जयपुर. राजस्थान के विश्वविद्यालयों में जुलाई मिड से बची हुई परीक्षाएं कराना प्रस्तावित है. ऐसे में राजस्थान विश्वविद्यालय ने परीक्षाओं की तैयारियां शुरू कर दी है. इसे लेकर परीक्षा नियंत्रक ने सभी संबद्ध कॉलेजों के प्राचार्य और केंद्र अधीक्षकों से जानकारी मांगी है.
उनसे पूछा गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए परीक्षा कक्ष में दो परीक्षार्थियों के बीच 2 गज की दूरी तय करते हुए एक पारी में अधिकतम कितने परीक्षार्थियों की परीक्षा करवाई जा सकती है. हालांकि अभी बिना परीक्षा प्रमोट करने की मांग को लेकर छात्र हर दिन प्रदर्शन कर रहे हैं.
इस पर यूनिवर्सिटी कुलपति प्रो. आरके कोठारी ने कहा कि छात्रों को खुद समझना चाहिए कि परीक्षा ना कराना उनके दीर्घकालीन हितों में नहीं है. यदि किसी कंपनी को ये जानकारी लगेगी कि छात्र बिना परीक्षा दिए प्रमोट होकर आया है, तो इससे छात्र की वरीयता में ही कमी आएगी. छात्रों को पिछले अंकों के आधार पर या किसी और आधार पर प्रमोट करना तो अंतिम विकल्प है. ये विकल्प भी तब लागू होता है, जब अगस्त-सितंबर तक भी परीक्षा कराना संभव नहीं हो.
उन्होंने विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि कोरोना का पीक जुलाई और अगस्त तक आ जाएगा. सितंबर में स्थितियां सामान्य हो जाएगी. ऐसे में फिलहाल प्रोविजनल एडमिशन किए जा रहे हैं और छात्रों की ऑनलाइन क्लास 1 जुलाई से शुरू हो जाएंगी. फिर 2 महीने बाद जब भी परिस्थितियां सामान्य हो जाएंगी तो छात्रों की परीक्षाएं कराई जा सकती हैं.
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कुलपति ने छात्रों के 2 साल की तैयारियां एक साथ करने के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि छात्रों ने पिछले साल तैयारी की है. ये तो उन्हें बोनस टाइम मिल रहा है, जिसमें छात्र अपनी परसेंटेज को भी इंक्रीज कर सकता है. इसके साथ ही जिस क्लास में छात्र प्रमोट हो रहा है, उसकी परीक्षाएं तो अगले साल होनी है. ऐसे में छात्रों के इस प्रश्न की कोई प्रासंगिकता नहीं है.
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बता दें कि विश्वविद्यालय में यूजी फाइनल ईयर में 1 लाख 30 हजार और पीजी फाइनल ईयर में करीब 40 हजार से ज्यादा विद्यार्थी हैं. जिन्हें परीक्षा के लिए ट्रैवल भी करना होगा. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन फिलहाल इस संकटकाल के टलने का इंतजार कर रहा है, लेकिन ये परीक्षा कराना किसी चुनौती से कम नहीं है, ऐसे में तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई है.