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अन्नदाता पर आई विपदा, फसल काटी लेकिन मंडियां बंद तो कैसे करें संग्रहण, ईटीवी भारत ने जाना किसानों का दर्द

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Published : Mar 29, 2020, 4:51 PM IST

कोरोना वायरस को लेकर किए गए लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के अन्नदाताओं की परेशानी बढ़ गई है. किसानों के सामने अनाज और भूसे को संग्रहण करने की परेशानी आ गई है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने खेतों में पहुंचकर किसानों से बातचीत की.

जयपुर किसान न्यूज,  Lock down in jaipur
अन्नदाता पर आई विपदा

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के संकट के बीच अब प्रदेश के अन्नदाताओं की भी परेशानी बढ़ गई है. मौसम साफ होते ही गेहूं, चना और जीरे के फसलों की कटाई शुरू हुई और बड़ी मुश्किलों से थ्रेशर व कटर की मशीन भी कुछ किसानों ने मंगाई. लेकिन अब किसानों के सामने अनाज और भूसे के संग्रहण करने की परेशानी आ गई है. किसानों की इसी परेशानी को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम खेतों में पहुंचकर किसानों से बातचीत की.

अन्नदाता पर आई विपदा

दरअसल, मंडिया बंद होने के कारण किसानों को फसल कटाई के बाद गेहूं, चना आदि अनाज को सुरक्षित संग्रहण करके रखना होगा. छोटे किसानों के लिए तो यह चुनौती ज्यादा बड़ी नहीं होगी, लेकिन जिन किसानों ने अधिक क्षेत्र में खेती की है उनके सामने इस फसलों को सुरक्षित संग्रहण करना बहुत बड़ी चुनौती है. जयपुर के केशोपुर और जयसिंहपुरा से जुड़े किसानों को इसी बात की चिंता है.

पढे़ं- सांसद बेनीवाल की किसानों से अपील, कोरोना के संकट में धैर्य ना खोएं, सरकार से की विशेष राहत पैकेज की मांग

अनाज के बर्बाद होने की है चिंता

किसान राम अवतार और भगवान सहाय शर्मा के अनुसार पहले ओलावृष्टि ने फसलों को नुकसान पहुंचाया और फिर बेमौसम बरसात ने खड़ी फसलों को तहस-नहस कर दिया. उनका कहना है कि इन सबके बाद अब कोरोना के संक्रमण के कारण फसल कटाने और अनाज निकालने के बाद भी उसे मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. ऐसे में यदि फिर मौसम बिगड़ता है तो अनाज पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा.

वहीं, काश्तकार रामावतार शर्मा ने बताया कि हाल ही में हुई बेमौसम बरसात के कारण पके हुए गेहूं की फसल के दाने खराब हो गए. उन्होंने बताया कि 30 से 40 फीसदी गेहूं के दाने काले पड़ गए, जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है.

पढ़ें- Trail Successful: कोरोना के खिलाफ जंग में उतरे Robot, SMS अस्पताल में मरीजों को पहुंचा रहे दवाइयां और भोजन

काश्तकार राजेश शर्मा का कहना है, कि फसलों की कटाई के लिए पहले तो वाहन नहीं मिल रहे थे और जब आसपास के क्षेत्र से वाहन मंगवाए गए तो पता चला कि अनाज मंडी अब लॉक डाउन खत्म होने के बाद खुलेगी. राजेश का कहना है कि पहले 30 मार्च को इन मंडियों को खुलने की जानकारी समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी.

जयपुर किसान न्यूज,  Lock down in jaipur
फसल संग्रहण की चिंता

काश्तकारों ने सरकार से की मांग

वहीं, काश्तकारों ने प्रदेश सरकार से यह भी मांग की है कि कम से कम जो अनाज किसान अपने संसाधनों से संग्रहित और सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं, उन्हें गोदामों में या मंडियों तक पहुंचाने में प्रदेश सरकार किसानों की मदद करें. जिससे फसल बर्बाद नहीं हो.

अब लॉकडाउन के बाद खुलेगी मंडी

गौरतलब है कि हाल ही में प्रदेश की कुछ अनाज मंडियों को खोले जाने का निर्णय लिया गया था. इसके बाद इन मंडियों में सैनिटाइजर से छिड़काव का काम भी शुरू किया गया, लेकिन बाद में मंडियों से जुड़े व्यापारी और खाद्य पदार्थ विक्रेता संघ ने मंडियों में मुनीम, हमाल और अन्य कर्मचारियों के अपने-अपने गांव और जिलों में होने के कारण ये तय किया कि अब यह मंडियां लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के बाद ही खोली जाएगी.

