जयपुर. सांभर झील में पिछले दिनों विदेशी पक्षियों की मौत को लेकर काफी किरकिरी होने के बाद अब सरकार सांभर झील को लेकर काफी गंभीरता दिखा रही है. वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई ने भी सांभर झील में अतिक्रमण को लेकर नाराजगी जताई और अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए.
इसके साथ मंत्री सुखराम विश्नोई ने कहा कि प्रदेश में वेटलैंड मौजूदा अतिक्रमण भू उपयोग एवं आदि की जमीनी स्थिति के आधार पर चिन्हित किया जाए और सभी निश्चित कार्य समय बाद रूप से कराए जाए. दरअसल, विश्नोई मंगलवार को शासन सचिवालय में आयोजित स्टेट वॉटर अथॉरिटी की द्वितीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे.
विश्नोई ने कहा कि प्रदेश के गांव शहरों में वेटलैंड पर कहीं भी अतिक्रमण नहीं हो. इसके लिए विशेष निगरानी के साथ उनके संरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. उन्होंने कहा कि ऐसी जमीन पर डाली जाने वाली वेस्ट पर कड़ी निगरानी रखी जाए, ताकि पक्षियों के साथ-साथ मानव समाज के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े.
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उन्होंने कहा कि वेटलैंड संरक्षण की महती आवश्यकता के साथ-साथ जल संरक्षण सहित अन्य कार्यक्रम चलाए जाए. प्रदेश में वेटलैंड के विकास में सहभागिता निभाने वाले संबंधित विभागों के अधिकारियों को कार्य योजना बनाकर निश्चित समय सीमा में कार्य करना होगा.
साथ ही सांभर झील में अवैध पम्प सेटों के संचालन पर नाराजगी जाहिर करते हुए कार्रवाई करने के निर्देश दिए. इस बैठक में मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने वर्तमान परिस्थितियों में पर्यावरण के बढ़ते हुए और सतत विकास के लिए पर्यावरण विकास कार्य करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इस क्रम में संबंधित विभाग अपने दायित्वों की कार्य योजना बनाकर समय पर काम करे.
वन एवं पर्यावरण विभाग की प्रमुख सचिव ने श्रया गुहा ने बताया कि बैठक में निर्णय लिए गए कि पर्यावरण एवं जल का सचिवालय होगा. साथ ही जिला स्तर पर जिला पर्यावरण समिति के माध्यम से संबंधित कार्यों का संपादन किया जाएगा. इस बैठक में प्रथम चरण के चिन्हित 6 वेटलैंड के अतिरिक्त प्रदेश के 52 वेटलैंड का चिन्हीकरण कराया जाएगा.