जयपुर. कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन को 14 अप्रैल से बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया है. लॉकडाउन के बीच इस बार इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र माने जाने वाला रमजान माह भी अप्रैल से शुरू होने जा रहा हैं. रमजान इबादतों का महीना होता है. आमतौर पर रमजान माह के दौरान मस्जिदों में नमाजियों और इबादतगारों की काफी भीड़ देखने को मिलती है. लेकिन इस बार यह नजारा मस्जिदों में देखने को नहीं मिलेगा.
दरअसल, जब से लॉकडाउन लगा हुआ है, तब से सोशल डिस्टेंस के चलते मस्जिदों में नमाज अदा करने की बजाय लोगें को घरों में रहकर ही नमाज अदा करने की हिदायत दी जा रही है. ऐसे में इस बार लोगों को घरों में रहकर ही इफ्तार करना होगा. साथ ही नमाज भी घर में ही अदा करने पड़ेगी. वहीं रमजान में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज तरावीह भी घरों में सोशल डिस्टेंस के साथ ही अदा करेंगे.
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अप्रैल माह से रमजान शुरू होने के बाद धार्मिक उलेमाओं ने लोगों से घरों में इबादत के दौरान सोशल डिस्टेंस रखने की अपील भी कर रहे हैं. हालांकि उलेमाओं को उम्मीद है कि 3 मई के बाद लॉकडाउन खोल दिया जाएगा. जिसके बाद लोग मस्जिदों में आकर नमाज अदा कर पाएंगे, लेकिन तब भी खासकर मस्जिदों में सोशल डिस्टेंस का ख्याल रखा जाएगा. जामा मस्जिद के पूर्व सेक्रेटरी अनवर शाह ने लोगों से अपील की है, कि वह दीगर नमाजों और तरावीह की नमाज को भी सोशल डिस्टेंस रखते हुए घरों मे रहकर अदा करें.
मुफ्ती खालिद अयूब मिस्बाही शेरानी ने बताया, कि रमजान की रातों में इधर-उधर न घूमें. अपने घर के लोगों को अच्छी बातें बताएं और विशेष रूप से पवित्र कुरान का अध्ययन करें. इंटरनेट पर मौजूद धार्मिक व्याख्यान सुने साथ ही बुर्जुगों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों और वंचितों की बिना किसी धार्मिक भेदभाव के देखभाल और सहायता करें.