जयपुर. गुलाबी नगर में अतिक्रमण धरोहरों पर चढ़ बैठा है. जिन दीवारों के कारण दुनिया इसे विश्व धरोहर के रूप में देख रही है, वही दीवारें अतिक्रमण की ईटों तले अपना अस्तित्व खो रही हैं. हालांकि अब ड्रोन सर्वे में सामने आए मामला में अतिक्रमियों को नोटिस दिए जा रहे हैं.
शहरों की अगर कोई शक्ल होती तो जयपुर बेशक दुनिया के सबसे खूबसूरत चेहरों में शुमार होता. लेकिन जिन पर चेहरे को खुशनुमा बनाए रखने की जिम्मेदारी हो वे जब सुध न लें तो जयपुर के परकोटा जैसी विरासतें अतिक्रमण के नीचे दब ही जाती हैं. परकोटे के मुख्य बाजार खासकर रामगंज के हालात बेहद खराब हैं. यहां शहर में अतिक्रमण नहीं बल्कि अतिक्रमण में शहर नजर आता है.
रामगंज से घाटगेट जाते हुए बरामदे अपने-आप सड़क की ओर लपकने लगते हैं. इन्हीं बरामदे पर डिब्बों जैसी ऊंची इमारतें बना दी गई हैं. जो न केवल अतिक्रमण का नायाब उदाहरण है, बल्कि खतरे की घंटी भी हैं. हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद अतिक्रमण हटाए नहीं जा रहे.
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हालांकि विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए बने हेरिटेज नगर निगम के कमिश्नर लोक बंधु ने बताया कि बीते दिनों अतिक्रमण को लेकर ड्रोन सर्वे किया गया था. इसमें 3100 से ज्यादा मामले सामने आए और करीब 1714 को नोटिस दिए जा चुके हैं. अतिक्रमण को अल्प, मध्यम और गंभीर स्तर में बांटकर अब नोटिस दिए जा रहे हैं.
परकोटे में अतिक्रमण के मामले
निगम में हेरिटेज का काम देख रहे उपायुक्त प्रियव्रत चारण ने बताया कि ड्रोन सर्वे के अलावा अब जोन स्तर पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण की भी सूची तैयार की जा रही है. इस संबंध में दिए गए नोटिस की संख्या, ध्वस्तीकरण की कार्रवाई, सीजर की कार्रवाई की पूरी जानकारी भी मांगी जा रही है.
महापौर मुनेश गुर्जर ने कहा कि अतिक्रमण पर हेरिटेज नगर निगम का पूरा फोकस है. इस संबंध में जोन कार्यालयों के अलावा सतर्कता शाखा को भी जीरो टॉलरेंस पर काम करने के निर्देश दिए गए हैं. फिलहाल नोटिस दिए जा रहे हैं, अगर उससे भी नहीं मानते हैं, तो कार्रवाई भी की जाएगी.
हेरिटेज निगम अब नोटिस की कार्रवाई तक तो पहुंचा. लेकिन सवाल ये है कि नगर निगम, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और पुरातत्व विभाग मिलकर भी इन धरोहरों को क्यों नहीं बचा पा रहे हैं. हो सकता है विरासत से ज्यादा सियासत जरूरी हो, क्योंकि अतिक्रमी भी आखिरकार वोटर्स ही तो हैं.