पढ़ें- कामगारों का दर्द: नहीं है राशन, बचा लो सरकार

इसके बाद किसानों की परेशानी और बढ़ गई है क्योंकि फसलें पककर तैयार हो चुकी है और कई जगह की कटाई भी शुरू हो गई. किसानों को फसल को संग्रहण करने की चिंता बढ़ गई है.

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के संकट के बीच अब प्रदेश के अन्नदाताओं की भी परेशानी बढ़ गई है. मौसम साफ होते ही गेहूं, चना और जीरे के फसलों की कटाई शुरू हुई और बड़ी मुश्किलों से थ्रेशर व कटर की मशीन भी कुछ किसानों ने मंगाई. लेकिन अब किसानों के सामने अनाज और भूसे के संग्रहण करने की परेशानी आ गई है. किसानों की इसी परेशानी को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम खेतों में पहुंचकर किसानों से बातचीत की.

अन्नदाता पर आई विपदा

दरअसल, मंडिया बंद होने के कारण किसानों को फसल कटाई के बाद गेहूं, चना आदि अनाज को सुरक्षित संग्रहण करके रखना होगा. छोटे किसानों के लिए तो यह चुनौती ज्यादा बड़ी नहीं होगी, लेकिन जिन किसानों ने अधिक क्षेत्र में खेती की है उनके सामने इस फसलों को सुरक्षित संग्रहण करना बहुत बड़ी चुनौती है. जयपुर के केशोपुर और जयसिंहपुरा से जुड़े किसानों को इसी बात की चिंता है.

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अनाज के बर्बाद होने की है चिंता

किसान राम अवतार और भगवान सहाय शर्मा के अनुसार पहले ओलावृष्टि ने फसलों को नुकसान पहुंचाया और फिर बेमौसम बरसात ने खड़ी फसलों को तहस-नहस कर दिया. उनका कहना है कि इन सबके बाद अब कोरोना के संक्रमण के कारण फसल कटाने और अनाज निकालने के बाद भी उसे मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. ऐसे में यदि फिर मौसम बिगड़ता है तो अनाज पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा.

वहीं, काश्तकार रामावतार शर्मा ने बताया कि हाल ही में हुई बेमौसम बरसात के कारण पके हुए गेहूं की फसल के दाने खराब हो गए. उन्होंने बताया कि 30 से 40 फीसदी गेहूं के दाने काले पड़ गए, जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है.

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काश्तकार राजेश शर्मा का कहना है, कि फसलों की कटाई के लिए पहले तो वाहन नहीं मिल रहे थे और जब आसपास के क्षेत्र से वाहन मंगवाए गए तो पता चला कि अनाज मंडी अब लॉक डाउन खत्म होने के बाद खुलेगी. राजेश का कहना है कि पहले 30 मार्च को इन मंडियों को खुलने की जानकारी समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी.

जयपुर किसान न्यूज,  Lock down in jaipur
फसल संग्रहण की चिंता

काश्तकारों ने सरकार से की मांग

वहीं, काश्तकारों ने प्रदेश सरकार से यह भी मांग की है कि कम से कम जो अनाज किसान अपने संसाधनों से संग्रहित और सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं, उन्हें गोदामों में या मंडियों तक पहुंचाने में प्रदेश सरकार किसानों की मदद करें. जिससे फसल बर्बाद नहीं हो.

अब लॉकडाउन के बाद खुलेगी मंडी

गौरतलब है कि हाल ही में प्रदेश की कुछ अनाज मंडियों को खोले जाने का निर्णय लिया गया था. इसके बाद इन मंडियों में सैनिटाइजर से छिड़काव का काम भी शुरू किया गया, लेकिन बाद में मंडियों से जुड़े व्यापारी और खाद्य पदार्थ विक्रेता संघ ने मंडियों में मुनीम, हमाल और अन्य कर्मचारियों के अपने-अपने गांव और जिलों में होने के कारण ये तय किया कि अब यह मंडियां लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के बाद ही खोली जाएगी.

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इसके बाद किसानों की परेशानी और बढ़ गई है क्योंकि फसलें पककर तैयार हो चुकी है और कई जगह की कटाई भी शुरू हो गई. किसानों को फसल को संग्रहण करने की चिंता बढ़ गई है.

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