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बजट से वनकर्मी निराश, कहा- वन विभाग को लेकर कोई भी ठोस घोषणा नहीं

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Published : Feb 21, 2020, 10:49 AM IST

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 20 फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विधानसभा में बजट पेश किया. उन्होंने इस बजट को 7 संकल्पों पर आधारित बताया. लेकिन इस बजट में वन विभाग को लेकर कोई भी ठोस घोषणा नहीं की गई.

बजट से वनकर्मी हुए निराश, Forest workers disappointed by budget
बजट से वनकर्मी हुए निराश

जयपुर. प्रदेश में गुरुवार को गहलोत सरकार का दूसरा बजट पेश किया गया. बजट में कई घोषणाएं की गईं लेकिन वन विभाग के बारे में कोई जिक्र नहीं हुआ. जिसके कारण वनकर्मी निराश नजर आए. वन कर्मियों ने कहा कि पूरे बजट में वन्यजीवों का नाम ही नहीं लिया गया. बजट में ना तो वन्यजीवों के लिए कोई घोषणा हुई है, ना वन्यजीव सुरक्षा के लिए संसाधनों का जिक्र किया और ना ही वर्षों से खाली पड़े पदों को भरने के लिए घोषणा हुई.

बजट से वनकर्मी हुए निराश

ऑल इंडिया फॉरेस्ट ऑफिसर फेडरेशन के वाइस चेयरमैन और राजस्थान वन अधीनस्थ कर्मचारी संघ के प्रदेश संयोजक बनवारी लाल शर्मा ने बताया, वनों में बढ़ते हुए अपराध और घटते हुए सुरक्षा बल पर बजट में कोई फोकस नहीं किया गया है. जब की बजट से उम्मीद थी कि बढ़ते हुए अपराधों को रोकने के लिए संसाधन मुहैया होंगे. साथ ही रिक्त पदों पर वन कर्मियों की भर्ती होगी. जानकारी के अनुसार करीब 2000 से ज्यादा वन कर्मियों के पद खाली हैं. 200 पद फॉरेस्टर के खाली हैं, 100 से ज्यादा एसीएफ के पद रिक्त पड़े हुए हैं. साथ ही रेंजर्स के पद भी खाली पड़ी हैं. लेकिन वन विभाग में खाली बड़े पदों के बारे में कोई घोषणा नहीं की गई है.

पढ़ें: 7 संकल्पों पर आधारित बजट 2020-21 पर क्या कहते हैं सीए, जानिए...

उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार के इस बजट को देखकर लगता है कि बजट में वनों के नाम से मात्र तीन घोषणाए की गई हैं. जिसमें गुरु नानक 550 की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष में पार्क विकसित करने की घोषणा की गई है. दूसरा वन निगम बनाने की बात कही गई है और पर्यावरण नीति बनाने की भी घोषणा की गई है. इसमें वनों के प्रति और वनों की सुरक्षा करने वाले वन कर्मियों के प्रति किसी प्रकार की कोई ठोस घोषणा नहीं की गई. जबकि वन अपराधों को रोकने के लिए संसाधनों की घोषणा होनी चाहिए थी.जिन रेंजों में वाहनों की कमी है, वहां पर वाहन उपलब्ध होने चाहिए थे.

बनवारी लाल शर्मा ने कहा कि इस बार के बजट में वन्यजीव शब्द भी नहीं है. पूरे बजट में कहीं पर भी वन्यजीवों का नाम नहीं लिया गया. वन्यजीव अभ्यारणों में पैंथर और टाइगर प्रोजेक्ट और वन्यजीवों के लिए जंगलों में पानी और खाने की व्यवस्था उपलब्ध कराने की भी जरूरत है. वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए संसाधनों की भी आवश्यकता है. जिनका पूरे बजट में कोई जिक्र नहीं किया गया है.

जयपुर. प्रदेश में गुरुवार को गहलोत सरकार का दूसरा बजट पेश किया गया. बजट में कई घोषणाएं की गईं लेकिन वन विभाग के बारे में कोई जिक्र नहीं हुआ. जिसके कारण वनकर्मी निराश नजर आए. वन कर्मियों ने कहा कि पूरे बजट में वन्यजीवों का नाम ही नहीं लिया गया. बजट में ना तो वन्यजीवों के लिए कोई घोषणा हुई है, ना वन्यजीव सुरक्षा के लिए संसाधनों का जिक्र किया और ना ही वर्षों से खाली पड़े पदों को भरने के लिए घोषणा हुई.

बजट से वनकर्मी हुए निराश

ऑल इंडिया फॉरेस्ट ऑफिसर फेडरेशन के वाइस चेयरमैन और राजस्थान वन अधीनस्थ कर्मचारी संघ के प्रदेश संयोजक बनवारी लाल शर्मा ने बताया, वनों में बढ़ते हुए अपराध और घटते हुए सुरक्षा बल पर बजट में कोई फोकस नहीं किया गया है. जब की बजट से उम्मीद थी कि बढ़ते हुए अपराधों को रोकने के लिए संसाधन मुहैया होंगे. साथ ही रिक्त पदों पर वन कर्मियों की भर्ती होगी. जानकारी के अनुसार करीब 2000 से ज्यादा वन कर्मियों के पद खाली हैं. 200 पद फॉरेस्टर के खाली हैं, 100 से ज्यादा एसीएफ के पद रिक्त पड़े हुए हैं. साथ ही रेंजर्स के पद भी खाली पड़ी हैं. लेकिन वन विभाग में खाली बड़े पदों के बारे में कोई घोषणा नहीं की गई है.

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उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार के इस बजट को देखकर लगता है कि बजट में वनों के नाम से मात्र तीन घोषणाए की गई हैं. जिसमें गुरु नानक 550 की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष में पार्क विकसित करने की घोषणा की गई है. दूसरा वन निगम बनाने की बात कही गई है और पर्यावरण नीति बनाने की भी घोषणा की गई है. इसमें वनों के प्रति और वनों की सुरक्षा करने वाले वन कर्मियों के प्रति किसी प्रकार की कोई ठोस घोषणा नहीं की गई. जबकि वन अपराधों को रोकने के लिए संसाधनों की घोषणा होनी चाहिए थी.जिन रेंजों में वाहनों की कमी है, वहां पर वाहन उपलब्ध होने चाहिए थे.

बनवारी लाल शर्मा ने कहा कि इस बार के बजट में वन्यजीव शब्द भी नहीं है. पूरे बजट में कहीं पर भी वन्यजीवों का नाम नहीं लिया गया. वन्यजीव अभ्यारणों में पैंथर और टाइगर प्रोजेक्ट और वन्यजीवों के लिए जंगलों में पानी और खाने की व्यवस्था उपलब्ध कराने की भी जरूरत है. वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए संसाधनों की भी आवश्यकता है. जिनका पूरे बजट में कोई जिक्र नहीं किया गया है.

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