जयपुर. पांच साल तक की सजा से दंडित अपराधों में आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करने के संबंध में प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अपराध की ओर से जारी आदेश को कुछ घंटे बाद ही वापस ले लिया गया है. पूर्व में ADG क्राइम ने आदेश जारी कर अपने मातहतों को निर्देश दिए थे कि उन मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाए, जिसमे पांच साल तक की सजा का प्रावधान है.
इस खबर का हुआ असर : Exclusive: एडीजी क्राइम से हाईकोर्ट के आदेश समझने में हुई भूल
एडीजी रविप्रकाश ने यह आदेश हाईकोर्ट की ओर से दिए एक आदेश की गलत व्याख्या कर जारी किए गए थे. इसके बाद ईटीवी भारत ने 'एडीजी क्राइम से हाइकोर्ट के आदेश समझने में हुई भूल' शीर्षक से समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था. जिसमें बताया गया कि किस तरह ADG ने हाइकोर्ट के आदेश को समझने में भूल की है.
समाचार प्रकाशित होने के करीब 3 घंटे के भीतर ही ADG कार्यालय से संशोधित आदेश जारी कर कहा गया कि पांच साल की सजा के मामलों में गिरफ्तार नहीं करने के आदेश को निरस्त कर तीन साल तक की सजा के मामलों में गिरफ्तार नहीं करने के आदेश को बहाल किया जा रहा है.
दरअसल, हाइकोर्ट ने थानसिंह की अग्रिम जमानत याचिका पर गत 17 मई को सुनवाई करते हुए कहा था कि आरोपी के विरुद्ध दर्ज मामले में अधिकतम सजा तीन साल तक की है. इसके साथ ही अदालत ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए डीजीपी को आदेश दिए थे कि वह तीन साल तक की सजा के अपराधों में आरोपियों को 17 जुलाई तक गिरफ्तार नहीं करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करे. इसकी पालना में ADG रविप्रकाश ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करने के आदेश जारी कर दिए.
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दूसरी ओर अदालत की जानकारी में आया कि थानसिंह के विरुद्ध दर्ज मामले में अधिकतम पांच साल तक की सजा का प्रावधान है. इस पर अदालत ने पूर्व के आदेश में संशोधन करते हुए याचिकाकर्ता के संबंध में लिखे तथ्य में संशोधन करते हुए उसे तीन के स्थान पर पांच साल कर दिया. ADG को अदालत की ओर से आदेश में संशोधन करने की जानकारी मिलने पर उन्होंने बिना परीक्षण किए मशीनी अंदाज में अपने आदेश को संशोधित कर पांच साल वाले अपराधों में गिरफ्तार नहीं करने के आदेश दे दिए.