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गहलोत 'राज' 1 साल: वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई से खास बातचीत

राजस्थान में गहलोत सरकार को एक साल होने जा रहा है. ऐसे में वन एवं पर्यावरण विभाग में क्या-क्या काम हुए, इसकी जानकारी खुद वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने ईटीवी भारत को दी. देखिए जयपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

Minister Sukhram Bishnoi, Forest and Environment
1 साल के कार्यकाल में वन विभाग की उपलब्धियां
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Published : Dec 16, 2019, 3:15 PM IST

जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार के एक साल के कामकाज को लेकर ईटीवी भारत ने प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बाघ संरक्षण, लुप्त हो रहे राज्य पक्षी गोडावण को बचाने की योजनाओं को बेहतर बताया.

1 साल के कार्यकाल में वन विभाग की उपलब्धियां

पढ़ें- गहलोत 'राज' 1 साल: राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने गिनाईं अपने विभाग की उपलब्धियां

वन विभाग में कई नवाचार
मंत्री ने बताया, कि वन विभाग में कई नवाचार किए गए हैं. जंगलों से विदेशी बबूल को हटाकर नए वनस्पति पेड़ लगाने का काम किया गया. फॉरेस्ट एरिया में ज्यादा से ज्यादा प्लांटेशन करने और उन प्लांटेशन की जिम्मेदारी वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को दी गई.

विभाग की उपलब्धियां
मंत्री ने बताया, कि सरकार ने विदेशी बबूल यानि जूली फ्लोरा को हटाने का कार्य शुरू किया है, उसमें तेजी आई है. जयपुर की लेपर्ड सफारी में जूली फ्लोरा को हटाकर उसकी जगह ग्रास लैंड डेवलप की जा रही है, जिससे वन्यजीवों को भोजन भी मिलेगा.

पढ़ें- गहलोत 'राज' 1 साल: जलदाय मंत्री ने गिनाईं उपलब्धियां

अतिक्रमण और कब्जों को लेकर उठाए कदम
वन विभाग की जमीनों पर अतिक्रमण और कब्जों को लेकर हर जगह पर रेंज ऑफिसर को जिम्मेदारी दी गई है. डीएफओ को रजिस्टर मेंटेन करने की जिम्मेदारी है. फॉरेस्ट की जमीन पर अतिक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी डीएफओ की होगी. किसी भी फॉरेस्ट लैंड पर नए अतिक्रमण और अवैध कब्जे होते हैं तो डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

गोडावण के संरक्षण के लिए अच्छा प्रयास
वन मंत्री ने कहा, कि गोडावण के संरक्षण को लेकर वन विभाग ने काफी अच्छा प्रयास किया है. गोडावण संरक्षण के लिए एक ऐसा सेंटर तैयार किया है, जहां पर गोडावण के अंडों से सफलतापूर्वक बच्चे बाहर निकालने का काम किया जाएगा. प्रदेश के डीएनपी क्षेत्र में गोडावन के नव अंडों को संरक्षित रखा गया. जिनमें से नए चूजे निकले हैं. गोडावण पक्षी के अंडों को संरक्षण देकर नए चूजों ने जन्म लिया और अब इनसे नव सृजन किया जाएगा. अगले साल और भी चूजे तैयार किये जायेंगे. 2 साल के चूजे तैयार होने के बाद उनके जो अंडे होंगे और उन अंडों से पैदा होने वाले बच्चों को डीएनपी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा. बता दें, कि विश्व में राज्य पक्षी गोडावण की संख्या मात्र 200 ही रह गई है, जिनमें से 100 भारत में है और इनमें से करीब 80 राजस्थान में है.

पढ़ें- सरकार 'राज', 1 साल : एक साल में शिक्षा और महकमे में हुए कई बदलाव और फैसले

वाइल्ड लाइफ को बढ़ाने का काम
वन मंत्री ने बाघ संरक्षण को लेकर कहा, कि रणथंभौर, सरिस्का और मुकंदरा में वाइल्ड लाइफ को बढ़ाने का काम किया जा रहा है. कुंभलगढ़ में चौथा टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी की जा रही है. जहां बाघ संरक्षण के साथ टाइगर की शिफ्टिंग भी होगी.

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उठाए कदम
मंत्री ने कहा, कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी काफी काम किए गए. प्लास्टिक कैरी बैग्स को बंद करने के लिए प्रदेश में जागरूकता अभियान चलाया गया. पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए भी काफी प्रयास किए गए.

