जयपुर. महानगर मजिस्ट्रेट क्रम- 4 ने डिलीवरी के दौरान गर्भस्थ शिशु को चिमटेनुमा उपकरण से बाहर खींचने और बिना अनुमति प्रसूता की बच्चेदानी निकालने के मामले में मोतीडूंगरी स्थित रंधावा हॉस्पिटल की महिला चिकित्सक कंवरदीप रंधावा को दोषी माना है. हालांकि, अदालत ने अभियुक्त चिकित्सक को परिवीक्षा का लाभ देते हुए जेल नहीं भेजा है. वहीं अदालत ने अभियुक्त पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए राशि पीड़ित पक्ष को देने के आदेश दिए हैं.
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त ने परिवादी की पत्नी का लापरवाही से प्रसव कराया. इस दौरान बच्चे को चिमटेनुमा उपकरण से बाहर खींचा और बिना बताए प्रसूता की बच्चेदानी निकाल कर स्थाई अपंगता दे दी. वहीं बच्चे को सेरेब्रल पाल्सी भी हो गई.
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मामले के अनुसार 21 मई 2001 को रंधावा अस्पताल में मोहम्मद इलियास की पत्नी रेशमा की डिलीवरी हुई थी. इस दौरान चिकित्सक कंवरदीप रंधावा ने असावधानी और निर्ममता से शिशु को औजारों से खींचकर बाहर निकाला, जिससे शिशु के सिर में गंभीर चोट आई और प्रसूता के भी रक्तस्त्राव शुरू हो गया. इस पर शिशु को गंभीर हालत में दूसरे अस्पताल में ले जाया गया.
दूसरी ओर प्रसूता की हालत बिगड़ती देखकर उसे महिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. जहां चिकित्सकों ने बताया कि प्रसूता की बच्चेदानी भी निकाल ली गई है. घटना को लेकर पीड़ित महिला के पति इलियास ने मोतीडूंगरी थाने में मामला दर्ज कराया.