जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 ने रिश्वत में अस्मत मांगने के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे आरोपी पूर्व आरपीएस कैलाश बोहरा की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. अर्जी में कहा गया था कि प्रार्थी आरपीएस के पास परिवादी महिला का कोई काम लंबित नहीं था. परिवादी महिला आपराधिक छवि की महिला है, जिसने गत जुलाई माह में अपने होने वाले पति के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था.
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जिसमें प्रार्थी की सिफारिश पर पुलिस ने एक महिला को गिरफ्तार किया था. ऐसे में प्रार्थी पर यह आरोप लगाना गलत है कि उसने परिवादी महिला से रिश्वत की मांग की. गत 14 मार्च को परिवादी महिला ने प्रार्थी को आधा दर्जन मिस कॉल किए थे. इस पर प्रार्थी की ओर से इसका कारण पूछने पर महिला ने मुकदमें के संबंध में मिलकर कुछ दस्तावेज देने की बात कही. लेकिन एसीबी अधिकारियों से मिलीभगत कर प्रार्थी को फंसाया गया.
इसके अलावा प्रार्थी का कमरे से सड़क पर देखने के लिए कांच का बहुत बड़ा पारदर्शी शीशा लगा हुआ है. जिससे चलते यदि कमरे में होने वाली घटना का बाहर से देखा जा सकता है. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि प्रकरण में अनुसंधान चल रहा है. ऐसे में यदि आरोपी को जमानत का लाभ दिया गया तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया.