जयपुर. वन विभाग अब तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ के पौधे तैयार कर हर परिवार तक पहुंचाया जाएगा. पहले चरण में 5 करोड़ पौधे बांटे जाएंगे. वन और आयुर्वेद विभाग ने तय किया है कि वह एक परिवार को चार प्रकार के 8 पौधे निशुल्क देंगे. हर व्यक्ति को इन पौधों का महत्व भी बताया जाएगा. पहले चरण में तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ के औषधि पौधे बांटे जाएंगे. बारिश के सीजन में वन विभाग हर जिले में पौधे तैयार करेगा. जिन्हें घर-घर में बांटा जाएगा.
वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक दीप नारायण पांडे ने बताया कि घर-घर औषधि योजना सरकार की महत्वपूर्ण योजना है. जिसमें एक तरफ वनों में पाए जाने वाली औषधीय प्रजातियों का संरक्षण होगा. दूसरी ओर राजस्थान के नागरिकों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. इस तरह के औषधीय पौधे हर घर में लगाए जाने चाहिए जो उन घरों
में पीढ़ियों तक चलते रहे. शोध पत्रों से स्पष्ट है कि तुलसी, कालमेघ, अश्वगंधा और गिलोय काफी हद तक कोरोना संक्रमित होने से बचाव करते हैं.
संक्रमित हो जाने पर पक्की तौर पर पेथोजेनेसिस को रोकने में सहायक है. वेदों की सलाह से इन औषधियों का प्रयोग बीमारी की तीव्रता को ज्यादा नहीं बढ़ने देता है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक दीप नारायण पांडे ने सभी किसानों से आग्रह करते हुए कहा कि एक मुट्ठी बीज इस योजना के लिए जरूर दान करें. राजस्थान के किसानों से जो एक एक मुट्ठी बीज मिलेगा, उससे घर-घर औषधि योजना के लिए पौधे तैयार किए जाएंगे.
जानकारी के अनुसार वन विभाग की 550 से अधिक नर्सरियों में इन पौधों को तैयार किया जाएगा. इस योजना की शुरुआत जुलाई से होगी. योजना 5 साल के लिए लागू होगी. इसके प्रसार के लिए हर साल वन विभाग की ओर से होने वाले महोत्सव की थीम घर-घर औषधि योजना रहेगी. इससे औषधि योजना का प्रचार प्रसार होगा. इसके साथ ही सोशल मीडिया समेत अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से इसका प्रचार प्रसार किया जाएगा.
इस योजना में वन विभाग के साथ आयुर्वेद जिला प्रशासन, कृषि, पर्यावरण, नगरीय विकास एवं आवासन, पंचायती राज पशुपालन, स्वास्थ्य शासन, महिला एवं बाल विकास, जनजाति क्षेत्रीय विकास, उद्योग, शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, कृषि अनुसंधान केंद्र समेत अन्य विभाग भी सहयोग करेंगे.