जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने हाल ही में सामान्य वर्ग आरक्षण के लोगों को फीस में राहत देने के साथ उम्र में भी छूट दी है. ईडब्ल्यूएस जॉब मॉडल राजस्थान सरकार ने बनाया है, उसे केंद्र सरकार भी लागू करें. इसको लेकर सरकार के मंत्री केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं. लेकिन क्या EWS में दी गई छूट से सामान्य वर्ग को लाभ मिलेगा, इसको लेकर ईटीवी भारत ने समता आंदोलन मंच के अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा से खास बातचीत की.
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समता आंदोलन मंच के अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा ने कहा कि सरकार ने जो हाल ही में ईडब्ल्यूएस के युवाओं के लिए नौकरियों में आवेदन करने के लिए उम्र में छूट दी है और फीस का लाभ दिया है, यह सरकार सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए कर रही है. उन्होंने कहा कि फीस में राहत देने की बात जहां तक कही जा रही है तो समता आंदोलन मंच हमेशा से ही बेरोजगारों से किसी भी तरह की फीस लेने के खिलाफ रहा है.
पाराशर नारायण शर्मा ने कहा कि बेरोजगारों के पास पैसे नहीं है इसलिए वे नौकरी करना चाह रहे हैं. ऐसे में उनसे फीस नहीं ली जानी चाहिए. बेरोजगारों को नौकरी उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है. इसके लिए सरकार किसी भी तरह की फीस वसूली नहीं करे. इसके साथ ही पाराशर नारायण शर्मा ने आयु सीमा में दी गई छूट को लेकर कड़ी आपत्ति जाहिर की. उन्होंने कहा कि सरकार उम्र में छूट देकर एक नौकरी के दो टुकड़े कर रही है.
उन्होंने कहा कि अगर इसे उदाहरण के रूप में समझें तो किसी भी व्यक्ति का 25 साल की उम्र में सरकारी नौकरी लगता है तो वह 35 साल तक अपनी सेवाएं दे सकता है और इसमें वह अच्छे प्रमोशन लेकर भी पहुंच सकता है. लेकिन, सरकार अगर 40 साल की उम्र में किसी को नौकरी देगी तो महज 20 वर्ष ही नौकरी कर पाएगा और जिस पद पर उसका चयन हुआ है उसे एक पद प्रमोशन ही ले पाएगा और रिटायर हो जाएगा. मतलब साफ है कि सरकार 25 साल के व्यक्ति को 35 साल तक नौकरी कराने की जगह 40 साल के व्यक्ति को 20 साल नौकरी कराना चाहती है ताकि एक नौकरी के दो टुकड़े हो सके.
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पाराशर नारायण शर्मा ने केंद्र सरकार की ओर से राजस्थान मॉडल लागू करने को लेकर सरकार की तरफ से जो कहा जा रहा है उस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से EWS के लिए जो मापदंड बनाए गए हैं, उसमें बदलाव नहीं होना चाहिए. अगर EWS को लेकर केंद्र सरकार ने जो 5 मापदंड बनाए हैं, उन्हें बदल दिया जाता है तो इसकी मूल भावना ही बदल जाएगी.
शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से जो जमीन, मकान और आयु सीमा का दायरा तय किया है, वह लागू रहना चाहिए. तब ही मूल सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब व्यक्ति को लाभ मिलेगा. अगर सरकार इस तरह से सामान्य वर्ग आरक्षण में छूट के दायरे बढ़ाती रही तो वास्तविक आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के युवा को इसका लाभ नहीं मिलेगा.
पाराशर नारायण शर्मा ने कहा कि सरकार कोई भी हो यह महत्व नहीं रखता, महत्व रखता है कि जिन मूल भावनाओं के साथ योजनाएं लागू की जाती है उनके साथ कोई छेड़खानी नहीं हो. राज्य सरकार की ओर से वोट बैंक को साधने के लिए इस तरह की रियायत दी जा रही है.
हालांकि, शर्मा ने कहा कि सरकार की तरफ से जो छूट दी जा रही है वह जातिगत संगठनों की मांग पर ही की जा रही है. कुछ समाज के संगठनों ने सरकार के समक्ष आयु सीमा में छूट की मांग रखी थी, इसके बाद सरकार ने यह निर्णय लिया. लेकिन, हमें इस बात को समझना होगा कि आयु सीमा में छूट का लाभ लेने का मतलब है कि हम उसी वर्ग के एक व्यक्ति की नौकरी का नुकसान कर रहे हैं.
पाराशर नारायण शर्मा ने कहा कि आयु सीमा में छूट और फीस में राहत ईडब्ल्यूएस के लिए नहीं बल्कि सभी आरक्षित जातियों को नहीं मिलनी चाहिए. सरकार को फीस में राहत देने की बजाय फीस को पूरी तरीके से फ्री कर देना चाहिए और आयु सीमा 25 वर्ष अधिकतम निर्धारित कर देना चाहिए.