जयपुर. बिजली कर्मचारी भी केंद्र सरकार के निजीकरण के विरोध में उतर गए हैं. राजधानी जयपुर में बिजली कर्मचारियों ने निजी करण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने अपनी मांगे पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन करने की भी चेतावनी दी है. राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष पृथ्वीराज गुर्जर ने बताया कि सोमवार को एसोसिएशन के प्रदेशव्यापी आह्वान पर राजस्थान के पांचों विद्युत कंपनियों में केंद्र सरकार के निजीकरण की नीति के विरोध में राजस्थान के सभी उपखंड स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया गया.
राज्य के पांचों विधुत निगम RVUNL, RVPNL, JVVNL, AVVNL, JdVVNL में कार्यरत कर्मचारी और अभियन्ताओं की ज्वलंत समस्याओं और मांगों के निस्तारण के लिए विरोध प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री और निगम प्रबन्धन के नाम सहायक अभियन्ता, अधिशाषी अभियन्ता, अधीक्षण अभियन्ता, संभागीय मुख्य अभियन्ता को ज्ञापन सौपा गया.
वहीं, इससे एक दिन पहले सोशल मीडिया ट्विटर अकाउंट के माध्यम से अपनी बात देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री मंत्री, ऊर्जा मंत्री तक पहुचाई गई. और आज विरोध प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा गया है.
बिजली कर्मचारियों की मांगे-
- राजस्थान में विधुत निगमों में ठेकाप्रथा और नीजीकरण पर तत्काल रोक लगाएं, सभी कार्य नियमित कर्मचारियों से कराएं ताकि मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके.
- कोरोना काल में निर्बाध रूप से विधुत सेवा सुचारू बनाए रखने वाले बिजली कर्मियों, चिकित्सा कर्मियों और पुलिस कर्मियों की तर्ज पर वेतन कटौति से मुक्त रखा जाए.
- राजस्थान में एक विधुत निगम से दूसरे विधुत निगम में कर्मचारियों के स्थानान्तरण के लिए नीती बनवाएं जिससे दूसरे निगम में कार्यरत कर्मचारी भी अपने गृहनगर/गृह जिले में पदस्थापन पा सके.
- TH /TH-III/H-I, TECHNICIAN-III, PLANT ATTENDENT-III, PLANT OPRETOR-III की ग्रेड पे 3600 और इनके प्रमोशन के पदों की ग्रेड पे 4200, 4800, 5200 और हेल्पर-II की ग्रेड पे 2800 कराई जाए और टेक्नीकल हेल्पर-I/II/III का पदनाम तकनीशियन-I/II/III कराया जाए.
- विधुत निगमों के तकनीकी कर्मचारियों को मात्र 50 रू. साइकिल भत्ता जाता है जो कि नाकाफी है. इन्हें 33/11 केवी फीडरों के फाल्ट निकालने, रिडिंग लेकर बिल जारी करने, उपभोक्ताओं की शिकायतों का निस्तारण करने और विद्युत लाइनों की पेट्रोलिंग करने के लिए मोटरसाइकिल भत्ता (माईलेज अलाउन्स) 3500 रू. दिलवाया जाए.
- विधुत निगमों के तकनीकी कर्मचारियों को मात्र 150 रू. विधुत भत्ता दिया जा रहा है जो नाकाफी है. विधुत निगमों के बिजली कर्मचारी को विधुत भत्ता 3000 रू. या 500 युनिट मासिक बिजली फ्री कराया जाए.
- विधुत तकनीकी कर्मचारी 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. अतः भारतीय रेलवे की तर्ज पर इन्हें हार्डड्यूटी अलाऊंस 5000 रू. दिलवाया जाए.
- FRT और 33/11 केवी सबस्टेशन पर ठेके पर कार्यरत ठेकाकार्मिकों को विधुत निगमों की ओर से की जाने वाली कर्मचारियों की नई भर्ती में प्राथमिक्ता अथवा बोनस अंक दिये जाने की व्यवस्था कराई जाए, ताकि अनुभवी ठेका-कार्मिकों को नई भर्ती में प्राथमिक्ता मिलने पर नियुक्ती का मौका मिल सके.