद में मानव के स्वास्थ्य के साथ-साथ स्कूली बच्चों का भविष्य भी संकट में आ गया है. मार्च से बंद पड़े इन स्कूलों के ताले तो पता नहीं कब खुलेंगे, लेकिन इसके साथ इन बच्चों का शिक्षा भी अंधेरे में खो गई है. पढ़ें पूरी खबर...

राजस्थान सरकारी स्कूल, Rajasthan Government School, Rajasthan School News
बच्चों का भविष्य अंधेरे में
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Published : May 15, 2020, 9:07 PM IST

जयपुर. वैश्विक महामारी से गुजर रहे देश के सामने कई संकट है. केंद्र हो या राज्य सरकार दोनों जन जीवन को पटरी पर लाने के लिए शर्तों के साथ लॉकडाउन में छूट के दायरे को बढ़ा रही है. लेकिन स्कूली शिक्षा को लेकर क्या योजना है, इस पर अभी तस्वीर साफ नहीं है. बता दें कि निजी स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी है, लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थी संसाधन के अभाव में 50 दिन से पढ़ाई से दूर हैं.

बच्चों का भविष्य अंधेरे में

पिछले 52 दिनों से खाली पड़े ये सरकारी स्कूल और गेट पर लगे ये ताले बताने के लिए काफी है कि कोरोना वायरस के जद में मानव के स्वास्थ्य के साथ-साथ स्कूली बच्चों का भविष्य भी संकट में आ गया है. मार्च से बंद पड़े इन स्कूलों के ताले तो पता नहीं कब खुलेंगे, लेकिन इसके साथ इन बच्चों का शिक्षा भी अंधेरे में खो गई है.

राजस्थान सरकारी स्कूल, Rajasthan Government School, Rajasthan School News
स्कूल में लगा ताला

पढ़ाई को लेकर अभिभावक के मन में कई तरह के सवाल

कोविड-19 को लेकर लगाए गए लॉकडाउन का तीसरा फेज जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन 4.0 लागू करने के साफ संकेत दे दिए है. वहीं, प्रदेश की गहलोत सरकार ने 4.0 लॉक डाउन से पहले छूट का दायरा बढ़ा दिया है. लॉकडाउन के बीच राज्य सरकार ने आदेश जारी करते हुए रेस्टोरेंट्स, भोजनालय और मिठाई की दुकानों से होम डिलीवरी शुरू कर दी है. लेकिन शिक्षा को लेकर अभिभावकों के मन मे कई तरह के सवाल हैं.

राजस्थान सरकारी स्कूल, Rajasthan Government School, Rajasthan School News
स्कूल में पसरा सन्नाटा

पढ़ें- टिड्डी टेररः अजमेर पहुंचा टिड्डी दल, उपनिदेशक का दावा- कृषि विस्तारक बनाए हुए हैं नजर

बता दें कि निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है और सुचारु रूप से बच्चों के काम की प्रतिपुष्टि भी कर रहे हैं. वहीं, जो बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं उनके सामने वर्तमान समय में दो वक्त की रोटी का भी संकट है. सरकारी स्कूल में पढ़ रहे ये बच्चे बस इंतजार कर रहे हैं क्योंकि सरकार ने जो भी योजना बनाई वह कारगर साबित नहीं हो पाई. चाहे वह योजना ऑनलाइन शिक्षा सामग्री पहुंचाना हो या आकाशवाणी द्वारा पढ़ाई कराना.

राजस्थान सरकारी स्कूल, Rajasthan Government School, Rajasthan School News
बंद पड़ा स्कूल

सरकार की योजना का धरातल पर कोई असर नहीं

बता दें कि सरकार ने पहले दूरदर्शन के जरिए बच्चों तक एजुकेशन पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन केंद्र और राज्य की राजनीतिक लड़ाई में योजना शुरू भी नहीं हो पाई. इसके बाद प्रदेश सरकार ने रेडियो के जरिए बच्चों को स्कूल ज्ञान देने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन वह भी ऐसा लग रहा है मानो एक औपचारिकता मात्र में चल रही है. सरकार की इस योजना का भी धरातल पर कोई असर नहीं दिख रहा है.

सरकार कर सकती है ऑनलाइन पढ़ाई शुरू

बच्चों के स्कूली भविष्य को लेकर गरीब बच्चों की शिक्षा पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह का कहना है कि सरकार की इच्छा शक्ति हो तो सरकरी स्कूल के बच्चों के लिए पढ़ाई शुरू की जा सकती है. उनका कहना है कि जब निजी स्कूल ऑनलाइन माध्यम से बच्चों की पढ़ाई शुरू कर सकते हैं तो सरकार के पास तो इतना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर है.

