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Reality Check: साहब हम तो जैसे तैसे गुजारा कर लेंगे...पर इन बेजुबानों का क्या होगा?

ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक के लिए जयपुर के दूदू विधानसभा क्षेत्र के उरसेवा गांव का दौरा किया. इस दौरान ग्रामीणों में अपनी-अपनी समस्याएं बताने की होड़ दिखी. ग्रामीणों ने बताया कि लॉकडाउन के ऐलान के बाद अचानक उनके लिए परेशानियों का पहाड़ खड़ा हो गया है.

Urseva Village News, कोविड 19
उरसेवा गांव का रियलिटी चेक
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Published : Apr 15, 2020, 1:21 PM IST

जयपुर. कोरोना संक्रमण को पैर पसारने से रोकने के लिए देश में लॉकडाउन का दूसरा दौर 3 मई तक घोषित किया गया है. इन हालात में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर हर शख्स आर्थिक हालात को लेकर चिंता के बीच फंसा हुआ है. ऐसे हालात में ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक के लिए जयपुर के दूदू विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया. राजधानी से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद उरसेवा गांव के लोगों से बात की और वहां की वर्तमान हालात को जाना.

उरसेवा गांव का रियलिटी चेक-1

देशव्यापी लॉकडाउन के बीच ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति और गांव के हालात जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम लगातार प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा कर रही है. ईटीवी भारत की टीम उरसेवा गांव पहुंची तो ग्रामीणों में अपनी-अपनी समस्याएं बताने की होड़ देखी गई.

पढ़ें- ऐसे कर्मवीरों को सलाम...21 दिन बाद पहुंची घर, कलेजे के टुकड़े को दूर से ही दुलारने के बाद फिर लौटी फर्ज अदा करने

ईटीवी भारत की टीम ने ग्रामीणों से सोशल डिस्टेंसिंग की पालना का भरोसा लिया और फिर ग्रामीण सेवा केंद्र पर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए अलग-अलग वर्गों से संवाद किया. ग्रामीणों का कहना था, कि लॉकडाउन के ऐलान के बाद अचानक उनके लिए परेशानियों का पहाड़ खड़ा हो गया है. खासतौर पर रोज काम करके घर का गुजारा करने वाले एक बड़े वर्ग के सामने ज्यादा परेशानियां थी.

उरसेवा गांव का रियलिटी चेक-1

किसानों की ये है परेशानी

ग्रामीणों से जब पूछा गया कि किस तरह की परेशानी है और लॉकडाउन से क्या असर पड़ रहा है तो खेती और पशुपालन से जुड़े लोगों की चिंता निकलकर सामने आई. जहां तक खेती वालों का सवाल है उनके लिए अब भी तमाम सरकारी दावों के बावजूद कटी फसल के लिए वरदाना और इसे मंडी तक लेकर जाना चुनौती भरा सवाल था.

पशुपालकों की चिंता...

लॉकडाउन के दौरान पशुपालकों की चिंता यह थी की दूध का उत्पादन पहले जैसा ही है, परंतु सरकारी खरीद में 2 से 3 रुपए की कटौती कर दी गई है. साथ ही उनका पूरा दूध अभी नहीं बिक पाता है. ऊपर से चारे की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो पाई है.

दिहाड़ी मजदूर हैं परेशान

इस दौरान दिहाड़ी मजदूर भी परेशान दिखे. जयपुर में जारी निर्माण कार्यों में यह लोग रोजाना के तय मेहनताने पर काम करके गुजारा कर लिया करते थे. लॉकडाउन के पहले फेज में मजदूरों ने जो जमा पूंजी की थी, वह खर्च हो गई. ये मजदूर अब अपना गुजारा कैसे करेंगे, यह सबसे बड़ी परेशानी है.

युवा भी हैं परेशान

वहीं, युवा जो कि शहर के अलग-अलग हिस्सों में जाकर नौकरी कर रहे थे वह भी गांव लौट कर आ गए हैं. वे अब रोजमर्रा के खर्चे के लिए परेशान नजर आ रहे हैं. वहीं, पंडिताई करने वाले एक शख्स ने बताया कि नवरात्रा के बाद से अब तक के सभी शुभ कार्यों को कोरोना को हराने के लिए सरकारी आह्वान पर टाल दिया गया है. शादी भी अब बहुत आगे के लिए टाल दिए गए हैं. ऐसी परिस्थितियों में उनकी मजदूरी का जो काम है वह ठप हो चुका है और घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

पढ़ें- SPECIAL: अजमेर की पहली ऐसी ग्राम पंचायत जहां CCTV से हो रही है निगरानी

दूदू विधानसभा क्षेत्र के इस गांव की स्थिति जानने के बाद यह सामने आया कि गांव वाले दानवीर और भामाशाह की मदद से अपना खर्चा चला रहे हैं. लेकिन उनके पास सरकारी मदद का अब तक कोई जरिया नजर नहीं आ रहा है.

