ETV Bharat / city

Exclusive: Black और White के बाद अब सामने आया Yellow Fungus लेकिन इससे घबराने की नहीं है जरूरत: डॉ. मोहनीश ग्रोवर

पोस्ट कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और येलो फंगस के केस सामने आ रहे हैं. लेकिन क्या ये फंगस सच में खतरनाक हैं और अलग-अलग रंग के फंगस एक दूसरे से कैसे अलग हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने एसएमएस अस्पताल म्यूकर माइकोसिस बोर्ड के कन्वीनर डॉ. मोहनीश ग्रोवर से बातचीत की. पढे़ं पूरी रिपोर्ट...

black fungus,  black fungus symptoms
ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, येलो फंगस
author img

By

Published : May 25, 2021, 8:21 PM IST

Updated : May 26, 2021, 12:20 AM IST

जयपुर. कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश जूझ रहा है. इसी बीच ब्लैक फंगस फिर व्हाइट फंगस और अब येलो फंगस के आतंक से लोग भयभीत हैं. गाजियाबाद में येलो फंगस के एक मरीज की पुष्टि हुई है. जो कोरोना संक्रमित होने के साथ डायबिटीज का भी पेशेंट है. आखिर ये येलो फंगस क्या है, कितना खतरनाक है और इसके क्या लक्षण हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मोहनीश ग्रोवर से बात की.

डॉ. मोहनीश ग्रोवर Exclusive-1

पढे़ं: डॉक्टरों से जानिए कितनी जानलेवा है ब्लैक फंगस बीमारी ?

फंगस कितने रंगों के होते हैं

भारत में फिलहाल पोस्ट कोविड केसों में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. एसएमएस अस्पताल में म्यूकर माइकोसिस बोर्ड भी बनाया गया है. जिसमें 12 एक्सपर्ट जांच और एनालाइज कर ट्रीटमेंट कर रहे हैं. इसी बोर्ड के कन्वीनर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि और कलर फंगस को लेकर बहुत सी धारणाएं हैं. ऐसे में इसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है. फंगस कई रंग की हो सकती है. लेकिन रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता. जहां तक ब्लैक फंगस की बात है, जिसे म्यूकर माइकोसिस है, उस फंगस का रंग असल में व्हाइट है. लेकिन उसे ब्लैक फंगस बोलने के पीछे कारण है कि उससे होने वाले घाव काले रंग के हैंं. क्योंकि उस जगह की ब्लड सप्लाई बंद हो रही है, ऐसे में खून नहीं पहुंचने से वो जगह गल कर काला रंग ले लेती है.

येलो फंगस का सच क्या है

मोहनीश ग्रोवर ने कहा कि व्हाइट फंगस मामूली फंगस है, जो पहले भी कई मरीजों में देखने को मिला है. लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है और जहां तक बात येलो फंगस की है, जो हाल ही में इंट्रोड्यूस हुई है. इससे बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. और ना ही इन फंगसों के बहुत जल्दी शरीर में फैलने की संभावना है. येलो फंगस के लक्षण भी दूसरे फंगस के समान ही हैं. जिसका असर सबसे पहले नाक और साइनस पर देखने को मिलता है. येलो फंगस वाकई में एक्जिस्ट करती भी है या नहीं ये कहना जल्दबाजी होगी. क्योंकि फिलहाल इस पर शोध चल रहा है.

ब्लैक फंगस क्यों है चिंता का सबब

डॉक्टर मोहनीश ग्रोवर ने कहा कि इन सबके बीच ब्लैक फंगस चिंता का सबब बना हुआ है. जिसका बड़ा कारण ये है कि अब कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं जिसमें मरीज के ना तो डायबिटीज थी और ना ही स्टेरॉइड ज्यादा लिया गया था. अभी भी 90 से 95% मरीज वहीं हैं, जिन्हें कोरोना के साथ डायबिटीज रहा या ज्यादा स्टेरॉइड ली गई. लेकिन ये संभावना हमेशा रहती है कि जिस में भी इम्यूनिटी कम होगी, उसको ब्लैक फंगस हो सकता है. ऐसे में यदि कोरोना के बाद नाक में भारीपन, दांत में दर्द, चेहरे और आंख में भारीपन या सूजन जैसे लक्षण आते हैं तो उस स्थिति में ध्यान रखने की आवश्यकता है. लेकिन ब्लैक फंगस की अधिकतम वजह डायबिटीज या स्टेरॉइड ही हैं.

