जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार 23 फरवरी को बजट पेश करेगी. आम बजट के साथ इस बार कृषि बजट अलग से पेश किया जाएगा. एनपीए लोन और जमीनों की नीलामी के मामलों के विवाद के बीच किसान और कृषि उपज व्यापारियों की निगाहें भी राज्य बजट पर हैं. ऐसे में कृषि से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि इस बजट में एमएसपी पर खरीद (Legal Guarantee for MSP) और कर्ज मुक्त किसान की परिकल्पना दिखे.
राष्ट्रीय लोकदल राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार सारण ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अलग से किसान बजट पेश करने की बात कही है. साथ में यह भी कहा है कि जो चाहो मांगो, ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा. यह समझ से परे है. 3 साल निकलने के बाद किसान आयोग के अध्यक्ष बनाए और बजट से 7 दिन पहले उनसे कह रहे हैं, जो कुछ मांगो मिलेगा. ऐसे कैसे एक मुख्यमंत्री बयान दे सकते हैं. हालांकि फिर भी यह राजस्थान के किसानों के लिए अच्छी बात है कि सरकार अलग से कृषि बजट पेश कर रही है.
पानी को लेकर बड़ी उम्मीद : उन्होंने कहा कि इस बजट से किसान को सबसे बड़ी उम्मीद पानी को लेकर है. इस बारे में सरकार को कुछ बड़ी घोषणा करनी होगी. सारण ने कहा कि हरियाणा सरकार से समझौता होने के बाद पानी लाने के लिए कोई बजट का आवंटन नहीं हुआ. केंद्र और राज्य के नाम पर राजनीति की जा रही है. केंद्र की गलती है, तो उसे सार्वजनिक किया जाए. राज्य की गलती है, तो उसे ठीक किया जाए. यमुना का पानी हरियाणा से 325 किलोमीटर लाना है. इस बजट में उसका आवंटन होना चाहिए. राजस्थान केनाल का पानी पूरा नहीं मिल रहा, उसका खुलासा इस बजट में होना चाहिए.
किसानों को नीलामी और कुर्की से मिले मुक्ति: इसके साथ चंबल नदी के पानी को रोक कर दक्षिणी पूर्वी 13 जिलों को पानी की समस्या से हमेशा के लिए निजात दिलाने का प्रोजेक्ट वर्षों से लंबित है. उसके समाधान की घोषणा करनी चाहिए. सारण ने कहा कि एमएसपी पूरी मिलना सुनिश्चित हो. राजस्थान सरकार भी यह कानून बना सकती है कि एमएसपी से नीचे किसान के उत्पादों की बोली मंडी में नहीं लगाई जाए जाएगी. किसानों की 5 एकड़ तक भूमि की कुर्की-नीलामी रोकने के लिए राजस्थान कृषि ऋण अधिनियम, 1974 (रोडा) कानून अवमुक्ति अधिनियम, 1957 की धारा 4 (ख) और (ड) को विलोपित करना जरूरी है. कृषि ऋणिता अवमुक्ति अधिनियम, 1957 में संशोधन कर किसानों की जमीन को नीलामी और कुर्की से मुक्त रखने की बजट में घोषणा से हो.
फसल विपणन व्यवस्था में हो बदलाव : भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री तुलछाराम सिंवर ने कहा कि बजट में फसल उत्पादन और विपणन लागत कम करने के लिए किसानों को 1 लाख 50 हजार तक का फसली ऋण बिना ब्याज देने की घोषणा बजट प्रावधान में की जाए. किसानों को फसलों का उचित मूल्य दिलाने के लिए फसल विपणन व्यवस्था में बदलाव हो. इसके साथ मंडियों में सभी फसलों के प्रसंस्करण की इकाइयां लगाकर फसलों की FAQ (औसत गुणवत्ता) तैयार कर फसलों की नीलामी तय लाभकारी मूल्य/समर्थन मूल्य से ही शुरू करने का अनिवार्य प्रावधान करके सभी मंडियों में फसलों की ग्रेडिंग और पेकिंग इकाइयों की स्थापना की जाए. किसानों के साथ फसल गुणवत्ता के नाम पर ठगी को रोक कर फसलों का उचित मूल्य दिलाया जाए.
