जयपुर. राजधानी जयपुर में बकाया सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान की मांग को लेकर रिटायर्ड रोडवेज कर्मचारी धरने पर बैठे हुए हैं. रिटायर्ड रोडवेज कर्मचारियों का धरना 3 दिन से लगातार जारी है. रोडवेज कर्मचारी सरकार और रोडवेज प्रशासन से बकाया परिलाभों के भुगतान की मांग कर रहे हैं. बकाया परिलाभ नहीं मिलने से रिटायर्ड रोडवेज कर्मचारियों पर आर्थिक संकट आ गया है.
धरने पर बैठे सेवानिर्वत रोडवेज कर्मचारियों का कहना है कि काफी लंबे समय से बकाया परिलाभ नहीं मिलने से रिटायर्ड कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. ऐसे में परिवार का पालन पोषण भी मुश्किल हो रहा है. वृद्धावस्था में रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए स्वयं का खर्चा भी उठाना मुश्किल हो गया है. सभी कर्मचारियों को उम्मीद होती है कि रिटायरमेंट के बाद पेंशन ही उसका सहारा बनती है. लेकिन रिटायर होने के बाद भी बकाया भुगतान नहीं मिलने से रोडवेज कर्मचारियों की स्थिति बहुत खराब हो रही है.
प्रदेश स्तरीय धरने में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से रिटायर्ड कर्मचारी शामिल हो रहे हैं. रिटायर्ड कर्मचारी बकाया भुगतान के साथ ही हर महीने समय पर पेंशन देने की मांग को लेकर सरकार और रोडवेज प्रशासन के खिलाफ आक्रोश जता रहे हैं. काफी समय से बकाया भुगतान को लेकर रिटायर्ड कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन अभी तक भी उनकी कोई सुनवाई नहीं की जा रही. रिटायर्ड कर्मचारियों के मुताबिक 56 महीने से बकाया सेवानिवृत्ति परिलाभों के तुरंत एकमुश्त भुगतान, हर महीने के पहले कार्य दिवस को वेतन और पेंशन के साथ एक माह के सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान, 1998 से बकाया अधिश्रम भत्ते के गैरकानूनी कटौती किए बिना भुगतान की पारदर्शी भेदभाव रहित नीति बनाने की मांग को लेकर आरएसआरटीसी रिटायर्ड एम्पलाइज एसोसिएशन के आव्हान पर जयपुर में शहीद स्मारक पर प्रदेश स्तरीय धरना दिया जा रहा है.
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तीसरे दिन एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर सिंह ढाका, प्रदेश उपाध्यक्ष मोहम्मद मंजूर कुरेशी, प्रदेश सचिव लक्ष्मण सिंह राजपुरोहित के संयुक्त नेतृत्व में जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, सिरोही, आबूरोड, जालौर, फलोदी, अजमेर, भीलवाड़ा, नागौर, ब्यावर और विद्याधर नगर आगार जयपुर के 115 सेवानिवृत्त रोडवेज कर्मी धरने पर बैठे. धरना स्थल पर एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर सिंह ढाका ने संबोधित करते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में जब कोरोना महामारी का रोडवेज पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं था. राज्य सरकार और आरटीआईडीएफ से रोडवेज को 311.83 करोड़ रुपये का अनुदान मिला था. रोडवेज प्रबंधन द्वारा इसमें से एक चौथाई राशि भी सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान पर खर्च की जाती, तो दिसंबर 2016 तक के सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान किया जा सकता था. लेकिन रोडवेज प्रबंधन की सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान को अंतिम पंक्ति के अंतिम बिंदु पर रखे जाने से उन्हें भुगतान नहीं मिल सका.
आरएसआरटीसी रिटायर्ड एम्पलाइज एसोसिएशन के महासचिव हरगोविंद शर्मा ने बताया कि बकाया सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान के लिए राज्य सरकार से रोडवेज को 500 करोड़ रुपए का विशेष अनुदान देने की मांग की जा रही है. रोडवेज प्रबंधन से बची कुची राशि से सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान की नकारात्मक सोच को छोड़कर वेतन- पेंशन के समान और साथ ही प्रतिमाह सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान की न्याय संगत सकारात्मक सोच के साथ काम करने की मांग की गई है. कर्मचारियों ने दृढ़ संकल्प लिया है कि जब तक भुगतान नहीं तब तक विश्राम नहीं लेंगे.
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष आनंद चौधरी ने मांग की है कि रोडवेज प्रबंधन द्वारा सेवानिवृत्त कर्मियों के प्रति दुर्लभता की नीति को छोड़कर वेतन पेंशन के साथ ही प्रतिमा सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान की समानता के व्यवहार की नीति बनाई जाए.