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झालावाड़ में कौवों की मौत और नागौर ने मोरों की मौत पर पर्यावरणविद और पक्षी प्रेमियों ने जताया दुख

झालावाड़ में लगातार कौवों की मौत हो रही है. वहीं, नागौर में मोरों की मौत की घटना सामने आई है. ऐसे में पर्यावरणविद और पक्षी प्रेमियों का कहना है कि कौवे और मोरों की मौत एक बड़ी पर्यावरणीय क्षति है. वहीं, नागौर में मोरों की मौत को लेकर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए दुख जताया है.

Jaipur News, पक्षी प्रेमियों का दुख
पर्यावरणविद और पक्षी प्रेमियों ने जताया दुख
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Published : Jan 2, 2021, 4:23 AM IST

Updated : Jan 2, 2021, 7:22 AM IST

जयपुर. प्रदेश में एक बार फिर पक्षियों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है. झालावाड़ में लगातार कौवों की मौत हो रही है. वहीं, नागौर में मोरों की मौत की घटना सामने आई है. प्रशासन की ओर से पक्षियों की मौत को लेकर सैंपल जुटाए गए हैं और इनमें फैल रहे संक्रमण की पुष्टि करने का प्रयास किया जा रहा है. प्रदेश में कौवे और मोरों की मौत के घटनाओं को लेकर पर्यावरणविद औरपक्षी प्रेमियों ने दुख जताया है.

  • एक साथ और अकस्मात इतने सारे मोर व अन्य पक्षियों की मौत प्राकृतिक कारणो सें नही हो सकती इसलिए मामले में मृत पक्षियों का पशु मेडिकल बोर्ड से पोस्टमाटर्म करके गहनता से तफ्तीश करने की जरूरत है ,मामले को लेकर जिला कलक्टर व एसपी से भी दूरभाष पर वार्ता हुई है

    — HANUMAN BENIWAL (@hanumanbeniwal) January 1, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पर्यावरणविद और पक्षी प्रेमियों का कहना है कि कौवे और मोरों की मौत एक बड़ी पर्यावरणीय क्षति है. मोरो की मौत को लेकर शिकार की आशंकाएं जताई जा रही है. इससे पहले सांभर झील में बड़ी पक्षी त्रासदी हुई थी. इसके बाद फिर से पक्षियों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है. ऐसे में सरकार को सख्त कदम उठाते हुए पक्षियों की मौत की रोकथाम करनी चाहिए. नागौर में मोरों की मौत को लेकर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए दुख जताया है. साथ ही मोरों की मौत को लेकर शिकारी गतिविधियों की आशंका जताई जा रही है.

पर्यावरणविद और पक्षी प्रेमियों ने जताया दुख

पर्यावरणविद एवं पक्षी प्रेमी सूरज सोनी ने बताया कि मोरों की मौत होना राजस्थान के लिए बड़ी पर्यावरणीय क्षति है. 4 साल पहले भी काफी संख्या में मोरों की मौत हुई थी. मोरों की मौत की वजह एक यह भी मानी जा रही है कि जो खेतों में रसायनिक उर्वरक उपयोग लिए जाते हैं, उसको खाने से भी मोरों की मौत हो रही है. मोर खेतों में दाना पानी की तलाश में जाते हैं और उसके साथ रासायनिक उर्वरक को खाने से मोरों की मौत हो रही है. उन्होंने बताया कि कई बार आर्गन बनाने वाली कंपनियों द्वारा दुष्प्रचार भी किया जाता है. इसके लिए शिकारी मोरों का शिकार कर लेते हैं. जिसकी वजह से मोरो की क्षति हो रही है.

पढ़ें: एवियन इनफ्लुएंजा : घना के हजारों पक्षियों के लिए घातक हो सकता है एवियन इनफ्लुएंजा...सरकार ने जारी की एडवाइजरी

उन्होंने कहा कि नागौर में मोरों की मौत होने की घटना सामने आई है. इससे पहले उदयपुर और बांसवाड़ा में में मोरों की मौत की घटनाएं सामने आ चुकी है. जिनमें शिकारियों की गतिविधियों की आशंका जताई गई थी. सरकार को मोरों की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए. लगातार प्रदेश में मोरों की मौत हो रही है, लेकिन वन विभाग के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है. जिसका खामियाजा मोरो को भुगतना पड़ रहा है. लगातार बेदर्दी से राष्ट्रीय पक्षी मोर की हत्याएं हो रही है.

झालावाड़ में हो रही कौवों की मौत को लेकर पर्यावरणविद एवं पक्षी प्रेमी सूरज सोनी ने बताया कि कौवो की मौत में संक्रमण बड़ा विषय नहीं है. कौवों की मौत का बड़ा कारण प्रदूषण है. सर्दी का आवागमन शुरू होने से हवा का दबाव ऊपर की ओर कम हो गया है. जिससे हवा का दबाव ज्यादा बढ़ गया. आस-पास में थर्मल राख निकाली जा रही है, जिससे काफी मात्रा में प्रदूषण फैलता जा रहा है. थर्मल राख हवा में उड़कर प्रदूषण फैला रहा है, जिस पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है.