मनीषा सिंह का कहना है कि प्रदेश में 85 लाख से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करते हैं, लेकिन पिछले 50 दिन से इन बच्चों की पढ़ाई पूरी तरीके से बंद है. उनका कहना है कि अगले सत्र 10 जुलाई तक इन बच्चों की पढ़ाई का कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है. मनीषा का कहना है कि सत्र के 365 दिनों में से 100 दिन तो बिना किसी अध्ययन के गुजर जाएगा.

पढ़ें- ब्यूटी पार्लर-सैलून पर कोरोना संकटः कामगार बोले- साहब...हम बेरोजगार हो गए

सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि सरकार टीचर्स को कोरोना वॉरियर्स के रूप में काम में ले रही है. सरकार इन टीचर्स के जरिए डोर टू डोर शिक्षा की सामग्री भी पहुंचा सकती थी और अगर ऐसा होता तो इस खाली वक्त में घरों में बैठे बच्चे अपना अध्ययन जारी रख सकते थे.

सरकार बच्चों के लिए कुछ व्यवस्था करें...

मनीषा सिंह का कहना है कि सरकार ने पहले दूरदर्शन के जरिए और फिर अब आकाशवाणी के जरिए बच्चों को पढ़ाने के फार्मूले बता रही है, लेकिन इनमें से कोई भी फार्मूला धरातल पर सफल होता हुआ नजर नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास तो अभी तक पूरी तरीके से पाठ्यक्रम भी नहीं पहुंचा है, ऐसे में सरकार बड़े स्तर पर सरकारी स्कूलों के बच्चों के घर तक स्कूली पाठ्यक्रम पहुंचाने की व्यवस्था करें ताकि बच्चे घर पर अपनी पढ़ाई को जारी रख सकें.

उन्होंने कहा कि सरकार वीडियो के माध्यम से कुछ जरूरी विषयों को TV या यूट्यूब के माध्यम से पढ़ाने पर विचार कर रही है, लेकिन संसाधन के अभाव के कारण कई बच्चे वंचित रह जाएंगे. वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह ने सरकारी स्कूल के बच्चों के पढ़ाई को लेकर कई सुझाव भी दिए.

ये दिए सुझाव

  • सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को अगली कक्षा का कुछ स्टडी मटेरियल पहुंचाना चाहिए.
  • बच्चों को बेसिक स्टेशनरी किट बंटवाई जाए. इसमें कुछ कॉपी, पेन/पेंसिल और गणित, विज्ञान व अंग्रेजी की किताबें हों.
  • बच्चों को किसी पॉजिटिव प्रोडक्टिव शिक्षा संबंधी गतिविधि में लगाया जाए.
  • प्रदेश सरकार भी निजी स्कूल की तरह सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए ठोस कदम उठाए.

जयपुर. वैश्विक महामारी से गुजर रहे देश के सामने कई संकट है. केंद्र हो या राज्य सरकार दोनों जन जीवन को पटरी पर लाने के लिए शर्तों के साथ लॉकडाउन में छूट के दायरे को बढ़ा रही है. लेकिन स्कूली शिक्षा को लेकर क्या योजना है, इस पर अभी तस्वीर साफ नहीं है. बता दें कि निजी स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी है, लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थी संसाधन के अभाव में 50 दिन से पढ़ाई से दूर हैं.

बच्चों का भविष्य अंधेरे में

पिछले 52 दिनों से खाली पड़े ये सरकारी स्कूल और गेट पर लगे ये ताले बताने के लिए काफी है कि कोरोना वायरस के जद में मानव के स्वास्थ्य के साथ-साथ स्कूली बच्चों का भविष्य भी संकट में आ गया है. मार्च से बंद पड़े इन स्कूलों के ताले तो पता नहीं कब खुलेंगे, लेकिन इसके साथ इन बच्चों का शिक्षा भी अंधेरे में खो गई है.

राजस्थान सरकारी स्कूल, Rajasthan Government School, Rajasthan School News
स्कूल में लगा ताला

पढ़ाई को लेकर अभिभावक के मन में कई तरह के सवाल

कोविड-19 को लेकर लगाए गए लॉकडाउन का तीसरा फेज जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन 4.0 लागू करने के साफ संकेत दे दिए है. वहीं, प्रदेश की गहलोत सरकार ने 4.0 लॉक डाउन से पहले छूट का दायरा बढ़ा दिया है. लॉकडाउन के बीच राज्य सरकार ने आदेश जारी करते हुए रेस्टोरेंट्स, भोजनालय और मिठाई की दुकानों से होम डिलीवरी शुरू कर दी है. लेकिन शिक्षा को लेकर अभिभावकों के मन मे कई तरह के सवाल हैं.

