जयपुर. इस्लामिक साल के पहले महीने की 10 तारीख को मनाया जाने वाला मोहर्रम का त्योहार (Muharram 2021) शुक्रवार को प्रदेश भर में मनाया जा रहा है. इस मौके पर अकीदतमंद रोजे रखकर इबादत कर रहे हैं. मोहर्रम के मौके पर निकलने वाले ताजियों को इमामबाड़ों से निकाल कर उनके मुकाम स्थान पर रखा गया है. कोरोना की तीसरी लहर के चलते किसी भी तरह का कोई भी जुलूस राजधानी जयपुर में नहीं निकाला जाएगा.
कर्बला की दरगाह सीज, पुलिस भी तैनात
मोहर्रम के त्योहार को देखते हुए कर्बला की दरगाह को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं. पुलिस और आला अधिकारी स्थानीय लोगों के साथ में मिलकर व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए नजर आ रहे हैं. किसी को भी कर्बला दरगाह में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. जो लोग यहां पर फ़ातिहा पढ़ने के लिए पहुंच रहे हैं वे पुलिस बैरिकेडिंग से पहले ही फ़ातिहा पढ़ अपने घर पर रवाना हो रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि हम पुलिस प्रशासन का पूरी तरह से सहयोग करेंगे और जो भी व्यवस्था हम लोगों से हो सकेगी उसको पूरा किया जाएगा.
नहीं निकाला जाएगा ताजियों का जूलूस
सरकारी गाइडलाइन के अनुसार चंद लोगों की मौजूदगी में ही ताजिए को लेकर होने वाली रस्में अदा की जा रही है. मोहर्रम के मौके पर पुलिस व्यवस्था चाक-चौबंद नजर आ रही है. मोहर्रम से पहले ही धर्मगुरुओं ने समाज के लोगों से जुलूस भीड़भाड़ नहीं करने की अपील की है. साथ ही प्रशासन को व्यवस्था में सहयोग देने और शांति बनाने का आह्वान किया था. इसका असर भी राजधानी जयपुर में नजर आ रहा है.
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जयपुर के मोहल्ला तवायफान, बगरू वालों का रास्ता, चांदपोल बाजार, मोहल्ला नालबंदान, मोहल्ला हिरन वालान, मोहल्ला मछलीवालान, मोहल्ला सिलावटान के ताजिए भी खास हैं. सोने-चांदी का मोहल्ला महावतान बिरादरी का ताजिया 1868 से निकलता आ रहा है. यह शहर की शान रहा है.
मोहल्ला हांडीपुरा के ताजिए की थीम वास्तुकला पर आधारित है. मोहम्मद नईम ने बताया कि उनका ताजिया 18 फीट ऊंचा और 22 फीट चौड़ा है और स्पेशल कागज को नीले रंग में डाई करवाकर ताजिए में लगाया गया है. अभ्रक और चांदी के वर्क से बनाए गए झाड़वाले शीशे ताजिए में लगाए हैं. इसके साथ ही अभ्रक पर की गई महीन एम्बोजिंग का कार्य भी किया गया है.
नीलघरों के मोहल्ले के ताजियेदार मुन्नाभाई ने बताया कि इस मोहल्ले के ताजिये को निकालते हुए 50 साल हो चुके हैं. यहां का ताजिया हमेशा से ही प्रसिद्ध रहा है. पिछले दो साल से कोरोना गाइडलाइन को देखते हुए ताजिये का जुलुस नहीं निकाला जा रहा. इस बार जो ताजिया बनाया गया है, वह 25 फीट ऊंचा है.