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Exclusive: नियम विरूद्ध अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने वाले रेंज आईजी पर 2 लाख का हर्जाना

राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने नियमों के विपरीत जाकर पुलिस उपनिरीक्षक को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने वाले तत्कालीन आईजी जयपुर रेंज प्रथम पर दो लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. अधिकरण ने कहा है कि यदि आईजी सेवानिवृत्त हो गए हैं तो हर्जाना राशि उनकी पेंशन से मासिक कम से कम 25 हजार रुपए के रूप में वसूली जाए.

Jaipur latest news,  fine of 2 lakhs on range IG
राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण
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Published : Apr 25, 2021, 8:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने नियमों के विपरीत जाकर पुलिस उपनिरीक्षक को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने वाले तत्कालीन आईजी जयपुर रेंज प्रथम पर दो लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. अधिकरण ने कहा है कि यदि आईजी सेवानिवृत्त हो गए हैं तो हर्जाना राशि उनकी पेंशन से मासिक कम से कम 25 हजार रुपए के रूप में वसूली जाए.

पढ़ें- विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक किए बिना कैसे दी गई नियुक्तियां: राजस्थान हाईकोर्ट

वहीं, अधिकरण ने एसआई को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने वाले 18 जुलाई 2005 के आदेश को रद्द कर दिया है. अधिकरण ने अपीलार्थी की सेवा बहाल मानते हुए उसे समस्त पेंशन परिलाभ भी देने को कहा है. अधिकरण के चेयरमैन रविशंकर श्रीवास्तव और सदस्य जस्साराम चौधरी की खंडपीठ ने यह आदेश विजय कुमार यादव की अपील पर दिए. अधिकरण ने अपने आदेश में कहा कि जब उच्चाधिकारी ही नियम और कानून की अवहेलना करेंगे तो अधीनस्थ कर्मचारियों से क्या आशा की जा सकती है.

अधिकरण ने कहा कि राज्य सरकार 15 साल की सेवा के बाद कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे सकती है, लेकिन उससे पहले हाई पावर रिव्यू कमेटी सिफारिश करें और उस पर विभाग के मंत्री अपनी सहमति दें. जबकि मामले में डीजीपी ने अपीलार्थी को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के बाद उसे कंफर्म करने के लिए पत्र भेजा.

अपील में कहा गया कि 18 जुलाई 2005 को जयपुर रेंज आईजी प्रथम ने आदेश जारी कर अपीलार्थी के सेवाकाल के 15 साल और 50 साल की आयु पूरी होने पर सिविल सेवा पेंशन नियम, 1996 के नियम 53(1) के तहत जनहित का हवाला देते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया. जबकि ना तो उसे तीन महीने का नोटिस दिया गया और ना ही हाई पावर कमेटी ने उसे अनिवार्य सेवानिवृत्त करने की सिफारिश की थी.

इसके अलावा उस पर कोई गंभीर आरोप भी नहीं था. इसके अलावा आरटीआई से मिली सूचना के तहत डीजीपी भी मान चुके हैं कि अपीलार्थी को सेवानिवृत्त करने से पूर्व हाई पावर रिव्यू कमेटी की जरूरी सहमति नहीं ली गई थी. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अपीलार्थी को सेवाकाल में 43 बार 16सीसीए के तहत दंडित किया गया था और उसका सेवा रिकॉर्ड भी अच्छा नहीं था.

प्रदेश की सभी अधीनस्थ अदालतों में 26 अप्रैल को अवकाश

राजस्थान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मोहन एम शांतनागोदर के निधन के चलते हाईकोर्ट सहित प्रदेश की सभी अधीनस्थ अदालतों में 26 अप्रैल को अवकाश घोषित किया है. रजिस्ट्रार जनरल ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं.

जयपुर. राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने नियमों के विपरीत जाकर पुलिस उपनिरीक्षक को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने वाले तत्कालीन आईजी जयपुर रेंज प्रथम पर दो लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. अधिकरण ने कहा है कि यदि आईजी सेवानिवृत्त हो गए हैं तो हर्जाना राशि उनकी पेंशन से मासिक कम से कम 25 हजार रुपए के रूप में वसूली जाए.

पढ़ें- विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक किए बिना कैसे दी गई नियुक्तियां: राजस्थान हाईकोर्ट

वहीं, अधिकरण ने एसआई को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने वाले 18 जुलाई 2005 के आदेश को रद्द कर दिया है. अधिकरण ने अपीलार्थी की सेवा बहाल मानते हुए उसे समस्त पेंशन परिलाभ भी देने को कहा है. अधिकरण के चेयरमैन रविशंकर श्रीवास्तव और सदस्य जस्साराम चौधरी की खंडपीठ ने यह आदेश विजय कुमार यादव की अपील पर दिए. अधिकरण ने अपने आदेश में कहा कि जब उच्चाधिकारी ही नियम और कानून की अवहेलना करेंगे तो अधीनस्थ कर्मचारियों से क्या आशा की जा सकती है.

अधिकरण ने कहा कि राज्य सरकार 15 साल की सेवा के बाद कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे सकती है, लेकिन उससे पहले हाई पावर रिव्यू कमेटी सिफारिश करें और उस पर विभाग के मंत्री अपनी सहमति दें. जबकि मामले में डीजीपी ने अपीलार्थी को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के बाद उसे कंफर्म करने के लिए पत्र भेजा.

अपील में कहा गया कि 18 जुलाई 2005 को जयपुर रेंज आईजी प्रथम ने आदेश जारी कर अपीलार्थी के सेवाकाल के 15 साल और 50 साल की आयु पूरी होने पर सिविल सेवा पेंशन नियम, 1996 के नियम 53(1) के तहत जनहित का हवाला देते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया. जबकि ना तो उसे तीन महीने का नोटिस दिया गया और ना ही हाई पावर कमेटी ने उसे अनिवार्य सेवानिवृत्त करने की सिफारिश की थी.

इसके अलावा उस पर कोई गंभीर आरोप भी नहीं था. इसके अलावा आरटीआई से मिली सूचना के तहत डीजीपी भी मान चुके हैं कि अपीलार्थी को सेवानिवृत्त करने से पूर्व हाई पावर रिव्यू कमेटी की जरूरी सहमति नहीं ली गई थी. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अपीलार्थी को सेवाकाल में 43 बार 16सीसीए के तहत दंडित किया गया था और उसका सेवा रिकॉर्ड भी अच्छा नहीं था.

प्रदेश की सभी अधीनस्थ अदालतों में 26 अप्रैल को अवकाश

राजस्थान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मोहन एम शांतनागोदर के निधन के चलते हाईकोर्ट सहित प्रदेश की सभी अधीनस्थ अदालतों में 26 अप्रैल को अवकाश घोषित किया है. रजिस्ट्रार जनरल ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं.

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