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विधानसभा में वन मंत्री बोले- जंगलात भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए सक्षम न्यायालय में अपील करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया

वन मंत्री हेमाराम चौधरी (Hemaram Chaudhary in the Rajasthan Assembly) ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि जंगलात की भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए सक्षम न्यायालय में अपील करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और केवल पत्र लिखते रहे. जिससे कोई समाधान नहीं हो पाया.

Hemaram Chaudhary in the Rajasthan Assembly
Hemaram Chaudhary in the Rajasthan Assembly
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Published : Mar 23, 2022, 10:01 PM IST

जयपुर. वन मंत्री हेमाराम चौधरी (Hemaram Chaudhary in the Rajasthan Assembly) ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि विधानसभा क्षेत्र बहरोड़ में नीमराणा फोर्ट के पास स्थित वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए सक्षम न्यायालय में अपील की जाएगी. चौधरी शून्यकाल के दौरान बलजीत यादव की ओर से इस संबंध में लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे.

वन मंत्री ने कहा कि सहायक भू प्रबंधन अधिकारी ने 1984 में यहां 4.75 हैक्टेयर वन भूमि निजी व्यक्ति के नाम से करना मानते हुए निर्णय दिया. उसके बाद से यह मामला चल रहा है और कई बार जिला कलक्टर के साथ पत्राचार किए गए. उन्होंने कहा कि यह प्रकरण एलआरए एक्ट की धारा 91 के तहत विचाराधीन है. जंगलात की भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए सक्षम न्यायालय में अपील करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और केवल पत्र लिखते रहे. जिससे कोई समाधान नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि अब विभागीय अधिकारियों को निर्देशित कर सक्षम न्यायालय में अपील की जाएगी और कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

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इससे पहले उन्होंने अपने लिखित वक्तव्य में बताया कि विधानसभा क्षेत्र बहरोड़ में होटल नीमराणा फोर्ट पैलेस के प्रबंधन द्वारा वर्ष 2009 में होटल के पूर्वी दिशा में पहाड़ के ऊपर लोहे के पांच पिलर्स लगाकर उन पर स्टील वायर डालकर रोप-वे बनाया गया. इसकी जांच उप जिला कलक्टर बहरोड, सहायक वन संरक्षक अलवर, तहसीलदार अलवर की मौजूदगी में 12 दिसम्बर 2011 को राजस्व विभाग एवं वन विभाग के तकनीकी कार्मिकों की ओर से संयुक्त रूप से सर्वे कर की गई. जांच में पाया गया कि नीमराणा महल का निर्मित क्षेत्र खसरा नंबर 506 गैर मुमकिन आबादी में स्थित है. साथ ही लगभग 0.08 हैक्टेयर क्षेत्र खसरा नंबर 505/593 में स्थित है. महल के दक्षिण-पूर्वी कोने पर स्थित रोप वे के पिलर खसरा नंबर 505/593 में स्थित है. शेष सभी रोप वे के पिलर जो महल के उत्तर की तरफ हैं, वे जंगलात विभाग की भूमि में स्थित हैं.

वनमंत्री चौधरी ने बताया कि ग्राम नीमराणा के हाल खसरा नंबर 505/593 जिसका गत खसरा नंबर 259 रकबा 44 बीघा 02 बिस्वा था का वर्ष 1984 से पूर्व वन विभाग के नाम राजस्व अभिलेखों में अंकन था. भू-प्रबंध कार्रवाई के दौरान तत्कालीन सहायक भू-प्रबंध अधिकारी की ओर से मिस्ल नम्बर 1186/84 निर्णय 1 दिसम्बर 1984 से गत खसरा नंबर 259 से बने हाल खसरा नंबर 505 रकबा 10.93 हैक्टेयर में से 4.75 हैक्टेयर रकबा कम कर नवीन खसरा नंबर 505/593 कायम कर भूतपूर्व नरेश नीमराणा राजेन्द्र सिंह चौहान पुत्र उमराव सिंह चौहान के नाम दर्ज किया गया. उन्होंने बताया कि वर्तमान में उक्त खसरा नंबर की 4.75 हैक्टेयर भूमि मैसर्स देहली वेयर हाऊस प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली डायरेक्टर अमरनाथ के नाम अंकित है.

