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Ground Report Hingonia Gaushala: गोशाला में नहीं बन पा रहे शेड और नए बाड़े, चारा भी महंगा...दोनों निगमों पर है पांच करोड़ बकाया

राजधानी जयपुर की हिंगौनिया गोशाला (Hingonia Gaushala Jaipur) में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन निगमों की ओर से हर माह भुगतान न किए जाने से गोवंशों की देखरेख में परेशानी हो रही है. ट्रस्ट की ओर से खुद ही धन एकत्र कर काम चलाया जा रहा है. कई बार शिकायत के बाद भी गोशाला के लिए अनुदान राशि नहीं दी जा रही है. ग्रेटर और हैरिटेज निगम पर गोशाला को देने वाली 5 करोड़ रुपये अभी भी बकाया है. गोशाला में गोवंश भी लगातार बढ़ रहे हैं जिससे उनके लिए की जाने वाली व्यवस्था में भी दिक्कत हो रही है. देखें रिपोर्ट...

Ground Report Hingonia Gaushala
निगमों पर बकाया हिंगौनिया गोशाला का अनुदान
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Published : May 1, 2022, 11:10 PM IST

जयपुर. साल 2016 में हिंगोनिया गोशाला (Hingonia Gaushala Jaipur) में बारिश की वजह से पशु बाड़ों में कीचड़ में फंसने से सैकड़ों गोवंश काल का ग्रास बन गए थे. उस वक्त इस गोशाला का संचालन जयपुर नगर निगम के जिम्मे था. गायों की मौत की वजह से मचे हंगामे के बाद तत्कालीन बीजेपी सरकार ने गोशाला का संचालन श्री कृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट को सौंप दिया था. तभी से यहां व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी भी हर दिन तकरीबन 40 से 45 गोवंश यहां लाए जा रहे हैं. इस कारण लगातार बढ़ रही गोवंशों की संख्या की तुलना में बाड़े अपर्याप्त (Sheds and new enclosures work pending in Hingonia Gaushala) पड़ रहे हैं. आलम ये है कि अभी भी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के बजाय ग्रेटर नगर निगम और हेरिटेज निगम ट्रस्ट को भुगतान नहीं कर रहा है. दोनों पर 5 करोड़ रुपये का बकाया हो चुका है.

जयपुर की सबसे बड़ी हिंगोनिया गोशाला की तरफ शहर के दोनों निगम ने उदासीन रवैया अपना रखा है या यूं कहें कि गोशाला का काम देख रहे ट्रस्ट को नगर निगम भुगतान करने के मूड में नहीं. हिंगोनिया गोशाला में बढ़ती गोवंश की संख्या के साथ नगर निगम पर बकाया बढ़ता जा रहा है. इससे गायों की सही तरह से देखरेख करना कठिन होता जा रहा है. ऊपर से हर दिन शहर से आने वाले करीब 40 से 45 गोवंश से अब यहां संख्या 13 हज़ार 100 पहुंच गई है जिसकी वजह से गोवंश को पर्याप्त चारा और बाट उपलब्ध कराना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.

निगमों पर बकाया हिंगौनिया गोशाला का अनुदान

पढ़ें. चूरू की मॉडल गोशाला: यहां गोवंश पीते हैं RO का पानी और खाते हैं ऑर्गेनिक चारा...पक्षियों के लिए भी 9 मंजिला घर

आलम ये है कि अभी भी कई बाड़ों में शेड नहीं लगाए जा सके हैं और अब गोवंश की बढ़ती संख्या के चलते यहां मौजूद 55 बाड़े भी कम पड़ने लगे हैं. गर्मी के इस दौर में गोवंश के वर्तमान हालातों को जानने के लिए ईटीवी भारत हिंगोनिया गोशाला पहुंचा. यहां देखने को मिला कि बाड़ों की फर्श अब ब्रिक्स से बना दी गई है. ताकि मानसून के दौरान 2016 की स्थिति ना बने. वहीं काफी बाड़ों में शेड भी लगा दिए गए हैं. यही नहीं करंट जैसी स्थिति पैदा न हो इसके लिए बाड़ों में सोलर लाइट लगाई गई है. यहां हर दिन शहर और आसपास से 40 से 45 गोवंश लाए जाते हैं. नतीजन यहां गोवंश की संख्या अब 13 हजार से ज्यादा पहुंची है जिनके लिए मौजूदा शेड वाले बाड़े नाकाफी साबित हो रहे हैं.