पढ़ें: सरिस्का में बाघों की संख्या बढ़ने के साथ बढ़ी लोगों की संख्या, हर दिन पहुंच रहे 700 से ज्यादा पर्यटक

उन्होंने कहा कि इसी प्रदूषण की वजह से बड़े-बड़े पेड़ पौधे भी नष्ट हो गए और पक्षियों के घर भी नष्ट हो जा रहे हैं, जिसके बाद पक्षी छोटे पेड़ों पर बैठना शुरू हो गए. इसी प्रदूषण के कारण कौवों में भी संक्रमण फैल रहा है. संक्रमण होने से लगातार कौवो की मौत हो रही है. इसके लिए सरकार से मांग की गई है कि कालीसिंध में थर्मल राख पर नियंत्रण किया जाए. अन्यथा पक्षियों की प्रजातियां धीरे-धीरे लुप्त हो जाएगी. पक्षियों की 15 -16 प्रजातियां पहले ही नष्ट हो चुकी है. झालावाड़ में घाघरोनी तोता भी थर्मल राख के कारण विलुप्त हो गया है. अब कौवों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है. प्रदूषण के कारण लगातार कौवो में संक्रमण फैलता जा रहा है. बड़ी संख्या में कौवों का मारा जाना पर्यावरणीय चक्र को नुकसान पहुंचा रहा है. इससे पहले गौरैया चिड़िया विलुप्त हो चुकी है. सरकार को सख्त कदम उठाकर पक्षियों की मौत को लेकर रोकथाम के प्रयास करने चाहिए. इसके साथ ही में घायल कौवो का अच्छे से उपचार करके उनकी जान बचाने का काम किया जाए.

नागौर जिले के मकराना क्षेत्र के कालवा ग्राम में हुई मोरों की मौत के मामले को लेकर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए दुख जताया है. हनुमान बेनीवाल ने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है कि नागौर जिले के मकराना क्षेत्र के कालवा ग्राम क्षेत्र से दुखद और हृदय विचारक समाचार प्राप्त हुए हैं, जहां राष्ट्रीय पक्षी मोर के साथ कई अन्य पक्षों की दुखद मृत्यु हो गई है. वन्यजीव प्रेमियों और स्थानीय ग्रामीणों ने दूरभाष के मामले से अवगत करवाया है. बताया गया है कि यह मामला हत्या का प्रतीत हो रहा है. मामला संज्ञान में आते ही नागौर जिले कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक से दूरभाष पर वार्ता की इस मामले की जांच करके मृत पक्षियों का पशु मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करने समेत आवश्यक कार्रवाई करने और जिले में शिकार पर रोकथाम के लिए विशेष कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. मामले से राज्य के वन मंत्री को भी ट्वीट करके अवगत कराया गया है.

जयपुर. प्रदेश में एक बार फिर पक्षियों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है. झालावाड़ में लगातार कौवों की मौत हो रही है. वहीं, नागौर में मोरों की मौत की घटना सामने आई है. प्रशासन की ओर से पक्षियों की मौत को लेकर सैंपल जुटाए गए हैं और इनमें फैल रहे संक्रमण की पुष्टि करने का प्रयास किया जा रहा है. प्रदेश में कौवे और मोरों की मौत के घटनाओं को लेकर पर्यावरणविद औरपक्षी प्रेमियों ने दुख जताया है.

  • एक साथ और अकस्मात इतने सारे मोर व अन्य पक्षियों की मौत प्राकृतिक कारणो सें नही हो सकती इसलिए मामले में मृत पक्षियों का पशु मेडिकल बोर्ड से पोस्टमाटर्म करके गहनता से तफ्तीश करने की जरूरत है ,मामले को लेकर जिला कलक्टर व एसपी से भी दूरभाष पर वार्ता हुई है

    — HANUMAN BENIWAL (@hanumanbeniwal) January 1, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पर्यावरणविद और पक्षी प्रेमियों का कहना है कि कौवे और मोरों की मौत एक बड़ी पर्यावरणीय क्षति है. मोरो की मौत को लेकर शिकार की आशंकाएं जताई जा रही है. इससे पहले सांभर झील में बड़ी पक्षी त्रासदी हुई थी. इसके बाद फिर से पक्षियों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है. ऐसे में सरकार को सख्त कदम उठाते हुए पक्षियों की मौत की रोकथाम करनी चाहिए. नागौर में मोरों की मौत को लेकर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए दुख जताया है. साथ ही मोरों की मौत को लेकर शिकारी गतिविधियों की आशंका जताई जा रही है.

