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बिजलीकर्मियों को नहीं मिल पाया ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ...अब आंदोलन की तैयारी

सीएम अशोक गहलोत ने इस वित्तीय वर्ष के बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को शुरू करने की घोषणा की थी लेकिन प्रदेश की पांच सरकारी बिजली कंपनियों के कर्मचारी इससे मेहरूम (Electricity workers could not get benefit old pension scheme) हैं. स्थिति यह है कि 45 से 50 हजार कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ नहीं मिला है. ऐसे में कर्मचारी आंदोलन की तैयारी में है.

Electricity workers could not get benefit old pension scheme
राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड
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Published : Jun 27, 2022, 8:59 PM IST

Updated : Jun 28, 2022, 8:20 AM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम की घोषणा कर सियासी लाभ लेने की कोशिश तो की लेकिन प्रदेश की सरकारी क्षेत्र की पांच बिजली कंपनियों के कर्मचारी मुख्यमंत्री की इस घोषणा के लाभ से अब तक मेहरूम (Electricity workers could not get benefit old pension scheme) हैं. स्थिति यह है कि पांचों कंपनियों के करीब 45 से 50 हजार कर्मचारी आंदोलन की राह पर उतारने की तैयारी में हैं.

तीन डिस्कॉम और उत्पादन व प्रसारण निगम में है हजारों कर्मचारी: ओल्ड पेंशन योजना का लाभ प्रदेश में जयपुर जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम के कर्मचारियों के साथ ही राजस्थान उत्पादन निगम और प्रसारण निगम के कर्मचारियों को भी नहीं मिल रहा है. इन पांचों कंपनियों में करीब 45 से 50 हजार कर्मचारी हैं. बिजली कर्मचारियों से जुड़ी सभी ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों ने ओल्ड पेंशन स्कीम योजना का लाभ दिए जाने की मांग को लेकर सरकार ऊर्जा मंत्री और ऊर्जा विभाग के आला अधिकारियों तक से गुहार लगाई और समय-समय पर इस संबंध में पत्राचार और ज्ञापन भी दिए. बावजूद इसके अब तक सरकार और ऊर्जा विभाग के स्तर पर इस घोषणा का लाभ बिजली कंपनियों में तैनात कर्मचारियों को दिए जाने पर कोई सहमति नहीं बन पाई है.

कर्मचारी नेता विद्युत विभाग विद्यासागर शर्मा का बयान

पढ़ें:राजस्थान में चल रही 'डबल इंजन की सरकार', CM गहलोत और मेरे भाई सचिन पायलट का धन्यवाद- दीपेंद्र हुड्डा

कर्मचारी नेताओं का आरोप, ब्यूरोक्रेट्स अटका रहे मामला: इस मामले में बिजली कंपनियों से जुड़े कर्मचारी नेताओं से जब बात की गई तो उनका साफ तौर पर कहना था कि सरकार ने जब बजट घोषणा की है तो उसका फायदा सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों को मिल रहा है. लेकिन ऊर्जा विभाग में तैनात ब्यूरोक्रेट्स की लचर कार्यशैली से अब तक बिजली कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. कर्मचारी नेता विद्यासागर शर्मा के अनुसार मुख्यमंत्री गहलोत की मंशा निगम बोर्ड के कर्मचारियों को भी यह लाभ देने की है. लेकिन इस काम में जितनी देरी हो रही है कर्मचारियों में उतना ही आक्रोश बढ़ता जा रहा है.

वहीं कर्मचारी नेता डीडी शर्मा के अनुसार ब्यूरोक्रेट्स चाहे तो बिजली कर्मचारियों को भी इस पेंशन योजना का फायदा मिल सकता है. लेकिन न तो वो सरकार से मार्गदर्शन मांग रहे हैं और न अपने स्तर पर कोई निर्णय ले रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी पेंशन योजना बिजली कंपनियों में लागू होने से सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं आएगा.