पढ़ें- सरकार 'राज', 1 साल : तकनीकी शिक्षा में किए कई नवाचार, जल्द बनेगा वैदिक संस्कार और शिक्षा बोर्ड : गर्ग

कई बड़ी चुनौतियां भी सामने आईं
सरिस्का के जंगलों में पोचिंग (अवैध शिकार) की घटनाएं सामने आई. वहीं नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एक के बाद एक वन्यजीवों की मौत हुई. सांभर झील में सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी भी सामने आई. सांभर पक्षी त्रासदी के बाद राज्य सरकार ने बड़ा सबक लिया और विदेशों से आने वाले साइबेरियन पक्षियों और तालाब जल संरक्षण के लिए वेटलैंड अथॉरिटी का गठन किया गया. कुंभलगढ़ फॉरेस्ट रेंज को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया.

जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार के एक साल के कामकाज को लेकर ईटीवी भारत ने प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बाघ संरक्षण, लुप्त हो रहे राज्य पक्षी गोडावण को बचाने की योजनाओं को बेहतर बताया.

1 साल के कार्यकाल में वन विभाग की उपलब्धियां

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वन विभाग में कई नवाचार
मंत्री ने बताया, कि वन विभाग में कई नवाचार किए गए हैं. जंगलों से विदेशी बबूल को हटाकर नए वनस्पति पेड़ लगाने का काम किया गया. फॉरेस्ट एरिया में ज्यादा से ज्यादा प्लांटेशन करने और उन प्लांटेशन की जिम्मेदारी वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को दी गई.

विभाग की उपलब्धियां
मंत्री ने बताया, कि सरकार ने विदेशी बबूल यानि जूली फ्लोरा को हटाने का कार्य शुरू किया है, उसमें तेजी आई है. जयपुर की लेपर्ड सफारी में जूली फ्लोरा को हटाकर उसकी जगह ग्रास लैंड डेवलप की जा रही है, जिससे वन्यजीवों को भोजन भी मिलेगा.

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अतिक्रमण और कब्जों को लेकर उठाए कदम
वन विभाग की जमीनों पर अतिक्रमण और कब्जों को लेकर हर जगह पर रेंज ऑफिसर को जिम्मेदारी दी गई है. डीएफओ को रजिस्टर मेंटेन करने की जिम्मेदारी है. फॉरेस्ट की जमीन पर अतिक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी डीएफओ की होगी. किसी भी फॉरेस्ट लैंड पर नए अतिक्रमण और अवैध कब्जे होते हैं तो डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

गोडावण के संरक्षण के लिए अच्छा प्रयास
वन मंत्री ने कहा, कि गोडावण के संरक्षण को लेकर वन विभाग ने काफी अच्छा प्रयास किया है. गोडावण संरक्षण के लिए एक ऐसा सेंटर तैयार किया है, जहां पर गोडावण के अंडों से सफलतापूर्वक बच्चे बाहर निकालने का काम किया जाएगा. प्रदेश के डीएनपी क्षेत्र में गोडावन के नव अंडों को संरक्षित रखा गया. जिनमें से नए चूजे निकले हैं. गोडावण पक्षी के अंडों को संरक्षण देकर नए चूजों ने जन्म लिया और अब इनसे नव सृजन किया जाएगा. अगले साल और भी चूजे तैयार किये जायेंगे. 2 साल के चूजे तैयार होने के बाद उनके जो अंडे होंगे और उन अंडों से पैदा होने वाले बच्चों को डीएनपी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा. बता दें, कि विश्व में राज्य पक्षी गोडावण की संख्या मात्र 200 ही रह गई है, जिनमें से 100 भारत में है और इनमें से करीब 80 राजस्थान में है.

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वाइल्ड लाइफ को बढ़ाने का काम
वन मंत्री ने बाघ संरक्षण को लेकर कहा, कि रणथंभौर, सरिस्का और मुकंदरा में वाइल्ड लाइफ को बढ़ाने का काम किया जा रहा है. कुंभलगढ़ में चौथा टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी की जा रही है. जहां बाघ संरक्षण के साथ टाइगर की शिफ्टिंग भी होगी.

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उठाए कदम
मंत्री ने कहा, कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी काफी काम किए गए. प्लास्टिक कैरी बैग्स को बंद करने के लिए प्रदेश में जागरूकता अभियान चलाया गया. पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए भी काफी प्रयास किए गए.