राजस्थान सरकारी स्कूल, Rajasthan Government School, Rajasthan School News
स्कूल में पसरा सन्नाटा

पढ़ें- टिड्डी टेररः अजमेर पहुंचा टिड्डी दल, उपनिदेशक का दावा- कृषि विस्तारक बनाए हुए हैं नजर

बता दें कि निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है और सुचारु रूप से बच्चों के काम की प्रतिपुष्टि भी कर रहे हैं. वहीं, जो बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं उनके सामने वर्तमान समय में दो वक्त की रोटी का भी संकट है. सरकारी स्कूल में पढ़ रहे ये बच्चे बस इंतजार कर रहे हैं क्योंकि सरकार ने जो भी योजना बनाई वह कारगर साबित नहीं हो पाई. चाहे वह योजना ऑनलाइन शिक्षा सामग्री पहुंचाना हो या आकाशवाणी द्वारा पढ़ाई कराना.

राजस्थान सरकारी स्कूल, Rajasthan Government School, Rajasthan School News
बंद पड़ा स्कूल

सरकार की योजना का धरातल पर कोई असर नहीं

बता दें कि सरकार ने पहले दूरदर्शन के जरिए बच्चों तक एजुकेशन पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन केंद्र और राज्य की राजनीतिक लड़ाई में योजना शुरू भी नहीं हो पाई. इसके बाद प्रदेश सरकार ने रेडियो के जरिए बच्चों को स्कूल ज्ञान देने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन वह भी ऐसा लग रहा है मानो एक औपचारिकता मात्र में चल रही है. सरकार की इस योजना का भी धरातल पर कोई असर नहीं दिख रहा है.

सरकार कर सकती है ऑनलाइन पढ़ाई शुरू

बच्चों के स्कूली भविष्य को लेकर गरीब बच्चों की शिक्षा पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह का कहना है कि सरकार की इच्छा शक्ति हो तो सरकरी स्कूल के बच्चों के लिए पढ़ाई शुरू की जा सकती है. उनका कहना है कि जब निजी स्कूल ऑनलाइन माध्यम से बच्चों की पढ़ाई शुरू कर सकते हैं तो सरकार के पास तो इतना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर है.

मनीषा सिंह का कहना है कि प्रदेश में 85 लाख से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करते हैं, लेकिन पिछले 50 दिन से इन बच्चों की पढ़ाई पूरी तरीके से बंद है. उनका कहना है कि अगले सत्र 10 जुलाई तक इन बच्चों की पढ़ाई का कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है. मनीषा का कहना है कि सत्र के 365 दिनों में से 100 दिन तो बिना किसी अध्ययन के गुजर जाएगा.

पढ़ें- ब्यूटी पार्लर-सैलून पर कोरोना संकटः कामगार बोले- साहब...हम बेरोजगार हो गए

सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि सरकार टीचर्स को कोरोना वॉरियर्स के रूप में काम में ले रही है. सरकार इन टीचर्स के जरिए डोर टू डोर शिक्षा की सामग्री भी पहुंचा सकती थी और अगर ऐसा होता तो इस खाली वक्त में घरों में बैठे बच्चे अपना अध्ययन जारी रख सकते थे.

सरकार बच्चों के लिए कुछ व्यवस्था करें...

मनीषा सिंह का कहना है कि सरकार ने पहले दूरदर्शन के जरिए और फिर अब आकाशवाणी के जरिए बच्चों को पढ़ाने के फार्मूले बता रही है, लेकिन इनमें से कोई भी फार्मूला धरातल पर सफल होता हुआ नजर नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास तो अभी तक पूरी तरीके से पाठ्यक्रम भी नहीं पहुंचा है, ऐसे में सरकार बड़े स्तर पर सरकारी स्कूलों के बच्चों के घर तक स्कूली पाठ्यक्रम पहुंचाने की व्यवस्था करें ताकि बच्चे घर पर अपनी पढ़ाई को जारी रख सकें.

उन्होंने कहा कि सरकार वीडियो के माध्यम से कुछ जरूरी विषयों को TV या यूट्यूब के माध्यम से पढ़ाने पर विचार कर रही है, लेकिन संसाधन के अभाव के कारण कई बच्चे वंचित रह जाएंगे. वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह ने सरकारी स्कूल के बच्चों के पढ़ाई को लेकर कई सुझाव भी दिए.

ये दिए सुझाव

  • सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को अगली कक्षा का कुछ स्टडी मटेरियल पहुंचाना चाहिए.
  • बच्चों को बेसिक स्टेशनरी किट बंटवाई जाए. इसमें कुछ कॉपी, पेन/पेंसिल और गणित, विज्ञान व अंग्रेजी की किताबें हों.
  • बच्चों को किसी पॉजिटिव प्रोडक्टिव शिक्षा संबंधी गतिविधि में लगाया जाए.
  • प्रदेश सरकार भी निजी स्कूल की तरह सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए ठोस कदम उठाए.
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