जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) में सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनियों के लगातार बढ़ रहे घाटे की रफ्तार अगले कुछ महीने में धीमी पड़ सकती है. इसके लिए ऊर्जा विभाग (Energy Department) ने कवायद तेज कर दी है. ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला (BD Kalla) की मानें तो पहली कड़ी में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन से जुड़े 5 पावर प्लांट से बिजली खरीद के अनुबंध को किया जा रहा है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान ऊर्जा मंत्री (Energy Minister) ने बताया कि किस तरह अब यह घाटा कम कर उपभोक्ताओं को कम दरों पर बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी.
महंगी बिजली खरीद का अनुबंध होगा रद्द
ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला (Energy Minister BD Kalla) के अनुसार केंद्र के जिन पांच प्लांटों से बिजली खरीद का अनुबंध रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाने वाली है, उन प्लांट से पूर्व के अनुबंध के आधार पर राजस्थान प्रतिवर्ष करीब 35 करोड़ यूनिट बिजली की खरीद करता था. जिसकी दरें अधिक थी जबकि अन्य स्रोत से कम दरों पर प्रदेश को बिजली मिल रही है.
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कल्ला के अनुसार राजस्थान ऊर्जा विकास निगम (Rajasthan Energy Development Corporation) को अनुबंध निरस्त करने का प्रस्ताव बोर्ड की स्वीकृति के लिए भेज दिया है. बोर्ड की स्वीकृति के बाद अनुबंध निरस्त करने के लिए NTPC (National Thermal Power Corporation) को नोटिस भेजा जाएगा. हालांकि, अनुबंध निरस्त की प्रक्रिया में अधिकतम 6 महीने का समय लग सकता है. ऊर्जा मंत्री ने बताया कि हम अन्य प्लांट से खरीदी जा रही बिजली की दरों की समीक्षा करवा रहे हैं.
घाटा कम होगा तो उपभोक्ताओं को भी मिलेगी सस्ती बिजली
ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला (BD Kalla) के अनुसार जब सस्ती दरों में बिजली खरीदी जाएगी तो डिस्कॉम का घाटा भी कम होगा और नियम अनुसार विनियामक आयोग (Regulatory Commission) बिजली की दरों में कमी भी कर सकेगा. इससे आम उपभोक्ताओं को भी कम दरों पर बिजली उपलब्ध हो पाएगी. वर्तमान में जिन पावर प्लांट (Power Plant) से पावर परचेज एग्रीमेंट (Power Purchase Agreement) निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है वहां पिछले कई सालों से राजस्थान बिजली खरीद रहा है. बिजली की दरें काफी अधिक है और उसका सीधा भार प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ता है.
बिजली कंपनियों का घाटा बढ़ने का कारण...
राजस्थान में बिजली कंपनियों का घाटा (Loss of Power Companies in Rajasthan) वर्तमान में 86 हजार करोड़ को पार कर गया है और ये घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. पिछले साल राजस्थान में 6740 करोड़ रुपए का घाटा बिजली कंपनियों को हुआ था. अब ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला (BD Kalla) का कहना है कि सरकार राजस्थान को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना रहा है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी दिक्कत पुराने घाटे की है.
कल्ला का कहना है, बिजली कंपनियों ने कितना कर्जा ले रखा है कि उसका ब्याज चुकाने के लिए बार-बार कर्जा लेना पड़ता है और इसके कारण यह घाटा कम होने के बजाय और बढ़ता ही जा रहा है. कल्ला के अनुसार अब सरकार पुराने अनुबंध खत्म कर रही है तो कुछ घाटा इसका भी कम होगा. वहीं, प्रदेश में सौर ऊर्जा (Solar Energy) को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा सस्ती बिजली प्रदेश में खुद ही उत्पादन हो सके इस पर ही फोकस है, जिसके बाद मौजूदा घाटा भी कम होगा.
लॉकडाउन में सेटलमेंट कमेटियां और नए कनेक्शन का अटका काम
राजस्थान में लॉकडाउन (Lockdown in Rajasthan) के कारण पिछले 2 महीने से नए कनेक्शन और सेटलमेंट कमेटियों के जरिए विवादों के निस्तारण का काम अटका हुआ है. कई उपभोक्ता परेशान हैं, लेकिन ऊर्जा मंत्री कहते हैं, अब इसका भी वितरण होगा. हालांकि, जिन उपभोक्ताओं का सेटलमेंट कमेटी में आवेदन का समय निकल गया उन्हें किस प्रकार राहत दी जाएगी इस बारे में भी जल्द फैसला लिया जाएगा.