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कई बड़ी चुनौतियां भी सामने आईं
सरिस्का के जंगलों में पोचिंग (अवैध शिकार) की घटनाएं सामने आई. वहीं नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एक के बाद एक वन्यजीवों की मौत हुई. सांभर झील में सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी भी सामने आई. सांभर पक्षी त्रासदी के बाद राज्य सरकार ने बड़ा सबक लिया और विदेशों से आने वाले साइबेरियन पक्षियों और तालाब जल संरक्षण के लिए वेटलैंड अथॉरिटी का गठन किया गया. कुंभलगढ़ फॉरेस्ट रेंज को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया.

Intro:जयपुर
एंकर- प्रदेश की गहलोत सरकार 17 दिसंबर को अपने कार्यकाल का 1 वर्ष पूरा करने जा रही है। इस 1 वर्ष के कार्यकाल की बात करें तो सरकार ने आमजन से जुड़े मुद्दों को लेकर काफी घोषणा की थी। वहीं अगर प्रदेश के वन्यजीवो की बात करें तो सरकार ने बाघ संरक्षण और लुप्त हो रहे राज्य पक्षी गोडावण को बचाने की बात कही थी ऐसे में इन दोनों योजनाओं को लेकर वन एवं पर्यावरण विभाग ने काम किया।


Body:सरकार के घोषणा पत्र में वन एवं पर्यावरण विभाग में की गई घोषणाएं-
1. रणथंबोर नेशनल पार्क देश-विदेश के वन्यजीव प्रेमियों में काफी लोकप्रिय है इससे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के मानचित्र पर राजस्थान को पहचान मिली है। टाइगर के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य सरकार पूरी तरह से प्रतिबंध है। इस दिशा में विशेष प्रयास करेंगे।
2. गोडावण प्रदेश का राज्य पक्षी है दुनिया में इस प्रजाति की संख्या 200 से भी कम रह गई है। जिसमें से अधिकतर राजस्थान में ही है। गोडावण के प्रभावी संरक्षण के लिए योजना बनाई जाएगी। साथ ही इनकी आर्टिफिशियल हैचिंग के लिए प्रयास किए गए।
3. वातावरण परिवर्तन को लेकर आज सारा संसार चिंतित है प्रदेश के नागरिकों को स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराना मेरी प्राथमिकता है। पर्यावरण विभाग का पुनर्गठन कर पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय के गठन की घोषणा करता हूं हम एक नई जलवायु परिवर्तन नीति भी लाएंगे।

राजस्थान के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने वन विभाग में कई नवाचार किए हैं। जंगलों से विदेशी बबूल को हटाकर नए वनस्पति पेड़ लगाने का काम किया गया। फॉरेस्ट एरिया में ज्यादा से ज्यादा प्लांटेशन करने और उन प्लांटेशन की जिम्मेदारी वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को दी गई।
गहलोत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने विभाग की साल की उपलब्धियों को लेकर बताया कि गहलोत सरकार ने विदेशी बबूल यानी जूली फ्लोरा को हटाने का जो कार्य शुरू किया है उसमें भी तीव्र गति आई है। जूली फ्लोरा एक ऐसा पौधा है जो कि अपने आसपास की वनस्पति को भी नहीं पनपने देता। जिस को उठाने के लिए गहलोत सरकार ने निर्देश जारी किए। प्रदेश भर में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जूली फ्लोरा को उठाने का काम किया जा रहा है। जयपुर की लेपर्ड सफारी में जूली फ्लोरा को हटाकर उसकी जगह ग्रास लैंड डिवेलप की जा रही है जिससे वन्यजीवों को भोजन भी मिलेगा। वन विभाग की जमीनों पर अतिक्रमण और कब्जों को लेकर भी काफी कार्य किया गया है। हर जगह पर रेंज ऑफिसर को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि इस पर कार्रवाई करें। डीएफओ को रजिस्टर मेंटेन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। फॉरेस्ट की जमीन पर अतिक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी डीएफओ की होगी। अगर किसी भी फॉरेस्ट लैंड पर नए अतिक्रमण और अवैध कब्जे होते हैं तो डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वन मंत्री ने कहा कि गोडावण के संरक्षण को लेकर वन विभाग ने काफी अच्छा प्रयास किया है। सरकार ने गोडावण संरक्षण के लिए एक ऐसा सेंटर तैयार किया है जहां पर गोडावण के अंडों से सफलतापूर्वक चूजे बाहर निकालने का काम किया जाएगा। प्रदेश के डीएनपी क्षेत्र में गोडावन के नव अंडो को संरक्षित रखे गए। जिनमें से नए चूजे निकले हैं। गोडावण पक्षी के अंडो को संरक्षण देकर नए चूजों ने जन्म लिया और अब इनसे नव सृजन किया जाएगा। अगले साल और भी चूजे तैयार किये जायेंगे। 2 साल के चूजे तैयार होने के बाद उनके जो अंडे होंगे और उन अंडों से पैदा होने वाले बच्चों को डीएनपी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।
बता दे कि विश्व में राज्य पक्षी गोडावण की संख्या मात्र 200 ही रह गई है जिनमें से 100 भारत में है और इनमें से करीब 80 राजस्थान में है।
वन मंत्री ने बाघ संरक्षण को लेकर कहा कि रणथंभोर नेशनल पार्क में देश-विदेश से लोग घूमने आते हैं। जा कई लोग रोजगार से भी जुड़े हैं। रणथंभोर, सरिस्का और मुकंदरा में वाइल्ड लाइफ को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही कुंभलगढ़ में चौथा टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी की जा रही है। जहां बाघ संरक्षण के साथ टाइगर शिफ्ट करने का काम किया जाएगा। प्रदेश में तीन टाइगर रिजर्व पहले से ही है चौथा टाइगर रिजर्व कुंभलगढ़ में बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 1 साल के कार्यकाल में राजस्थान सरकार ने वन विभाग के लिए काफी अच्छे कार्य किया है।
मंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी काफी कार्य किए गए हैं प्लास्टिक कैरी बैग्स को बंद करने का भी काम किया है। इसके लिए प्रदेश में जागरूकता अभियान भी चलाए गए हैं। पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए सरकार ने काफी प्रयास किए हैं।