पर्यावरणविद और पक्षी प्रेमियों ने जताया दुख

पर्यावरणविद एवं पक्षी प्रेमी सूरज सोनी ने बताया कि मोरों की मौत होना राजस्थान के लिए बड़ी पर्यावरणीय क्षति है. 4 साल पहले भी काफी संख्या में मोरों की मौत हुई थी. मोरों की मौत की वजह एक यह भी मानी जा रही है कि जो खेतों में रसायनिक उर्वरक उपयोग लिए जाते हैं, उसको खाने से भी मोरों की मौत हो रही है. मोर खेतों में दाना पानी की तलाश में जाते हैं और उसके साथ रासायनिक उर्वरक को खाने से मोरों की मौत हो रही है. उन्होंने बताया कि कई बार आर्गन बनाने वाली कंपनियों द्वारा दुष्प्रचार भी किया जाता है. इसके लिए शिकारी मोरों का शिकार कर लेते हैं. जिसकी वजह से मोरो की क्षति हो रही है.

पढ़ें: एवियन इनफ्लुएंजा : घना के हजारों पक्षियों के लिए घातक हो सकता है एवियन इनफ्लुएंजा...सरकार ने जारी की एडवाइजरी

उन्होंने कहा कि नागौर में मोरों की मौत होने की घटना सामने आई है. इससे पहले उदयपुर और बांसवाड़ा में में मोरों की मौत की घटनाएं सामने आ चुकी है. जिनमें शिकारियों की गतिविधियों की आशंका जताई गई थी. सरकार को मोरों की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए. लगातार प्रदेश में मोरों की मौत हो रही है, लेकिन वन विभाग के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है. जिसका खामियाजा मोरो को भुगतना पड़ रहा है. लगातार बेदर्दी से राष्ट्रीय पक्षी मोर की हत्याएं हो रही है.

झालावाड़ में हो रही कौवों की मौत को लेकर पर्यावरणविद एवं पक्षी प्रेमी सूरज सोनी ने बताया कि कौवो की मौत में संक्रमण बड़ा विषय नहीं है. कौवों की मौत का बड़ा कारण प्रदूषण है. सर्दी का आवागमन शुरू होने से हवा का दबाव ऊपर की ओर कम हो गया है. जिससे हवा का दबाव ज्यादा बढ़ गया. आस-पास में थर्मल राख निकाली जा रही है, जिससे काफी मात्रा में प्रदूषण फैलता जा रहा है. थर्मल राख हवा में उड़कर प्रदूषण फैला रहा है, जिस पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है.

पढ़ें: सरिस्का में बाघों की संख्या बढ़ने के साथ बढ़ी लोगों की संख्या, हर दिन पहुंच रहे 700 से ज्यादा पर्यटक

उन्होंने कहा कि इसी प्रदूषण की वजह से बड़े-बड़े पेड़ पौधे भी नष्ट हो गए और पक्षियों के घर भी नष्ट हो जा रहे हैं, जिसके बाद पक्षी छोटे पेड़ों पर बैठना शुरू हो गए. इसी प्रदूषण के कारण कौवों में भी संक्रमण फैल रहा है. संक्रमण होने से लगातार कौवो की मौत हो रही है. इसके लिए सरकार से मांग की गई है कि कालीसिंध में थर्मल राख पर नियंत्रण किया जाए. अन्यथा पक्षियों की प्रजातियां धीरे-धीरे लुप्त हो जाएगी. पक्षियों की 15 -16 प्रजातियां पहले ही नष्ट हो चुकी है. झालावाड़ में घाघरोनी तोता भी थर्मल राख के कारण विलुप्त हो गया है. अब कौवों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है. प्रदूषण के कारण लगातार कौवो में संक्रमण फैलता जा रहा है. बड़ी संख्या में कौवों का मारा जाना पर्यावरणीय चक्र को नुकसान पहुंचा रहा है. इससे पहले गौरैया चिड़िया विलुप्त हो चुकी है. सरकार को सख्त कदम उठाकर पक्षियों की मौत को लेकर रोकथाम के प्रयास करने चाहिए. इसके साथ ही में घायल कौवो का अच्छे से उपचार करके उनकी जान बचाने का काम किया जाए.

नागौर जिले के मकराना क्षेत्र के कालवा ग्राम में हुई मोरों की मौत के मामले को लेकर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए दुख जताया है. हनुमान बेनीवाल ने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है कि नागौर जिले के मकराना क्षेत्र के कालवा ग्राम क्षेत्र से दुखद और हृदय विचारक समाचार प्राप्त हुए हैं, जहां राष्ट्रीय पक्षी मोर के साथ कई अन्य पक्षों की दुखद मृत्यु हो गई है. वन्यजीव प्रेमियों और स्थानीय ग्रामीणों ने दूरभाष के मामले से अवगत करवाया है. बताया गया है कि यह मामला हत्या का प्रतीत हो रहा है. मामला संज्ञान में आते ही नागौर जिले कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक से दूरभाष पर वार्ता की इस मामले की जांच करके मृत पक्षियों का पशु मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करने समेत आवश्यक कार्रवाई करने और जिले में शिकार पर रोकथाम के लिए विशेष कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. मामले से राज्य के वन मंत्री को भी ट्वीट करके अवगत कराया गया है.

Last Updated : Jan 2, 2021, 7:22 AM IST
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