पढ़ें:NPS की जगह ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों ने किया धरना प्रदर्शन

2004 में बंद हुई थी ओल्ड पेंशन स्कीम: ओल्ड पेंशन स्कीम साल 2004 में बंद कर दी गई थी. लेकिन इसके अनगिनत फायदे होने के कारण यह पेंशन स्कीम सरकारी कर्मचारियों में लोकप्रिय रही. हाल ही में प्रदेश के बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा की है और सरकारी विभागों ने इसे अमलीजामा भी पहना दिया. इससे पहले 1 अप्रैल 2004 में तत्कालिक केंद्र के अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने डिफेंस सर्विसेज को छोड़कर अन्य सरकारी सेवाओं में नई पेंशन स्कीम लागू कर दी थी. मतलब साल 2004 के बाद सरकारी सेवा ज्वाइन करने वाले कर्मचारियों को नई पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा था. केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं किया था लेकिन अधिकतर राज्यों ने नई पेंशन स्कीम ही लागू कर ली.

नई पेंशन स्कीम और ओल्ड पेंशन स्कीम में है यह अंतर: प्रदेश के सरकारी विभागों में बजट घोषणा के बाद वापस ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी गई है. यदि ओल्ड पेंशन स्कीम और नई पेंशन स्कीम में अंतर की बात की जाए तो पुरानी स्कीम कर्मचारियों के लिए काफी फायदेमंद रही है. ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं होती थी. वहीं नई पेंशन योजना में कर्मचारियों की सैलरी से 10 फ़ीसदी की कटौती की जाती है. साथ ही इसमें 14 प्रतिशत हिस्सा सरकार देती है. पुरानी पेंशन योजना में रिटायर्ड कर्मचारियों को सरकारी कोष से ही पेंशन का भुगतान किया जाता था.

नई पेंशन स्कीम शेयर बाजार आधारित है और इसका भुगतान पूरी तरह बाजार पर ही निर्भर करता है. इसी तरह पुरानी पेंशन स्कीम में जीपीएस की सुविधा होती थी लेकिन नई स्कीम में यह सुविधा नहीं है. पुरानी पेंशन स्कीम का सबसे बड़ा फायदा यह था कि रिटायरमेंट के समय वेतन के करीब आधी राशि पेंशन के रूप में कर्मचारी को मिलती है और राज्य कर्मचारियों पर प्रतिवर्ष लागू होने वाले इंक्रीमेंट का फायदा भी इस पर मिलता है. कर्मचारियों के खाते से पेंशन पर कोई कटौती नहीं होती. जबकि नई पेंशन स्कीम में निश्चित पेंशन के कोई भी गारंटी नहीं.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम की घोषणा कर सियासी लाभ लेने की कोशिश तो की लेकिन प्रदेश की सरकारी क्षेत्र की पांच बिजली कंपनियों के कर्मचारी मुख्यमंत्री की इस घोषणा के लाभ से अब तक मेहरूम (Electricity workers could not get benefit old pension scheme) हैं. स्थिति यह है कि पांचों कंपनियों के करीब 45 से 50 हजार कर्मचारी आंदोलन की राह पर उतारने की तैयारी में हैं.

तीन डिस्कॉम और उत्पादन व प्रसारण निगम में है हजारों कर्मचारी: ओल्ड पेंशन योजना का लाभ प्रदेश में जयपुर जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम के कर्मचारियों के साथ ही राजस्थान उत्पादन निगम और प्रसारण निगम के कर्मचारियों को भी नहीं मिल रहा है. इन पांचों कंपनियों में करीब 45 से 50 हजार कर्मचारी हैं. बिजली कर्मचारियों से जुड़ी सभी ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों ने ओल्ड पेंशन स्कीम योजना का लाभ दिए जाने की मांग को लेकर सरकार ऊर्जा मंत्री और ऊर्जा विभाग के आला अधिकारियों तक से गुहार लगाई और समय-समय पर इस संबंध में पत्राचार और ज्ञापन भी दिए. बावजूद इसके अब तक सरकार और ऊर्जा विभाग के स्तर पर इस घोषणा का लाभ बिजली कंपनियों में तैनात कर्मचारियों को दिए जाने पर कोई सहमति नहीं बन पाई है.

