जयपुर. लिट्रेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन 'ऑफ द पीपल, बाय द पीपल- द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन' पर सैफ महमूद ने लेखक नवीन चावला, माधव खोसला और मार्गरेट अल्वा के साथ चर्चा की. संवाद के दौरान राजस्थान की पूर्व गवर्नर मार्गरेट अल्वा ने CAA और NRC को लेकर जमकर बोला.
उन्होनें कहा कि 1950 से मैं भारतीय नागरिक हूं. लेकिन, आज भारतीय नागरिकता होने की पहचान मांगी जा रही है. आज हमसे कहा जा रहा है कि वोटर आईडी कार्ड भारतीय नागरिकता की पहचान नहीं है. लेकिन, अल्वा ने कहा कि आज जिसके पास भी वोटर आईडी है वो भारतीय नागरिक है.
मैं नहीं दूंगी अपना पहचान पत्र : पूर्व राज्यपाल
अल्वा ने NRC का विरोध करते हुए कहा कि मैं एक भी अधिकारी को अपना पहचान पत्र नहीं दूगी. उन्होंने अमित शाह पर तंज कसते हुए कहा कि अगर आपको मेरी पहचान चाहिए तो यरवडा जेल में जाएं, जहां पर फ्रीडम फाइटर की पहचान है. अल्वा ने कहा कि जो भी आपके घर आपकी पहचान मांगने आता है और पहचान का कोई फॉर्म भरवाता है, मत भरिये.
'राजस्थान सरकार का कदम काबिल-ए-तारीफ'
अल्वा ने राजस्थान सरकार की सराहना करते हुए कहा कि राजस्थान सरकार CAA और NRC के खिलाफ प्रस्ताव लाया रही है, जो तारीफ के काबिल है. अल्वा ने कहा कि हमें हमारे संविधान को खुद बचाना होगा. इसी के साथ उन्होनें ने कहा कि आज देश मे कोई आवाज उठता है तो उसे देशद्रोही माना जाता है, हैदराबाद और कश्मीर में आवाज उठाई गई तो उनको देशद्रोही कह दिया गया. आजकल किसी के खिलाफ बोलना देशद्रोही हो गया है.
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गवर्नर अपनी लक्ष्मण रेखा खुद बनाता है : मार्गरेट अल्वा
कर्नाटक और महाराष्ट्र में जिस तरह से गवर्नर की आजादी पर सवाल खड़े हुए और जिस तरह से गवर्नर के खिलाफ राजनीतिक पार्टियां सुप्रीम कोर्ट गई. इस सवाल पर अल्वा ने कहा कि मैं 4 राज्यों की गवर्नर रही हूं और जब में राजस्थान की गवर्नर थी तब बीजेपी सरकार ने मुझे 2 राज्यों का एडिशनल चार्ज दिया था. मोदी जी ने मुझे गुजरात का एडिशनल चार्ज दिया था और उनको पता है मेरी निष्पक्षता के बारे में.
अल्वा ने कहा कि गवर्नर राष्ट्रपति की ओर से चयनित होता है और गवर्नर अपनी लक्ष्मण रेखा खुद बनाता है, जब मैंने राज्यपाल का चार्ज लिया तब मैंने यही कहा था कि मेरे दरवाजे जनता के लिए हमेशा खुले है. अल्वा ने कहा कि मैंने कभी सरकारों में भेदभाव नहीं किया, बल्कि मैंने जनता के कामों के लिए कांग्रेस पार्टी को भी निशाना बनाया. अल्वा ने कहा कि गवर्नर को निष्पक्ष होना चाहिए नाकि की किसी राजनीतिक पार्टी का एजेंट. अल्वा ने कहा कि गवर्नर संविधान का हिस्सा है और उनके काम की समीक्षा होनी चाहिए.
देश की महिलाएं बढ़ रही आगे
महिला और पुरुष में भेदभाव को लेकर पूछे गए सवाल पर अल्वा ने कहा की राजस्थान सहित कई राज्यों में लंबे समय तक महिलाओं ने घूंघट रखा. लेकिन, संविधान में आए बदलावों के बाद महिलाएं पंचायतों में आने लगी है. 1.5 मिलियन महिलाएं स्थानीय निकायों के लिए निर्वाचित हुई और 5 मिलियन महिलाएं पंचायतों के चुनावों में प्रतिनिधि के रूप में आगे आयी है.
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महिलाओं ने पंचायतों में पानी, शौचालय और आंगनबाड़ी जैसी सुविधाओं की मांग की और आज महिलाएं की आवाज विकास की दिशा में आगे बढ़ी है. लेकिन, पुरुषों ने पंचायतों में सिर्फ सड़क और पंचायत भवन निर्माण का ही विकास किया. पंचायतों में महिलाओं ने लोगों के लिए काम किया है जो गर्व की बात है.
अल्वा ने कहा कि दुनियाभर में आज भी महिला और पुरुष में भेदभाव किया जाता है. हम भी बेटी बेटा में भेदभाव करते है. लेकिन, लोगों के सामने नहीं बताते. अल्वा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं का रहन सहन अब बदलने लगा है, जो हमारे देश के लिए बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि सीएए से कोई परेशानी नहीं है. लेकिन, मुद्दा समावेश और बहिष्कार को लेकर है, मुद्दा धार्मिक अत्यचार को लेकर है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के अहमदियास को क्यों नहीं शामिल किया जा रहा. मुद्दा कई पड़ोसी देशों के लोगों को नागरिकता देना है और कई पड़ोसी देशों को नहीं. उन्होंने कहा कि इसमें कोई समझदारी नहीं है.