सरकार के मंत्रियों ने तो अपनी एक साल की उपलब्धियां गिना दी। लेकिन वहीं विपक्ष के नेताओं सरकार के एक साल को विफल बता दिया। बीजेपी के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने वन विभाग में सरकार के कामों को लेकर कहा कि जिस तरह से सरकार राजस्थान के हर विभाग में फेल हुई है। उसी तरह वन विभाग में भी सरकार फेल है। राजस्थान के वन विभाग में उपलब्धियां गिनाने के लिए एक भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बीजेपी सरकार ने वन विभाग और विभाग से जुड़े पर्यटन को लेकर काम किया है उस तरह से कांग्रेस सरकार की कोई रुचि नहीं रही। बीजेपी ने बाघ संरक्षण और बाघों की संख्या को लेकर काफी अच्छे काम किए थे जिससे बाघों की संख्या भी बढ़ी थी। इसके साथ ही टाइगर रिजर्व्स को सुरक्षित करने का काम किया गया था। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार आने के बाद केवल घोषणाएं हुई है उन पर कोई काम नहीं किया गया। जयपुर में लेपर्ड सफारी को लेकर भी कांग्रेस ने कोई काम नहीं किया है जिसके हालात सामने है कि लेपर्ड भोजन पानी की तलाश में जंगलों से बाहर निकल रहे हैं। जिसको लेकर कांग्रेस ने कोई काम नहीं किया। आए दिन पैंथर आबादी क्षेत्रों में आ जाते हैं जिसके चलते लोगों में दहशत रहती है। इसमें सरकार की कोई रुचि नहीं है। सरकार की रुचि नहीं होने की वजह से पर्यटन को भी काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में वनों से लकड़ी काटने का काम, अवैध खनन जैसे काम खुलेआम हो रहे हैं।
लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कांग्रेस सरकार की टाइगर संरक्षण को लेकर की गई घोषणा पर कहा कि वर्ष 2014 में टाइगर्स की संख्या में वृद्धि हुई थी। लेकिन अब कमी नजर आ रही है। कांग्रेस के राज में तो टाइगर की मौत हो रही है। हाल ही में जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में तीन टाइगर्स की मौत हो चुकी है।

वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट सेबी वन विभाग की 1 साल की उपलब्धियों को लेकर बात की तो वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट रोहित गंगवाल ने बताया कि राज्य पक्षी गोडावण के संरक्षण को लेकर सरकार ने सबसे बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। इसको लेकर वन विभाग ने बहुत बड़ा सफल एक्सपेरिमेंट किया है। राजस्थान में गोडावण की सफल ब्रीडिंग हुई है। जो अंडे जैसलमेर से लाए गए थे वह बच्चे हेच हो गए हैं और उनके बच्चे भी बड़े होने लगे हैं। टाइगर रिजर्व पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। एक सबसे अच्छा काम सरकार ने जूली फ्लोरा को जंगलों से निकालने का भी किया है। जूली फ्लोरा एक ऐसा पौधा है जो अपने आसपास में दूसरी वनस्पतियों को नहीं पनपने देता है। जूली फ्लोरा को जंगलों से निकालने का काम काफी सराहनीय है। इसमें बहुत ज्यादा मेन पावर की भी आवश्यकता पड़ती है। प्रदेश में 3 टाइगर रिजर्व्स पहले से हैं और छोटा टाइगर रिजल्ट बनाने की तैयारी की जा रही है यह टाइगर संरक्षण के क्षेत्र में काफी अच्छा काम है। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

हालांकि वन एवं पर्यावरण मंत्री के सामने 1 साल के कार्यकाल में कई बड़ी चुनौतियां भी सामने आई बाघ विहीन हो चुके सरिस्का के जंगलों में पोचिंग की घटनाएं एक बार फिर से सामने आना, तो वही नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एक के बाद एक वन्यजीवों की मौत होना, यह सिलसिला इतना ही नहीं थमा सांभर झील में सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी भी सामने आई।
सांभर पक्षी त्रासदी के बाद राजस्थान सुर्खियों में रहा। लेकिन इस दौरान वन एवं पर्यावरण मंत्री किसी निजी कार्य सरकारी ऑफिस में नहीं बैठे रहे। सरिस्का में बाघ की मौत की जानकारी मिलते ही वन मंत्री तुरंत सरिस्का पहुंचे और अधिकारियों को तुरंत एक्शन लेने के निर्देश दिए। तो वही नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में गुजरात से लाई गई एशिटिक शेरनी को केनाइन डिस्टेंपर वायरस की जानकारी मिलते ही बचाव कार्य और उपचार में सरकार के स्तर पर हर संभव प्रयास किए गए। ऐसे ही सांभर झील में पक्षी त्रासदी के दौरान देखने को मिला। इस दौरान वन मंत्री बार-बार सांभर झील पहुंचे और दौरा करके पक्षियों को बचाने के लिए निर्देश दिए। सांभर पक्षी त्रासदी के बाद राज्य सरकार ने बड़ा सबक लिया और विदेशों से आने वाले साइबेरियन पक्षियों और तालाब जल संरक्षण के लिए वेटलैंड अथॉरिटी का गठन किया गया। तो वही कुंभलगढ़ फॉरेस्ट रेंज को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया। सुखराम विश्नोई को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय जैसा जिम्मा मिला तो प्रदेश में रणथंभोर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स के बाद चौथा नेशनल पार्क की सौगात देने की तैयारी की गई। नेशनल पार्क की मंजूरी केंद्र ज्ञात में होती है जिसको लेकर प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा गया है। पिछले 1 साल में इको टूरिज्म पर भी खासा फोकस किया गया है जंगल सफारी के टिकटों में हेरा फेरी को खत्म करने के लिए ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया गया वन्यजीव तस्करों पर नजर रखने के लिए ई- सर्विलेंस सिस्टम को मजबूत करने का काम भी किया गया।






Conclusion:हालांकि अभी भी वन विभाग में कई नवाचारों की आवश्यकता है। जैसे जंगलों में अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी मॉनिटरिंग, सुरक्षा नफरी की कमी, गार्ड, कैटल गार्डों के पदों पर नियुक्ति जैसे फैसले लेना, विभागीय अफसरों के प्रमोशन संबंधी फैसले लेना। इसके साथ ही वन विभाग में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए संसाधनों की कमी भी देखने को मिली। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जयपुर शहर में पिछले दिनों एक पैंथर ने दो वनकर्मियों को घायल कर दिया था। संसाधनों की कमी नहीं होती तो यह हादसा नहीं होता। रेस्क्यू संसाधनों में जरूरी सामान हेलमेट, नेक कवर, आर्म्स क्लब्स, रिस्ट कवर, थाईपैड्स, लेग गार्ड्स, रायट प्रोजेक्ट शील्ड जैसे संसाधन होने चाहिए।

बाईट- सुखराम विश्नोई, वन एवं पर्यावरण मंत्री, राजस्थान
बाईट- लक्ष्मीकांत भारद्वाज, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी
बाईट- रोहित गंगवाल, वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट
पीटीसी- उमेश सैनी

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