जयपुर. कोरोना को हराने के लिए राज्य के युवा वैक्सीनेशन कराने के लिए उत्साहित हैं. लेकिन सिस्टम के आगे वो बेबस नजर आ रहे हैं. दरअसल, सरकार ने युवाओं के टीकाकरण को न तो स्पष्ट दिशा दी और न इसकी प्रक्रिया को सरल किया. ईटीवी भारत ने ग्राउंड पर जाकर युवा वैक्सीनेशन अभियान का रियलिटी चेक किया.
टीका लगवाने के लिए लोग कोविन या आरोग्य सेतु एप पर रजिस्ट्रेशन तो करा रहे हैं. लेकिन ये उनके लिए चुनौती बना हुआ है. कभी एरर, तो कभी फोन नंबर डालने के बाद भी ओटीपी नहीं आता. जो रजिस्ट्रेशन कराने में कामयाब हो जाते हैं, उन्हें वैक्सीनेशन स्लॉट अलॉट नहीं मिल पा रहा है.
ईटीवी भारत का रियलिटी चेक- रात 8.30 पर होता है स्लॉट आवंटन
शहर के युवाओं की इस पीड़ा को समझने के लिए ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में सामने आया कि रजिस्ट्रेशन कराए हुए 4 से 5 दिन होने के बावजूद भी शेड्यूल ओपन नहीं होता. जब हम इसकी तह में गए तो सामने आया कि राज्य सरकार रोजाना रात 8:30 बजे से स्लॉट का आवंटन करना शुरू करती है. जिसकी जानकारी युवाओं को नहीं होने के चलते वे वेबसाइट पर टकटकी लगाए बैठे रहते हैं.
तोपखाना डिस्पेंसरी : चहेतों को लाभ पहुंचाने के आरोप
वहीं आरोप ये भी है कि वैक्सीनेशन सेंटर पर जिम्मेदार अधिकारी अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए शेड्यूल्ड लोगों को वापस भी लौटा रहे हैं. जिसकी शिकायत तोपखाना वैक्सीनेशन सेंटर से भी मिली. वहीं गांधीनगर डिस्पेंसरी और गांधीनगर स्वेज फार्म डिस्पेंसरी के नाम में कन्फ्यूजन होने के चलते कुछ लोगों को बैरंग लौटना पड़ा.
पुरानी बस्ती डिस्पेंसरी में युवाओं में जोश
इस तरह की शिकायतों का सच जानने ईटीवी भारत पुरानी बस्ती स्थित डिस्पेंसरी में पहुंचा. यहां युवाओं में वैक्सीनेशन को लेकर जोश देखते बना. साथ ही एक बार फिर स्लॉट मिलने में परेशानी का लोगों ने इजहार किया. हां, कुछ नसीब वाले ही थे जिन्हें एक ही दिन में वैक्सीन लगाने का मौका मिल गया.
वैक्सीनेशन सेंटर पर कार्यरत चिकित्सक ने बताया कि यहां हर दिन 200 से 250 लोगों के वैक्सीन लगाई जा रही है. इसके साइड इफेक्ट की कोई शिकायत नहीं आई है. वहीं रेडियोग्राफर ने बताया कि पहले से वैक्सीन की उपलब्धता के अनुसार लोगों का शेड्यूल तय किया जाता है. ये प्रक्रिया ऑनलाइन होने के चलते पूरी तरह पारदर्शी है और अब तक इस सेंटर से किसी को निराश नहीं लौटना पड़ा है.
कैंसिल हो रहा शेड्यूल, टेक्नीकल एरर का बहाना
हालांकि इसी सेंटर पर मौजूद शहर की एक युवा ने बताया कि वैक्सीनेशन को लेकर उनका एक प्राइवेट अस्पताल में शेड्यूल हुआ था. लेकिन वैक्सीन लगने से पहले ही शेड्यूल कैंसिलेशन मैसेज भी आ गया. जिसे टेक्निकल एरर नाम दिया गया.
बहरहाल, इस तरह के प्रकरणों के सामने आने के बाद अब राज्य सरकार और जिला प्रशासन की और से प्रॉपर मॉनिटरिंग की भी आवश्यकता है.