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वन मंत्री ने बताया कि सहायक भू-प्रबंध अधिकारी की ओर से वन भूमि को हस्तांतरित किए जाने के सम्बंध में वन विभाग की ओर से 18 अक्टूबर 2011, 23 अगस्त 2013, 6 अगस्त 2015, 27 अगस्त 2018, 19 मार्च 2021 को जिला कलक्टर, अलवर को लिखा गया. इसमें बताया गया कि वर्ष 1984 में भू-प्रबंध संक्रियाओं के दौरान वन भूमि को अन्य व्यक्ति के नाम दर्ज करना वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों का सरासर उल्लंघन है. साथ ही प्रकरण 202/95 में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से पारित निर्णय 12 दिसम्बर 1996 एवं इस क्रम में राज्य सरकार की ओर से जारी परिपत्र 14 दिसम्बर 2001 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से जिला कलेक्टर अलवर को उक्त भूमि को वन विभाग के नाम वापस दर्ज कराने की व्यवस्था करने के लिए लिखा गया. यह भी लिखा गया है कि सम्बन्धित लोक सेवकों के विरूद्ध वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानानुसार प्रकरण दर्ज करने के लिए वन विभाग की ओर से बाध्य होना पड़ेगा.

उन्होंने बताया कि कलेक्टर अलवर ने भू-प्रबन्ध अधिकारी, अलवर को 6 दिसम्बर 2013 एवं 24 फरवरी 2014 से वांछित कार्यवाही करने के निर्देश दिए. प्रभारी अधिकारी (भू.अ.) अलवर की ओर से 12 दिसम्बर, 2018 को पत्र लिखकर तहसीलदार नीमराणा को जांच करने के लिए निर्देशित किया गया. चौधरी ने बताया कि न्यायालय सहायक वन संरक्षक अलवर में नीमराणा महल संबंधित एलआरए की धारा 91 के तहत प्रकरण 1 जनवरी 2020 को दर्ज किया गया. उक्त प्रकरण में कार्रवाई प्रगति पर है. जिसकी आगामी पेशी 6 अप्रेल 2022 को होनी है.

जयपुर. वन मंत्री हेमाराम चौधरी (Hemaram Chaudhary in the Rajasthan Assembly) ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि विधानसभा क्षेत्र बहरोड़ में नीमराणा फोर्ट के पास स्थित वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए सक्षम न्यायालय में अपील की जाएगी. चौधरी शून्यकाल के दौरान बलजीत यादव की ओर से इस संबंध में लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे.

वन मंत्री ने कहा कि सहायक भू प्रबंधन अधिकारी ने 1984 में यहां 4.75 हैक्टेयर वन भूमि निजी व्यक्ति के नाम से करना मानते हुए निर्णय दिया. उसके बाद से यह मामला चल रहा है और कई बार जिला कलक्टर के साथ पत्राचार किए गए. उन्होंने कहा कि यह प्रकरण एलआरए एक्ट की धारा 91 के तहत विचाराधीन है. जंगलात की भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए सक्षम न्यायालय में अपील करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और केवल पत्र लिखते रहे. जिससे कोई समाधान नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि अब विभागीय अधिकारियों को निर्देशित कर सक्षम न्यायालय में अपील की जाएगी और कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