अन्य मांगें : राजस्थान को सरसों राज्य घोषित किया जाए, क्योंकि प्रदेश में 40 लाख टन सरसों की पैदावार होती है. तेल-तिलहन और दलहन पर स्टॉक लिमिट हटाने के साथ 5 फीसदी जीएसटी से मुक्ति मिले. सरसों तेल निर्यात से रोक हटाने के प्रयास हों. मंडियों में कच्चे आढ़तियों की आढ़त कम से कम ढाई फीसदी हो. मंडियों में व्यापारिक संघ कार्यालय के लिए रियायती दर पर जमीन दी जाए. मंडियों के बाहर चीनी के थोक व्यापार पर पाबंदी लगे. मंडियों के विकास और व्यवस्थाओं में व्यापार मंडल की भूमिका सुनिश्चित करने के प्रावधान हों.
इसलिए जरूरी : राजस्थान में 80 लाख से अधिक किसान हैं. सरसों, दलहन और मोटा अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ राजस्थान में 247 कृषि उपज मंडियों और करीब 2000 तेल-दाल मिलों से पांच लाख से अधिक लोगों को सीधा रोजगार मिला हुआ है. प्रोत्साहन के अभाव से 1800 तेल मिलों में से 1200 बंद हो चुकी हैं. प्रोत्साहन के अभाव में दलहन बाहर जाने से प्रदेश की दाल मिलें पूरी क्षमता से नहीं चल रही हैं. ऐसे में प्रदेश में कृषि उपज कारोबार बढ़ाने और किसानों को अधिक पैदावार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बजट में प्रोत्साहनों की जरूरत है.
MSP का फायदा छोटे किसानों के लिए हो उपलब्ध: आंदोलन कर रहे किसानों की प्रमुख मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए. इसका मतलब यह हुआ कि कानूनी गारंटी मिलने के बाद एमएसपी के नीचे अगर किसी कारोबारी ने फसल खरीदने के लिए किसानों को बाध्य करने की कोशिश की, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. राजेंद्र शर्मा के मुताबिक सरकार को चाहिए कि छोटे किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी दी जाए और एक निश्चित सीमा से अधिक जमीन वाले किसानों (यानी बड़े किसान) को इससे बाहर रखा जा सकता है क्योंकि वे अधिक सक्षम होते हैं और अपनी फसलों को उचित दाम पर बाहर भी बेच सकते हैं. शर्मा के मुताबिक सबसे पहले छोटे किसानों को एमएसपी का फायदा दिया जाना चाहिए.
पशुपालन को भी दिया जाएगा बढ़ावा: गहलोत ने हाल ही में कहा कि राज्य सरकार खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालन को भी भरपूर बढ़ावा देने का इरादा रखती है. ऐसे में बजट से उम्मीद है कि जिलों में अधिक से अधिक दुग्ध संकलन केंद्र तथा चिलिंग सेंटर खुलें. दुधारू पशुओं की उन्नत नस्लों के संवर्धन एवं संरक्षण के सार्थक प्रयास किए जाएं, जिससे कि दूध उत्पादन के क्षेत्र में राजस्थान देश का अव्वल राज्य बने. किसान राज्य सरकार की नीतियों का फायदा उठाकर अधिक से अधिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाएं. अपनी उपज का वैल्यू एडीशन करें और उन्हें निर्यात के लिए तैयार करें. इनसे उनकी आय बढ़ेगी और वे खुशहाल बनेंगे.
कृषि क्षेत्र के लिए बनाएंगे अलग से बिजली कंपनी: मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पानी की कमी और गिरते भूजल स्तर को देखते हुए राज्य सरकार बूंद-बूंद और फव्वारा सिंचाई पद्धति को बढ़ावा दे रही है. किसान इनका अधिक से इस्तेमाल कर जल संरक्षण में अपनी सहभागिता निभाएं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि बजट में कृषि क्षेत्र के लिए अलग से बिजली कंपनी बने. हालांकि हाल ही सीएम ने कहा था कि सिंचाई के लिए रात-रात भर जागने से किसानों को होने वाली तकलीफ का एहसास सरकार को है. अब 15 जिलों में किसानों को दिन में बिजली उपलब्ध होने लगी है. हमारा प्रयास है कि ट्रांसमिशन सिस्टम विकसित कर तथा बिजली की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कर मार्च 2023 से पहले प्रदेश के सभी जिलों में किसानों को सिंचाई के लिए दिन में बिजली दी जाए.