जयपुर. पंजाब के भगवंत मान सरकार का One Legislator One Pension रूल भाजपा के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा को रास आ गया है (Ahuja Praises Aap). इतना कि वो इसे राजस्थान में भी लागू कराने की सिफारिश कर रहे हैं. आहूजा ने भी गहलोत सरकार से पूर्व विधायकों को एक ही बार की पेंशन दिए जाने की मांग की है. साथ ही पूर्व विधायकों से आग्रह किया है कि वो चाहें कितने भी बार पहले विधायक रह चुके हों लेकिन पेंशन एक ही बार के पूर्व विधायक के नाते लें.
दरअसल वर्तमान में जो नेता जितनी बार विधायक बनता है उसे उतनी बार के पूर्व विधायक के तौर पर पेंशन मिलता है. अब पंजाब सरकार ने अपने सूबे में यह व्यवस्था बदलते हुए पूर्व विधायकों के लिए एक बार की ही पेंशन दिए जाने की व्यवस्था कर दी है. पूर्व विधायकों की पेंशन के फॉर्मूले में बदलाव को ही आहूजा ने सराहा है. उन्होंने इच्छा जताई है कि इस रूल को राजस्थान में भी अमल में लाया जाए. ज्ञानदेव आहूजा के अनुसार हम जनसेवक हैं. ऐसे में यदि पूर्व विधायक के नाते हर बार के अलग-अलग पेंशन लें तो यह उचित नहीं होगा. ऐसे में सभी पूर्व विधायकों को इस दिशा में जनहित को ध्यान रखते हुए सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए.
राजस्थान में पूर्व विधायकों पेंशन कितनी?: राजस्थान में बरसों से चले आ रहे पेंशन के गणित को समझते हैं. तो यहां अगर किसी विधायक ने 5 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है तो उसे हर महीने 35 हजार रुपए पेंशन के रूप में मिलते हैं. अगर कोई दूसरी बार विधायक बनता है और अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करता है तो इन पांच साल के दौरान हर महीने के हिसाब से उसे 16 सौ रुपए और मिलता है यानी दो कार्यकाल पूरा करने के बाद उसे हर महीने 43 हजार रुपए मिलने तय हैं. अगर माननीय 70 साल के पार हैं तो इसमें 20% की वृद्धि होती है और 80 वर्ष का होने पर यह 30% और बढ़ जाता है. वहीं, उप चुनाव में जीते विधायकों को उनकी शपथ लेने की तारीख से विधानसभा खत्म होने के पीरियड को 5 साल मानकर पेंशन दिए जाने का प्रावधान है.