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इससे पहले उन्होंने अपने लिखित वक्तव्य में बताया कि विधानसभा क्षेत्र बहरोड़ में होटल नीमराणा फोर्ट पैलेस के प्रबंधन द्वारा वर्ष 2009 में होटल के पूर्वी दिशा में पहाड़ के ऊपर लोहे के पांच पिलर्स लगाकर उन पर स्टील वायर डालकर रोप-वे बनाया गया. इसकी जांच उप जिला कलक्टर बहरोड, सहायक वन संरक्षक अलवर, तहसीलदार अलवर की मौजूदगी में 12 दिसम्बर 2011 को राजस्व विभाग एवं वन विभाग के तकनीकी कार्मिकों की ओर से संयुक्त रूप से सर्वे कर की गई. जांच में पाया गया कि नीमराणा महल का निर्मित क्षेत्र खसरा नंबर 506 गैर मुमकिन आबादी में स्थित है. साथ ही लगभग 0.08 हैक्टेयर क्षेत्र खसरा नंबर 505/593 में स्थित है. महल के दक्षिण-पूर्वी कोने पर स्थित रोप वे के पिलर खसरा नंबर 505/593 में स्थित है. शेष सभी रोप वे के पिलर जो महल के उत्तर की तरफ हैं, वे जंगलात विभाग की भूमि में स्थित हैं.

वनमंत्री चौधरी ने बताया कि ग्राम नीमराणा के हाल खसरा नंबर 505/593 जिसका गत खसरा नंबर 259 रकबा 44 बीघा 02 बिस्वा था का वर्ष 1984 से पूर्व वन विभाग के नाम राजस्व अभिलेखों में अंकन था. भू-प्रबंध कार्रवाई के दौरान तत्कालीन सहायक भू-प्रबंध अधिकारी की ओर से मिस्ल नम्बर 1186/84 निर्णय 1 दिसम्बर 1984 से गत खसरा नंबर 259 से बने हाल खसरा नंबर 505 रकबा 10.93 हैक्टेयर में से 4.75 हैक्टेयर रकबा कम कर नवीन खसरा नंबर 505/593 कायम कर भूतपूर्व नरेश नीमराणा राजेन्द्र सिंह चौहान पुत्र उमराव सिंह चौहान के नाम दर्ज किया गया. उन्होंने बताया कि वर्तमान में उक्त खसरा नंबर की 4.75 हैक्टेयर भूमि मैसर्स देहली वेयर हाऊस प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली डायरेक्टर अमरनाथ के नाम अंकित है.

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वन मंत्री ने बताया कि सहायक भू-प्रबंध अधिकारी की ओर से वन भूमि को हस्तांतरित किए जाने के सम्बंध में वन विभाग की ओर से 18 अक्टूबर 2011, 23 अगस्त 2013, 6 अगस्त 2015, 27 अगस्त 2018, 19 मार्च 2021 को जिला कलक्टर, अलवर को लिखा गया. इसमें बताया गया कि वर्ष 1984 में भू-प्रबंध संक्रियाओं के दौरान वन भूमि को अन्य व्यक्ति के नाम दर्ज करना वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों का सरासर उल्लंघन है. साथ ही प्रकरण 202/95 में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से पारित निर्णय 12 दिसम्बर 1996 एवं इस क्रम में राज्य सरकार की ओर से जारी परिपत्र 14 दिसम्बर 2001 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से जिला कलेक्टर अलवर को उक्त भूमि को वन विभाग के नाम वापस दर्ज कराने की व्यवस्था करने के लिए लिखा गया. यह भी लिखा गया है कि सम्बन्धित लोक सेवकों के विरूद्ध वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानानुसार प्रकरण दर्ज करने के लिए वन विभाग की ओर से बाध्य होना पड़ेगा.

उन्होंने बताया कि कलेक्टर अलवर ने भू-प्रबन्ध अधिकारी, अलवर को 6 दिसम्बर 2013 एवं 24 फरवरी 2014 से वांछित कार्यवाही करने के निर्देश दिए. प्रभारी अधिकारी (भू.अ.) अलवर की ओर से 12 दिसम्बर, 2018 को पत्र लिखकर तहसीलदार नीमराणा को जांच करने के लिए निर्देशित किया गया. चौधरी ने बताया कि न्यायालय सहायक वन संरक्षक अलवर में नीमराणा महल संबंधित एलआरए की धारा 91 के तहत प्रकरण 1 जनवरी 2020 को दर्ज किया गया. उक्त प्रकरण में कार्रवाई प्रगति पर है. जिसकी आगामी पेशी 6 अप्रेल 2022 को होनी है.

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