जयपुर. कोरोना काल शिक्षा के लिए बड़ी चुनौती बनकर आया, हालांकि प्रदेश के शिक्षा महकमे ने एक उदाहरण पेश करते हुए पहले माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं कराई और एक महीने के अंदर उसका रिजल्ट भी जारी कर दिया. यही वजह है कि आज उच्च शिक्षा में छात्रों का एडमिशन हो रहा है. वहीं अब सरकारी स्कूलों के छात्रों के शैक्षणिक वर्ष की सुरक्षा, उनके अध्ययन के लिए डिजिटल तैयारी, प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर मनमानी, इन्हीं स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की दुर्दशा, शिक्षकों की ट्रांसफर पॉलिसी जैसी कई चुनौती और सवाल शिक्षा विभाग के सामने खड़े हैं. इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने के लिए ईटीवी भारत ने शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से की खास बातचीत.
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने देश में कोरोना संक्रमण का जिम्मेदार प्रधानमंत्री को ठहराया. ईटीवी भारत से शिक्षा विभाग से जुड़े सवालों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की लापरवाही से देश में कोरोना ने प्रवेश किया, क्योंकि वो लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई मध्य प्रदेश की सरकार को गिराने में व्यस्त थे. फिर भी जब स्कूल बंद हुए, परीक्षा स्थगित हुई, तब राज्य सरकार के सामने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को कराना और छात्रों को ऑनलाइन एजुकेशन देना बड़ी चुनौती थी, जिस पर पार पाते हुए पहले छात्रों की परीक्षा कराई गई और फिर आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से छात्रों को शिक्षा से जोड़े रखा. साथ ही विभाग के स्माइल प्रोजेक्ट से शिक्षकों और छात्रों के बीच सेतु बनाया.
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हालांकि राज्य सरकार के सामने सरकारी स्कूलों के छात्रों का शैक्षणिक वर्ष बचाने की एक बड़ी चुनौती है. इस पर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि फिलहाल भारत सरकार की गाइड लाइन पर स्कूलों को नहीं खोला जा रहा. ऐसे में सरकार से आग्रह किया गया है कि स्कूलों को खोलने का निर्णय राज्य सरकार पर छोड़ना चाहिए. चूंकि पूरे भारत में एक समान परिस्थितियां नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि छात्रों को कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ-साथ उनके भविष्य के साथ भी खिलवाड़ ना हो, ये राज्य सरकार की प्राथमिकता में आता है. इसी को ध्यान में रखते हुए 31 अगस्त को प्री डीएलएड का एग्जाम भी कराया गया और अभी 10वीं, 12हवीं की पूरक परीक्षाएं भी कराई जा रही हैं.
डिजिटल पढ़ाई के लिए ई-कंटेंट तैयार
इसके साथ ही सरकारी स्कूलों के छात्रों को शिक्षित करने के लिए की जा रही डिजिटल तैयारियों के बारे में बताते हुए डोटासरा ने कहा कि सरकारी स्कूलों से जुड़े शिक्षकों का विषयवार वीडियो मंगवाया गया है और एक प्राइवेट कंपनी से एमओयू कर कक्षा 1 से 12वीं तक प्रत्येक क्लास का ई-कंटेंट तैयार कर लिया गया है. जिसकी लॉन्चिंग फिलहाल राष्ट्रीय शोक होने के चलते स्थगित की गई है. राज्य सरकार इसी कंटेंट को निशुल्क उपलब्ध कराने वाली है, लेकिन प्रदेश के प्राइवेट स्कूल ई-कंटेंट और ऑनलाइन क्लास के नाम पर अभिभावकों से फीस वसूल कर रहे हैं, जिसका विरोध भी हो रहा है, जबकि राज्य सरकार ने स्कूल नहीं खुलने तक फीस नहीं वसूलने के निर्देश भी दिए हैं.
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इस पर आखिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही, इस सवाल का जवाब देते हुए डोटासरा ने कहा कि प्राइवेट फर्म यदि कोई सेवाएं देती है, तो कानूनी रूप से उसे फीस लेने का अधिकार है. हालांकि कोई भी प्राइवेट संस्थान फीस रेगुलेशन एक्ट 2016 से परे नहीं जा सकती. ऐसे में ना तो आगामी सेशन के नाम पर फीस ली जा सकती है और ना ही पिछली फीस को लेकर के अभिभावकों पर दबाव डाल सकते हैं, लेकिन यदि छात्र की कैपेसिटी बिल्टअप के लिए ऑनलाइन क्लास लेकर यदि कोई फीस ली जाती है, तो उस पर राज्य सरकार रोक नहीं लगा सकती, लेकिन आगामी सत्र के नाम पर फीस नहीं जा सकती. उन्होंने कहा कि यदि किसी पार्टिकुलर संस्थान की शिकायत आती है, तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई भी की जाएगी.
पर्टिकुलर शिकायत पर होगी कार्रवाई
डोटासरा ने दावा किया कि अब तक किसी अभिभावक के द्वारा इस तरह की शिकायत नहीं आई है. इन्हीं प्राइवेट संस्थानों पर शिक्षकों को सैलरी नहीं देने या फिर आधा वेतन देने का भी आरोप है. जिस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन शिक्षकों की सेवाएं ली जा रही हैं, उनको वेतन दिया जाए, लेकिन इस स्थिति में भी पर्टिकुलर शिकायत आने पर ही कार्रवाई की जा सकती है.
जल्द आएगी ट्रांसफर पॉलिसी
वहीं हर सरकार अपने कार्यकाल में शिक्षकों की ट्रांसफर पॉलिसी लाने का जिक्र करती है. सरकार का कार्यकाल खत्म हो जाता है, लेकिन ये पॉलिसी अब तक लंबित चल रही है. वर्तमान सरकार का भी डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. बावजूद इसके शिक्षकों को ट्रांसफर पॉलिसी का इंतजार है. इस संबंध में शिक्षा मंत्री ने कहा कि ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर के मसौदा तैयार कर लिया गया है. इस संबंध सोमवार को अधिकारियों से चर्चा के बाद सीएम के समक्ष रोड मैप रखा जाएगा. ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर के अंतिम निर्णय सीएम ही लेंगे.
बहरहाल, शिक्षा मंत्री के जवाबों से स्पष्ट है कि शिक्षकों का ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर इंतजार जल्द खत्म होगा. वहीं सरकारी स्कूलों के छात्रों को भी ई कंटेंट मिलेगा और यदि प्राइवेट स्कूल संचालकों से कोई अभिभावक या शिक्षक प्रताड़ित है, तो पर्टिकुलर शिकायत पर कार्रवाई भी होगी.