कर्मचारी नेता विद्युत विभाग विद्यासागर शर्मा का बयान

पढ़ें:राजस्थान में चल रही 'डबल इंजन की सरकार', CM गहलोत और मेरे भाई सचिन पायलट का धन्यवाद- दीपेंद्र हुड्डा

कर्मचारी नेताओं का आरोप, ब्यूरोक्रेट्स अटका रहे मामला: इस मामले में बिजली कंपनियों से जुड़े कर्मचारी नेताओं से जब बात की गई तो उनका साफ तौर पर कहना था कि सरकार ने जब बजट घोषणा की है तो उसका फायदा सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों को मिल रहा है. लेकिन ऊर्जा विभाग में तैनात ब्यूरोक्रेट्स की लचर कार्यशैली से अब तक बिजली कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. कर्मचारी नेता विद्यासागर शर्मा के अनुसार मुख्यमंत्री गहलोत की मंशा निगम बोर्ड के कर्मचारियों को भी यह लाभ देने की है. लेकिन इस काम में जितनी देरी हो रही है कर्मचारियों में उतना ही आक्रोश बढ़ता जा रहा है.

वहीं कर्मचारी नेता डीडी शर्मा के अनुसार ब्यूरोक्रेट्स चाहे तो बिजली कर्मचारियों को भी इस पेंशन योजना का फायदा मिल सकता है. लेकिन न तो वो सरकार से मार्गदर्शन मांग रहे हैं और न अपने स्तर पर कोई निर्णय ले रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी पेंशन योजना बिजली कंपनियों में लागू होने से सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं आएगा.

पढ़ें:NPS की जगह ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों ने किया धरना प्रदर्शन

2004 में बंद हुई थी ओल्ड पेंशन स्कीम: ओल्ड पेंशन स्कीम साल 2004 में बंद कर दी गई थी. लेकिन इसके अनगिनत फायदे होने के कारण यह पेंशन स्कीम सरकारी कर्मचारियों में लोकप्रिय रही. हाल ही में प्रदेश के बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा की है और सरकारी विभागों ने इसे अमलीजामा भी पहना दिया. इससे पहले 1 अप्रैल 2004 में तत्कालिक केंद्र के अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने डिफेंस सर्विसेज को छोड़कर अन्य सरकारी सेवाओं में नई पेंशन स्कीम लागू कर दी थी. मतलब साल 2004 के बाद सरकारी सेवा ज्वाइन करने वाले कर्मचारियों को नई पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा था. केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं किया था लेकिन अधिकतर राज्यों ने नई पेंशन स्कीम ही लागू कर ली.

नई पेंशन स्कीम और ओल्ड पेंशन स्कीम में है यह अंतर: प्रदेश के सरकारी विभागों में बजट घोषणा के बाद वापस ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी गई है. यदि ओल्ड पेंशन स्कीम और नई पेंशन स्कीम में अंतर की बात की जाए तो पुरानी स्कीम कर्मचारियों के लिए काफी फायदेमंद रही है. ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं होती थी. वहीं नई पेंशन योजना में कर्मचारियों की सैलरी से 10 फ़ीसदी की कटौती की जाती है. साथ ही इसमें 14 प्रतिशत हिस्सा सरकार देती है. पुरानी पेंशन योजना में रिटायर्ड कर्मचारियों को सरकारी कोष से ही पेंशन का भुगतान किया जाता था.

नई पेंशन स्कीम शेयर बाजार आधारित है और इसका भुगतान पूरी तरह बाजार पर ही निर्भर करता है. इसी तरह पुरानी पेंशन स्कीम में जीपीएस की सुविधा होती थी लेकिन नई स्कीम में यह सुविधा नहीं है. पुरानी पेंशन स्कीम का सबसे बड़ा फायदा यह था कि रिटायरमेंट के समय वेतन के करीब आधी राशि पेंशन के रूप में कर्मचारी को मिलती है और राज्य कर्मचारियों पर प्रतिवर्ष लागू होने वाले इंक्रीमेंट का फायदा भी इस पर मिलता है. कर्मचारियों के खाते से पेंशन पर कोई कटौती नहीं होती. जबकि नई पेंशन स्कीम में निश्चित पेंशन के कोई भी गारंटी नहीं.

Last Updated : Jun 28, 2022, 8:20 AM IST
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