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पाैंडरिक पार्क में पार्किंग के विरुद्ध पूर्व विधायक और विकास समिति भी पहुंची हाइकोर्ट - Rajasthan High Court News

जयपुर शहर के पौंडरिक पार्क की जगह पर पार्किंग प्रोजेक्ट बनाए जाने के खिलाफ दायर अधिवक्ता प्रतीक खंडेलवाल की पीआईएल पर राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी. पीआईएल में पौंडरिक पार्क की जमीन पर पार्किंग प्रोजेक्ट पर रोक लगाने और पूरे प्रोजेक्ट को रद्द करने की गुहार की गई है.

Jaipur News,  Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Feb 5, 2021, 4:18 AM IST

जयपुर. शहर के पौंडरिक पार्क की जगह पर पार्किंग प्रोजेक्ट बनाए जाने के खिलाफ दायर अधिवक्ता प्रतीक खंडेलवाल की पीआईएल पर हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी. वहीं, पूर्व एमएलए सुरेन्द्र पारीक और पौंडरिक पार्क विकास समिति की ओर से भी पीआईएल दायर की गई है.

इन पीआईएल में पौंडरिक पार्क की जमीन पर पार्किंग प्रोजेक्ट पर रोक लगाने और पूरे प्रोजेक्ट को रद्द करने की गुहार की गई है. याचिका में राज्य सरकार, नगर निगम ग्रेटर, हेरिटेज और जिला प्रशासन सहित अन्य को पक्षकार बनाया है. वहीं, राज्य सरकार ने भी मामले में किसी भी तरह के आदेश से पहले उनका पक्ष जानने के लिए कैवियट दायर की है.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अवैध खनन को लेकर जनहित याचिका, केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी

पीआईएल में कहा है कि पौंडरिक पार्क शहर की विरासत है और आमजन की भावनाएं इससे जुड़ी हुई हैं. ब्रह्मपुरी रिहायशी क्षेत्र है और वहां पर किसी पार्किंग जगह की जरूरत ही नहीं है. लोगों का पार्क की जमीन पर अधिकार है. यदि नगर निगम को पार्किंग बनानी भी है तो पास के नाले के ऊपर बनाई जा सकती है.

पूर्व महापौर ने इस पार्क को किड्स जोन बनाने के लिए कहा था, लेकिन अब मौजूदा राज्य सरकार ने वह प्लान ही बदल दिया है. जबकि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट कई मामलों में कह चुके हैं कि पार्क और ओपन स्पेस के स्वरूप में बदलाव नहीं किया जा सकता. यदि सरकार ने पार्क या ओपन स्पेस के मौजूदा स्वरूप में बदलाव भी कर दिया है तो उसे वापस पुरानी स्थिति में ही लाना होगा. ऐसे में राज्य सरकार और नगर निगम को पौंडरिक पार्क में पार्किंग प्रोजेक्ट की मंजूरी नहीं दी जा सकती.

रामनिवास बाग में ही नहीं हो रही पार्किंग

पीआईएल में रामनिवास की पार्किंग का हवाला देते हुए कहा कि वहां पर ही वाहनों की पार्किंग नहीं हो पा रही है. इसके अलावा रामनिवास बाग में पार्किंग प्रोजेक्ट से पहले सरकार ने यह दावा किया था कि इसे पार्किंग प्रोजेेक्ट के बाद पुराने स्वरूप में ला दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और रामनिवास बाग आज भी पुराने स्वरूप में नहीं आ पाया है. ऐसे में आमजन के हित को देखते हुए हाईकोर्ट राज्य सरकार और नगर निगम को निर्देश दें कि वह पार्क के मौजूदा स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं करें.

जयपुर. शहर के पौंडरिक पार्क की जगह पर पार्किंग प्रोजेक्ट बनाए जाने के खिलाफ दायर अधिवक्ता प्रतीक खंडेलवाल की पीआईएल पर हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी. वहीं, पूर्व एमएलए सुरेन्द्र पारीक और पौंडरिक पार्क विकास समिति की ओर से भी पीआईएल दायर की गई है.

इन पीआईएल में पौंडरिक पार्क की जमीन पर पार्किंग प्रोजेक्ट पर रोक लगाने और पूरे प्रोजेक्ट को रद्द करने की गुहार की गई है. याचिका में राज्य सरकार, नगर निगम ग्रेटर, हेरिटेज और जिला प्रशासन सहित अन्य को पक्षकार बनाया है. वहीं, राज्य सरकार ने भी मामले में किसी भी तरह के आदेश से पहले उनका पक्ष जानने के लिए कैवियट दायर की है.

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पीआईएल में कहा है कि पौंडरिक पार्क शहर की विरासत है और आमजन की भावनाएं इससे जुड़ी हुई हैं. ब्रह्मपुरी रिहायशी क्षेत्र है और वहां पर किसी पार्किंग जगह की जरूरत ही नहीं है. लोगों का पार्क की जमीन पर अधिकार है. यदि नगर निगम को पार्किंग बनानी भी है तो पास के नाले के ऊपर बनाई जा सकती है.

पूर्व महापौर ने इस पार्क को किड्स जोन बनाने के लिए कहा था, लेकिन अब मौजूदा राज्य सरकार ने वह प्लान ही बदल दिया है. जबकि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट कई मामलों में कह चुके हैं कि पार्क और ओपन स्पेस के स्वरूप में बदलाव नहीं किया जा सकता. यदि सरकार ने पार्क या ओपन स्पेस के मौजूदा स्वरूप में बदलाव भी कर दिया है तो उसे वापस पुरानी स्थिति में ही लाना होगा. ऐसे में राज्य सरकार और नगर निगम को पौंडरिक पार्क में पार्किंग प्रोजेक्ट की मंजूरी नहीं दी जा सकती.

रामनिवास बाग में ही नहीं हो रही पार्किंग

पीआईएल में रामनिवास की पार्किंग का हवाला देते हुए कहा कि वहां पर ही वाहनों की पार्किंग नहीं हो पा रही है. इसके अलावा रामनिवास बाग में पार्किंग प्रोजेक्ट से पहले सरकार ने यह दावा किया था कि इसे पार्किंग प्रोजेेक्ट के बाद पुराने स्वरूप में ला दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और रामनिवास बाग आज भी पुराने स्वरूप में नहीं आ पाया है. ऐसे में आमजन के हित को देखते हुए हाईकोर्ट राज्य सरकार और नगर निगम को निर्देश दें कि वह पार्क के मौजूदा स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं करें.

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