Hingonia Gaushala Jaipur
हिंगौनिया गोशाला

पढ़ें. जानिए कहां बिछाए गए गायों के लिए गद्दे

ईटीवी भारत से बातचीत में गोशाला के प्रबंधक व श्री कृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट के प्रेम आनंद ने बताया कि अक्टूबर 2016 में यहां का काम ट्रस्ट ने संभाला था. उस वक्त बाड़ों में मौजूद कीचड़ सबसे बड़ी चुनौती थी जिसके लिए एक कैंपेन चलाकर डोनेशन इकट्ठा किया गया और फिर दो से ढाई करोड़ रुपए लगाकर 80 फीसदी बाड़ों में ब्रिक वर्क कराया गया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में गायों की संख्या के हिसाब से शेड वाले बाड़े मौजूद नहीं हैं. इस संबंध में नगर निगम को अवगत भी कराया गया है. हालांकि इस पर अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया है.

Ground Report Hingonia Gaushala
गोशाला में बढ़ रही संख्या

पढ़ें. SPECIAL: गायों का 'स्वीट होम' है मारोठ की गोशाला, चारा-पानी और बेहतर इलाज की भी है व्यवस्था

गोवंश के लिए ट्रस्ट अपने स्तर पर हरा चारा उगा रहा है लेकिन जहां तक सूखे चारे की बात है तो उसके लिए सरकार से जब अनुबंध हुआ तब से अब तक भाव दोगुने हो चुके हैं. संस्थान को चारे को लेकर ₹6.20 मिलते हैं और आज खुले बाजार में चारा ₹12 से कम उपलब्ध नहीं है. गोशाला में हर दिन लगभग 60 टन चारा और 15 हज़ार किलो बाट (पशु आहार) की जरूरत होती है. ऐसे में फिलहाल गोवंश को पर्याप्त आहार उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती बना हुआ है.

प्रेम आनंद ने निगम से मिलने वाले भुगतान को लेकर वर्तमान स्थिति का खुलासा करते हुए कहा कि शहर के दोनों निगमों पर करीब 5 करोड़ रुपए का बकाया चल रहा है. ग्रेटर नगर निगम पर 1 महीने का अनुदान 1 करोड़ 33 लाख रुपए बकाया है, जबकि हेरिटेज नगर निगम से करीब 4 महीने से भुगतान नहीं मिला है. हेरिटेज से 3 करोड़ 66 लाख रुपए आना अभी बाकी है. भुगतान नहीं होने की वजह से ट्रस्ट यहां बाड़ों में बचा हुआ शेड कार्य और नए बाड़ों का निर्माण कार्य नहीं करा पा रहा. बहरहाल, हिंगोनिया गोशाला में तकरीबन 2000 गोवंश के लिए बाड़े और पर्याप्त शेड की आवश्यकता है ताकि गर्मी और बारिश से उन्हें बचाया जा सके.

जयपुर. साल 2016 में हिंगोनिया गोशाला (Hingonia Gaushala Jaipur) में बारिश की वजह से पशु बाड़ों में कीचड़ में फंसने से सैकड़ों गोवंश काल का ग्रास बन गए थे. उस वक्त इस गोशाला का संचालन जयपुर नगर निगम के जिम्मे था. गायों की मौत की वजह से मचे हंगामे के बाद तत्कालीन बीजेपी सरकार ने गोशाला का संचालन श्री कृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट को सौंप दिया था. तभी से यहां व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी भी हर दिन तकरीबन 40 से 45 गोवंश यहां लाए जा रहे हैं. इस कारण लगातार बढ़ रही गोवंशों की संख्या की तुलना में बाड़े अपर्याप्त (Sheds and new enclosures work pending in Hingonia Gaushala) पड़ रहे हैं. आलम ये है कि अभी भी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के बजाय ग्रेटर नगर निगम और हेरिटेज निगम ट्रस्ट को भुगतान नहीं कर रहा है. दोनों पर 5 करोड़ रुपये का बकाया हो चुका है.

जयपुर की सबसे बड़ी हिंगोनिया गोशाला की तरफ शहर के दोनों निगम ने उदासीन रवैया अपना रखा है या यूं कहें कि गोशाला का काम देख रहे ट्रस्ट को नगर निगम भुगतान करने के मूड में नहीं. हिंगोनिया गोशाला में बढ़ती गोवंश की संख्या के साथ नगर निगम पर बकाया बढ़ता जा रहा है. इससे गायों की सही तरह से देखरेख करना कठिन होता जा रहा है. ऊपर से हर दिन शहर से आने वाले करीब 40 से 45 गोवंश से अब यहां संख्या 13 हज़ार 100 पहुंच गई है जिसकी वजह से गोवंश को पर्याप्त चारा और बाट उपलब्ध कराना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.