डॉ. मोहनीश ग्रोवर Exclusive-2

दूसरी लहर में फंगस के केस क्यों आ रहे हैं सामने

कोरोना की पहली लहर में ऐसे किसी फंगस के मामले सामने नहीं आए थे. लेकिन इस बार फंगस डिजीज की शिकायत आने के सवाल पर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने कहा कि फिलहाल इस पर गंभीर शोध चल रहा है. लेकिन अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उनके अनुसार पहली स्ट्रेन और दूसरी स्ट्रेन में फर्क है. दूसरी लहर में कई लोगों ने घर पर रहकर उपचार करवाया और घर पर रहकर स्टेरॉइड का भी इस्तेमाल किया. चूंकि वो घर पर रहकर दवाई ले रहे थे, ऐसे में शुगर लेवल की मॉनिटरिंग नहीं हो पाई. यही नहीं ह्यूमेडिफायर ऑक्सिजनेशन ज्यादा करना पड़ा. जिसका पानी भी यदि पुराना हो या उसने भी कोई इंफेक्शन है तो वो भी एक वजह हो सकता है. और एक बड़ा कारण कोरोना संक्रमण के दूसरे स्ट्रेन से कम होने वाली इम्यूनिटी भी हो सकती है.

ब्लैक फंगस होने पर तत्काल करवाएं इलाज

डॉ. ग्रोवर ने कहा कि फंगस होने के ऐसे में कई कारण हो सकते हैं, जिन पर फिलहाल शोध किया जा रहा. इसके साथ ही दुनिया में हरे रंग के फंगस के सबसे ज्यादा केस देखने को मिलते हैं. लेकिन इन फंगस से घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है, और ना ही कौन सी फंगस किस रंग की है ये जानने का समय है. जरूरत इस बात की है कि फंगस जितनी भी है, ज्यादातर का बहुत अच्छा इलाज संभव है. सिर्फ म्यूकर माइकोसिस जिसे ब्लैक फंगस कहते हैं, उसका इलाज समय पर और तेजी से लेने की आवश्यकता है.

जयपुर. कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश जूझ रहा है. इसी बीच ब्लैक फंगस फिर व्हाइट फंगस और अब येलो फंगस के आतंक से लोग भयभीत हैं. गाजियाबाद में येलो फंगस के एक मरीज की पुष्टि हुई है. जो कोरोना संक्रमित होने के साथ डायबिटीज का भी पेशेंट है. आखिर ये येलो फंगस क्या है, कितना खतरनाक है और इसके क्या लक्षण हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मोहनीश ग्रोवर से बात की.

डॉ. मोहनीश ग्रोवर Exclusive-1

पढे़ं: डॉक्टरों से जानिए कितनी जानलेवा है ब्लैक फंगस बीमारी ?

फंगस कितने रंगों के होते हैं

भारत में फिलहाल पोस्ट कोविड केसों में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. एसएमएस अस्पताल में म्यूकर माइकोसिस बोर्ड भी बनाया गया है. जिसमें 12 एक्सपर्ट जांच और एनालाइज कर ट्रीटमेंट कर रहे हैं. इसी बोर्ड के कन्वीनर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि और कलर फंगस को लेकर बहुत सी धारणाएं हैं. ऐसे में इसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है. फंगस कई रंग की हो सकती है. लेकिन रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता. जहां तक ब्लैक फंगस की बात है, जिसे म्यूकर माइकोसिस है, उस फंगस का रंग असल में व्हाइट है. लेकिन उसे ब्लैक फंगस बोलने के पीछे कारण है कि उससे होने वाले घाव काले रंग के हैंं. क्योंकि उस जगह की ब्लड सप्लाई बंद हो रही है, ऐसे में खून नहीं पहुंचने से वो जगह गल कर काला रंग ले लेती है.