जयपुर. कोरोना संक्रमण को पैर पसारने से रोकने के लिए देश में लॉकडाउन का दूसरा दौर 3 मई तक घोषित किया गया है. इन हालात में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर हर शख्स आर्थिक हालात को लेकर चिंता के बीच फंसा हुआ है. ऐसे हालात में ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक के लिए जयपुर के दूदू विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया. राजधानी से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद उरसेवा गांव के लोगों से बात की और वहां की वर्तमान हालात को जाना.

उरसेवा गांव का रियलिटी चेक-1

देशव्यापी लॉकडाउन के बीच ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति और गांव के हालात जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम लगातार प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा कर रही है. ईटीवी भारत की टीम उरसेवा गांव पहुंची तो ग्रामीणों में अपनी-अपनी समस्याएं बताने की होड़ देखी गई.

पढ़ें- ऐसे कर्मवीरों को सलाम...21 दिन बाद पहुंची घर, कलेजे के टुकड़े को दूर से ही दुलारने के बाद फिर लौटी फर्ज अदा करने

ईटीवी भारत की टीम ने ग्रामीणों से सोशल डिस्टेंसिंग की पालना का भरोसा लिया और फिर ग्रामीण सेवा केंद्र पर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए अलग-अलग वर्गों से संवाद किया. ग्रामीणों का कहना था, कि लॉकडाउन के ऐलान के बाद अचानक उनके लिए परेशानियों का पहाड़ खड़ा हो गया है. खासतौर पर रोज काम करके घर का गुजारा करने वाले एक बड़े वर्ग के सामने ज्यादा परेशानियां थी.

उरसेवा गांव का रियलिटी चेक-1

किसानों की ये है परेशानी

ग्रामीणों से जब पूछा गया कि किस तरह की परेशानी है और लॉकडाउन से क्या असर पड़ रहा है तो खेती और पशुपालन से जुड़े लोगों की चिंता निकलकर सामने आई. जहां तक खेती वालों का सवाल है उनके लिए अब भी तमाम सरकारी दावों के बावजूद कटी फसल के लिए वरदाना और इसे मंडी तक लेकर जाना चुनौती भरा सवाल था.

पशुपालकों की चिंता...

लॉकडाउन के दौरान पशुपालकों की चिंता यह थी की दूध का उत्पादन पहले जैसा ही है, परंतु सरकारी खरीद में 2 से 3 रुपए की कटौती कर दी गई है. साथ ही उनका पूरा दूध अभी नहीं बिक पाता है. ऊपर से चारे की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो पाई है.

दिहाड़ी मजदूर हैं परेशान

इस दौरान दिहाड़ी मजदूर भी परेशान दिखे. जयपुर में जारी निर्माण कार्यों में यह लोग रोजाना के तय मेहनताने पर काम करके गुजारा कर लिया करते थे. लॉकडाउन के पहले फेज में मजदूरों ने जो जमा पूंजी की थी, वह खर्च हो गई. ये मजदूर अब अपना गुजारा कैसे करेंगे, यह सबसे बड़ी परेशानी है.

युवा भी हैं परेशान

वहीं, युवा जो कि शहर के अलग-अलग हिस्सों में जाकर नौकरी कर रहे थे वह भी गांव लौट कर आ गए हैं. वे अब रोजमर्रा के खर्चे के लिए परेशान नजर आ रहे हैं. वहीं, पंडिताई करने वाले एक शख्स ने बताया कि नवरात्रा के बाद से अब तक के सभी शुभ कार्यों को कोरोना को हराने के लिए सरकारी आह्वान पर टाल दिया गया है. शादी भी अब बहुत आगे के लिए टाल दिए गए हैं. ऐसी परिस्थितियों में उनकी मजदूरी का जो काम है वह ठप हो चुका है और घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

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दूदू विधानसभा क्षेत्र के इस गांव की स्थिति जानने के बाद यह सामने आया कि गांव वाले दानवीर और भामाशाह की मदद से अपना खर्चा चला रहे हैं. लेकिन उनके पास सरकारी मदद का अब तक कोई जरिया नजर नहीं आ रहा है.

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