जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने झुंझुनूं के नटास गांव में स्थित काटली नदी में करीब 800 बीघा भूमि पर अतिक्रमण के मामले में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित पीएलपीसी कमेटी को कहा है कि वह मामले में अतिक्रमियों को सुनवाई का मौका देकर 3 माह में अतिक्रमण हटाने पर निर्णय (Court orders on Katli river encroachment) करे. इसके लिए अदालत ने याचिकाकर्ता को कमेटी के समक्ष अपना अभ्यावेदन देने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश सुमित्रा की ओर से दायर जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिए.
जनहित याचिका में अधिवक्ता धर्मवीर ठोलिया और अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने अदालत को बताया कि काटली नदी के बहाव क्षेत्र में नटास सरपंच के परिजनों सहित अन्य रसूखदार लोगों ने अतिक्रमण कर रखा (Encroachment in Katli river of Jhunjhunu) है. अतिक्रमी नदी में पक्के निर्माण कर कुएं और ट्यूबवेल खोदकर सिंचाई कर रहे हैं. जमाबंदी के अनुसार नदी की करीब 1700 बीघा जमीन नटास गांव की सीमा से जुड़ी हुई है. इसमें से करीब 50 फीसदी जमीन पर अतिक्रमण हो गए हैं.
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याचिकाकर्ता की ओर से स्थानीय कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी सहित स्थानीय प्रशासन के अन्य अधिकारियों को कई बार लिखित में शिकायत की है, लेकिन उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. याचिका में यह भी कहा गया कि उसने प्रभावशाली लोगों के खिलाफ जनहित याचिका पेश की है. ऐसे में उसके साथ कोई अप्रिय घटना भी घटित हो सकती है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कमेटी को 3 माह में अतिक्रमण हटाने पर निर्णय करने को कहा है.