निगमों पर बकाया हिंगौनिया गोशाला का अनुदान

पढ़ें. चूरू की मॉडल गोशाला: यहां गोवंश पीते हैं RO का पानी और खाते हैं ऑर्गेनिक चारा...पक्षियों के लिए भी 9 मंजिला घर

आलम ये है कि अभी भी कई बाड़ों में शेड नहीं लगाए जा सके हैं और अब गोवंश की बढ़ती संख्या के चलते यहां मौजूद 55 बाड़े भी कम पड़ने लगे हैं. गर्मी के इस दौर में गोवंश के वर्तमान हालातों को जानने के लिए ईटीवी भारत हिंगोनिया गोशाला पहुंचा. यहां देखने को मिला कि बाड़ों की फर्श अब ब्रिक्स से बना दी गई है. ताकि मानसून के दौरान 2016 की स्थिति ना बने. वहीं काफी बाड़ों में शेड भी लगा दिए गए हैं. यही नहीं करंट जैसी स्थिति पैदा न हो इसके लिए बाड़ों में सोलर लाइट लगाई गई है. यहां हर दिन शहर और आसपास से 40 से 45 गोवंश लाए जाते हैं. नतीजन यहां गोवंश की संख्या अब 13 हजार से ज्यादा पहुंची है जिनके लिए मौजूदा शेड वाले बाड़े नाकाफी साबित हो रहे हैं.

Hingonia Gaushala Jaipur
हिंगौनिया गोशाला

पढ़ें. जानिए कहां बिछाए गए गायों के लिए गद्दे

ईटीवी भारत से बातचीत में गोशाला के प्रबंधक व श्री कृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट के प्रेम आनंद ने बताया कि अक्टूबर 2016 में यहां का काम ट्रस्ट ने संभाला था. उस वक्त बाड़ों में मौजूद कीचड़ सबसे बड़ी चुनौती थी जिसके लिए एक कैंपेन चलाकर डोनेशन इकट्ठा किया गया और फिर दो से ढाई करोड़ रुपए लगाकर 80 फीसदी बाड़ों में ब्रिक वर्क कराया गया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में गायों की संख्या के हिसाब से शेड वाले बाड़े मौजूद नहीं हैं. इस संबंध में नगर निगम को अवगत भी कराया गया है. हालांकि इस पर अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया है.

Ground Report Hingonia Gaushala
गोशाला में बढ़ रही संख्या

पढ़ें. SPECIAL: गायों का 'स्वीट होम' है मारोठ की गोशाला, चारा-पानी और बेहतर इलाज की भी है व्यवस्था

गोवंश के लिए ट्रस्ट अपने स्तर पर हरा चारा उगा रहा है लेकिन जहां तक सूखे चारे की बात है तो उसके लिए सरकार से जब अनुबंध हुआ तब से अब तक भाव दोगुने हो चुके हैं. संस्थान को चारे को लेकर ₹6.20 मिलते हैं और आज खुले बाजार में चारा ₹12 से कम उपलब्ध नहीं है. गोशाला में हर दिन लगभग 60 टन चारा और 15 हज़ार किलो बाट (पशु आहार) की जरूरत होती है. ऐसे में फिलहाल गोवंश को पर्याप्त आहार उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती बना हुआ है.

प्रेम आनंद ने निगम से मिलने वाले भुगतान को लेकर वर्तमान स्थिति का खुलासा करते हुए कहा कि शहर के दोनों निगमों पर करीब 5 करोड़ रुपए का बकाया चल रहा है. ग्रेटर नगर निगम पर 1 महीने का अनुदान 1 करोड़ 33 लाख रुपए बकाया है, जबकि हेरिटेज नगर निगम से करीब 4 महीने से भुगतान नहीं मिला है. हेरिटेज से 3 करोड़ 66 लाख रुपए आना अभी बाकी है. भुगतान नहीं होने की वजह से ट्रस्ट यहां बाड़ों में बचा हुआ शेड कार्य और नए बाड़ों का निर्माण कार्य नहीं करा पा रहा. बहरहाल, हिंगोनिया गोशाला में तकरीबन 2000 गोवंश के लिए बाड़े और पर्याप्त शेड की आवश्यकता है ताकि गर्मी और बारिश से उन्हें बचाया जा सके.

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