येलो फंगस का सच क्या है

मोहनीश ग्रोवर ने कहा कि व्हाइट फंगस मामूली फंगस है, जो पहले भी कई मरीजों में देखने को मिला है. लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है और जहां तक बात येलो फंगस की है, जो हाल ही में इंट्रोड्यूस हुई है. इससे बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. और ना ही इन फंगसों के बहुत जल्दी शरीर में फैलने की संभावना है. येलो फंगस के लक्षण भी दूसरे फंगस के समान ही हैं. जिसका असर सबसे पहले नाक और साइनस पर देखने को मिलता है. येलो फंगस वाकई में एक्जिस्ट करती भी है या नहीं ये कहना जल्दबाजी होगी. क्योंकि फिलहाल इस पर शोध चल रहा है.

ब्लैक फंगस क्यों है चिंता का सबब

डॉक्टर मोहनीश ग्रोवर ने कहा कि इन सबके बीच ब्लैक फंगस चिंता का सबब बना हुआ है. जिसका बड़ा कारण ये है कि अब कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं जिसमें मरीज के ना तो डायबिटीज थी और ना ही स्टेरॉइड ज्यादा लिया गया था. अभी भी 90 से 95% मरीज वहीं हैं, जिन्हें कोरोना के साथ डायबिटीज रहा या ज्यादा स्टेरॉइड ली गई. लेकिन ये संभावना हमेशा रहती है कि जिस में भी इम्यूनिटी कम होगी, उसको ब्लैक फंगस हो सकता है. ऐसे में यदि कोरोना के बाद नाक में भारीपन, दांत में दर्द, चेहरे और आंख में भारीपन या सूजन जैसे लक्षण आते हैं तो उस स्थिति में ध्यान रखने की आवश्यकता है. लेकिन ब्लैक फंगस की अधिकतम वजह डायबिटीज या स्टेरॉइड ही हैं.

डॉ. मोहनीश ग्रोवर Exclusive-2

दूसरी लहर में फंगस के केस क्यों आ रहे हैं सामने

कोरोना की पहली लहर में ऐसे किसी फंगस के मामले सामने नहीं आए थे. लेकिन इस बार फंगस डिजीज की शिकायत आने के सवाल पर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने कहा कि फिलहाल इस पर गंभीर शोध चल रहा है. लेकिन अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उनके अनुसार पहली स्ट्रेन और दूसरी स्ट्रेन में फर्क है. दूसरी लहर में कई लोगों ने घर पर रहकर उपचार करवाया और घर पर रहकर स्टेरॉइड का भी इस्तेमाल किया. चूंकि वो घर पर रहकर दवाई ले रहे थे, ऐसे में शुगर लेवल की मॉनिटरिंग नहीं हो पाई. यही नहीं ह्यूमेडिफायर ऑक्सिजनेशन ज्यादा करना पड़ा. जिसका पानी भी यदि पुराना हो या उसने भी कोई इंफेक्शन है तो वो भी एक वजह हो सकता है. और एक बड़ा कारण कोरोना संक्रमण के दूसरे स्ट्रेन से कम होने वाली इम्यूनिटी भी हो सकती है.

ब्लैक फंगस होने पर तत्काल करवाएं इलाज

डॉ. ग्रोवर ने कहा कि फंगस होने के ऐसे में कई कारण हो सकते हैं, जिन पर फिलहाल शोध किया जा रहा. इसके साथ ही दुनिया में हरे रंग के फंगस के सबसे ज्यादा केस देखने को मिलते हैं. लेकिन इन फंगस से घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है, और ना ही कौन सी फंगस किस रंग की है ये जानने का समय है. जरूरत इस बात की है कि फंगस जितनी भी है, ज्यादातर का बहुत अच्छा इलाज संभव है. सिर्फ म्यूकर माइकोसिस जिसे ब्लैक फंगस कहते हैं, उसका इलाज समय पर और तेजी से लेने की आवश्यकता है.

Last Updated : May 26, 2021, 12:20 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.