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आयुर्वेद संगठनों का रामदेव को नैतिक समर्थन, कोविड प्रोटोकॉल में आयुर्वेदिक औषधियां शामिल करने को चलेगा अभियान

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Published : May 30, 2021, 7:12 AM IST

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के निशाने पर आए बाबा रामदेव को राजस्थान के आयुर्वेद संगठनों ने नैतिक समर्थन दिया है. साथ ही संगठन कोविड प्रोटोकॉल में आयुर्वेद औषधियों को शामिल करने की मांग को लेकर भी अभियान चलाएंगे.

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आयुर्वेद संगठनों का रामदेव को नैतिक समर्थन

जयपुर. आयुर्वेद संगठनों का आरोप है कि हाल ही में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से बाबा रामदेव को जरिया बनाकर आयुर्वेद पद्धति पर निशाना साधा गया है. आईएमए की ओर से रामदेव पर देशद्रोह का केस लगाने की साजिश को आयुर्वेद चिकित्सकों का मनोबल तोड़ने के षड़यंत्र के रूप में देखा जा रहा है. पिछले दिनों एलोपैथ बनाम आयुर्वेद की बहस के दौरान आईएमए पदाधिकारियों ने जिस प्रकार का अहंकारपूर्ण रवैया अख्तियार किया है, उसपर राजस्थान के आयुर्वेद संगठनों में नाराजगी है.

आयुर्वेद संगठनों का रामदेव को नैतिक समर्थन

आयुर्वेद संगठनों का आरोप है कि फार्मा कंपनियों और आईएमए के दबाव में सरकार ने आयुर्वेद संस्थानों को गंभीर मरीजों के इलाज की अनुमति नहीं दी. इससे कोरोना के गंभीर मरीजों को आयुर्वेदिक इलाज नहीं मिल पाया. फलस्वरूप आयुर्वेद में होने वाले क्लिनिकल ट्रायल का फायदा देश को नहीं मिल सका. इस लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महामारी एक्ट में संशोधन करते हुए कोरोना प्रोटोकॉल में आयुर्वेदिक दवाइयों को शामिल करने की गुहार लगाई जाएगी.

पढ़ें: आयुर्वेद और एलोपैथी की जंग जारी...जानिये जयपुर की जनता किसके साथ

शुक्रवार को 'आयुर्वेद विश्वविद्यालय बचाओ-आयुर्वेद विभाग बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति' की वर्चुअल बैठक में बाबा रामदेव को नैतिक समर्थन देने का निर्णय लिया गया. इस बैठक में वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ, राजस्थान आयुर्वेद चिकित्साधिकारी संघ, आयुर्वेद मेडिकल एसोसिएशन राजस्थान, संविदा आयुर्वेद चिकित्सक एसोसिएशन राजस्थान, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यार्थी परिषद, महाविद्यालय छात्रसंघ, पीजी डॉक्टर्स एसोसिएशन जोधपुर, जयपुर और उदयपुर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

पढ़ें: पतंजलि के बाबा रामदेव के बयान पर क्या बोले कोटा के डॉक्टर, सुनिए उन्हीं की जुबानी

इस वर्चुअल मीटिंग में निर्णय लिया गया कि राजस्थान के सभी आयुर्वेद संगठन स्वामी रामदेव को लिखित समर्थन देंगे और आयुर्वेद बनाम एलोपैथ की इस जंग में फेसबुक और ट्विटर पर समाज के सामने सत्य उजागर करेंगे तथा सामाजिक संगठनों से भी समर्थन हासिल किया जाएगा. इसके अलावा CCIM और आयुर्वेद विश्वविद्यालयों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की ओर से आलेख भी प्रकाशित किए जाएंगे. आयुर्वेद संयुक्त संघर्ष समिति के सह संयोजक डॉ. बीएल बराला ने बताया कि आयुर्वेद के राष्ट्रीय संगठनों की ओर से तय की जाने वाली रणनीति में चरणबद्ध तरीके से अभियान को तेज किया जाएगा.

जयपुर. आयुर्वेद संगठनों का आरोप है कि हाल ही में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से बाबा रामदेव को जरिया बनाकर आयुर्वेद पद्धति पर निशाना साधा गया है. आईएमए की ओर से रामदेव पर देशद्रोह का केस लगाने की साजिश को आयुर्वेद चिकित्सकों का मनोबल तोड़ने के षड़यंत्र के रूप में देखा जा रहा है. पिछले दिनों एलोपैथ बनाम आयुर्वेद की बहस के दौरान आईएमए पदाधिकारियों ने जिस प्रकार का अहंकारपूर्ण रवैया अख्तियार किया है, उसपर राजस्थान के आयुर्वेद संगठनों में नाराजगी है.

आयुर्वेद संगठनों का रामदेव को नैतिक समर्थन

आयुर्वेद संगठनों का आरोप है कि फार्मा कंपनियों और आईएमए के दबाव में सरकार ने आयुर्वेद संस्थानों को गंभीर मरीजों के इलाज की अनुमति नहीं दी. इससे कोरोना के गंभीर मरीजों को आयुर्वेदिक इलाज नहीं मिल पाया. फलस्वरूप आयुर्वेद में होने वाले क्लिनिकल ट्रायल का फायदा देश को नहीं मिल सका. इस लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महामारी एक्ट में संशोधन करते हुए कोरोना प्रोटोकॉल में आयुर्वेदिक दवाइयों को शामिल करने की गुहार लगाई जाएगी.

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शुक्रवार को 'आयुर्वेद विश्वविद्यालय बचाओ-आयुर्वेद विभाग बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति' की वर्चुअल बैठक में बाबा रामदेव को नैतिक समर्थन देने का निर्णय लिया गया. इस बैठक में वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ, राजस्थान आयुर्वेद चिकित्साधिकारी संघ, आयुर्वेद मेडिकल एसोसिएशन राजस्थान, संविदा आयुर्वेद चिकित्सक एसोसिएशन राजस्थान, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यार्थी परिषद, महाविद्यालय छात्रसंघ, पीजी डॉक्टर्स एसोसिएशन जोधपुर, जयपुर और उदयपुर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

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इस वर्चुअल मीटिंग में निर्णय लिया गया कि राजस्थान के सभी आयुर्वेद संगठन स्वामी रामदेव को लिखित समर्थन देंगे और आयुर्वेद बनाम एलोपैथ की इस जंग में फेसबुक और ट्विटर पर समाज के सामने सत्य उजागर करेंगे तथा सामाजिक संगठनों से भी समर्थन हासिल किया जाएगा. इसके अलावा CCIM और आयुर्वेद विश्वविद्यालयों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की ओर से आलेख भी प्रकाशित किए जाएंगे. आयुर्वेद संयुक्त संघर्ष समिति के सह संयोजक डॉ. बीएल बराला ने बताया कि आयुर्वेद के राष्ट्रीय संगठनों की ओर से तय की जाने वाली रणनीति में चरणबद्ध तरीके से अभियान को तेज किया जाएगा.

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