जयपुर. प्रशासनिक विभागों में कर्मचारियों और अधिकारियों के रिटायरमेंट बाद भी अपने चहेतों को पुनर्नियुक्ति पर रख लिया जाता है. आलम यह है कि बिना आवश्यकता के इन कर्मचारियों और अधिकारियों को पुनर्नियुक्ति पर कार्मिक विभाग सवाल नहीं उठा दे, लिहाजा संबंधित विभाग इसके आंकड़े और सूचना देने से कन्नी काटते रहे हैं. लेकिन अब डीओपी ने सभी विभागों से पुनर्नियुक्ति संबंधी जानकारी मांगी ली है.
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सरकारी महकमों में कैसे अपने चहेतों पर मेहरबानी होती है, इसकी बानगी एक बार फिर सामने आई. कार्मिक विभाग ने पिछले दिनों सभी विभागों के विभागाध्यक्ष को रिमाइंडर लेटर लिखा है, जिसमें उन कर्मचारियों और अधिकारियों की पूर्ण सूची मांगी है जिन्हें सेवानिवृत्ति के बाद भी पुनर्नियुक्ति पर लगा लिया है. रिमाइंडर लेटर में बताया गया कि जिन विभागों और कार्यालयों से सेवानिवृत हुए अधिकारियों, कर्मचारियों को पुनर्नियुक्ति दी गई है, उनकी सूचना तुरंत भिजवाई जाए. हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है, इससे पहले भी विभागों में कर्मचारियों और अधिकारियों के रिटायरमेंट बाद पुनर्नियुक्ति को लेकर जानकारी मांगी गई है. लेकिन, विभाग आंकड़े और सूचना देने से बचते रहे हैं.
यह मांगी गई सूचना
कार्मिक विभाग ने सभी विभागों से वर्ष 2015 से अगस्त 2021 तक पुनर्नियुक्त किए गए कार्मिकों की सूची मांगी है.
पुनर्नियुक्ति देने से पहले क्या नियमों की पालना करते हुए मुख्यमंत्री से मंजूरी ली गई.
सेवानिवृत कार्मिकों की पुनर्नियुक्ति उस विभाग में रिक्त पद के विरुद्ध की गई.
क्या ऐसे अधिकारी-कर्मचारी को नियुक्त किया गया है, जिसके विरुद्ध विभागीय जांच चल रही हो.
क्या कहते हैं नियम
दरअसल, किसी भी सेवानिवृत्त अधिकारी या कर्मचारी को पुनर्नियुक्ति पर रखने के लिए मुख्यमंत्री स्तर तक फाइल भेजी जाती है. मुख्यमंत्री की अनुमति मिलने के बाद ही पुनर्नियुक्ति दी जा सकती है. पुनर्नियुक्ति देने के बाद सभी विभागों को इसकी पूरी जानकारी भी कार्मिक विभाग को भेजनी होती है, लेकिन यहां विभाग ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं.
6 साल से नहीं दी सूचना
सरकारी विभागों से सेवानिवृत्ति के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों को राज्य के अलग-अलग महकमों में पुनर्नियुक्ति देने के प्रकरणों की सूचना देने के लिए विभागों को बार-बार पत्र लिखा जा चुका है. लेकिन इसके बावजूद विभागों में यह सूचना कार्मिक विभाग को नहीं मिल रही है. आंकड़ों पर नजर डालें तो कार्मिक विभाग के बार-बार मांगने पर भी अधिकतर विभागों से 6 साल में पुनर्नियुक्त हुए अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी नहीं दी है.