जयपुर. प्रदेश में वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. लगातार वन्यजीवों के शिकार के मामले सामने आ रहे हैं. वन्यजीवों के शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है. वन विभाग की मुखिया प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रुति शर्मा ने वन क्षेत्र में बढ़ती शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए प्रदेश में 28 फरवरी 2021 तक के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया है. रेड अलर्ट के दौरान राजस्थान के सभी राष्ट्रीय अभ्यारण, टाइगर पार्क, वन संरक्षित क्षेत्र और जंगलों में सघन चेकिंग अभियान चलाया जाएगा. अभियान में सभी टेरिटोरियल अधिकारी और वन विभाग के कर्मचारियों को भी शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं.
रेड अलर्ट के दौरान वन विभाग के सभी फील्ड कर्मचारियों का अवकाश भी रद्द कर दिया गया है. अवकाश पर गए कर्मचारियों के भी अवकाश तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए गए हैं. विशेष परिस्थिति यानी फील्ड स्टाफ के माता पिता की मृत्यु होने, पुत्र-पुत्री या स्वयं का विवाह होने, स्वयं या पत्नी के गंभीर बीमार होने यानी ज्यादा इमरजेंसी कार्य होने पर ही अवकाश स्वीकृत किया जाएगा. वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को रेड अलर्ट के दौरान शिकारियों की धरपकड़ अभियान में गंभीरता से कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं. सरिस्का टाइगर रिजर्व शिकारियों के कहर से बर्बाद हो चुका है अब शिकारियों की नजर रणथंबोर पर भी पड़ गई है.
शिकारी फंदा लगाकर वन्यजीवों का शिकार करने की जुगत में लगे हैं. टाइगर टी-108 के गले में फंदा लटका हुआ कैमरा ट्रैप में साफ नजर आया है. हालांकि वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइज करके टाइगर के गले से फंदा हटा दिया है. वन विभाग की मुखिया प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रुति शर्मा के मुताबिक रणथंभौर बाघ परियोजना क्षेत्र के फलौदी रेंज में देवपुरा बांध के पास कैमरा ट्रैप में नर बाघ के गले में एक तार फंसा हुआ नजर आया है. पहले भी रणथंभौर बाघ परियोजना में शिकारियों द्वारा लगाए गए फंदे से गाय भैंस के फंसने की जानकारियां प्राप्त हो रही है. हाल ही में माउंट आबू वन्यजीव अभ्यारण में एक सांभर के शिकार की घटना सामने आई है, जिसमें पांच शिकारियों को गिरफ्तार किया गया है.
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सभी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रदेश में फरवरी 2021 तक रेड अलर्ट घोषित किया गया है. सभी वन अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि रेड अलर्ट के दौरान सभी राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व, वन्यजीव अभ्यारण समेत वन क्षेत्रों में शिकारियों की गहन तलाशी के लिए सघन अभियान चलाया जाए. आवश्यकता होने पर स्थानीय प्रशासन का सहयोग लेकर शिकारियों को पकड़ने की कार्रवाई की जाए. गश्ती दल द्वारा संरक्षित क्षेत्रों में और वन क्षेत्रों में अवैध गतिविधियों की रोकथाम के लिए निरंतर गश्त करवाई जाए.