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Jaipur: गाय और गौशाला को बनाया जा रहा स्वावलंबी, गोबर से तैयार हो रहे 70 से ज्यादा उत्पाद

मान्यता है कि गाय में करोड़ों देवी-देवताओं का वास होता है. किसी भी शुभ कार्य में शुद्धि के लिए गाय के घी, दूध और गोमूत्र का इस्तेमाल सदियों से किया जाता रहा है. गऊ माता की इसी महत्ता को समझते हुए जयपुर में गाय के गोबर को नया आयाम दिया जा रहा है. कई उत्पाद बनाए जा रहे हैं जिनसे न सिर्फ गाय और गौशाला बल्कि ग्रामीण भी स्वावलंबी बन रहे हैं.

Efforts to make self sufficient Gaushala
गाय के गोबर से संवरती जिंदगी
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Published : Mar 16, 2022, 12:09 PM IST

जयपुर. गाय के प्रति श्रद्धा हर व्यक्ति में है और गाय के लिए कुछ ना कुछ करना भी चाहता है. इसी सोच के साथ अब गाय को स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया जा रहा है. गोमूत्र से चिकित्सा, पूजा-पाठ में गोमूत्र, दूध, घी और गोबर के कंडे (उपले) आदि का इस्तेमाल सदियों से होता रहा है. लेकिन अब गाय के गोबर से उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. बीते साल से राजधानी जयपुर में गाय के गोबर और पराली से तैयार किए गए गोकाष्ठ से होलिका दहन की गई थी.

इस साल भी ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने 2000 से ज्यादा स्थानों पर गोकाष्ठ की होलिका दहन का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि गाय हिंदू समाज की श्रद्धा का केंद्र है. गौशाला ठीक तरह से चले और आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो ये पूरे समाज की जिम्मेदारी है. साथ ही बिगड़ता पर्यावरण संतुलन भी चिंता का बड़ा कारण है.

गाय और गौशाला को बनाया जा रहा स्वावलंबी

पर्यावरण संतुलन के लिए पेड़ आवश्यक है. उन्होंने पेड़ों को काटकर होलिका दहन, यज्ञ- हवन यहां तक कि अंतिम संस्कार भी नहीं करने को लेकर अपील की. और गोकाष्ठ को लकड़ी का सब्सीट्यूट बताते हुए इसका इस्तेमाल करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि पिछले साल 750 स्थानों पर गोकाष्ठ से होलिका दहन किया गया. और इस बार ये लक्ष्य 2000 स्थान का है.

पढ़ें- गुलाबी नगरी में गंगा-जमुनी तहजीब: परंपराओं को सहेजे है गुलाल गोटा...होली पर बढ़ी मांग, विदेशों में भी होता है सप्लाई

गोकाष्ठ ही नहीं राजधानी के एक व्यापारी गाय के गोबर से कई कलाकृति और उत्पाद तैयार कर बेच रहे हैं. गोकृति के फाउंडर भीमराज शर्मा ने बताया कि शुरुआत में लोगों ने गाय के गोबर से बने उत्पादों को पसंद नहीं किया. इसलिए गाय के गोबर से पहले कागज बनाया गया और उस कागज से प्रोडक्ट बनाए गए. वर्तमान में 70 तरह के प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं. ये प्रोडक्ट हर आयु वर्ग को ध्यान में रखकर के बनाए जा रहे हैं.

वर्तमान में गाय के गोबर से ₹50 से लेकर ₹1400 तक के सामान उपलब्ध हैं. वहीं हिंदू संस्कृति के त्योहारों से जोड़ते हुए गाय के गोबर से बनने वाले उत्पाद भी तैयार किए गए. दिवाली-होली जैसे त्योहारों के लिए पूजन सामग्री का किट तैयार किया गया. तो वहीं रक्षाबंधन को ध्यान में रखते हुए गाय के गोबर, बीज और प्राकृतिक सामग्रियों से राखी तक बनाई गई. इसके अलावा हवन-पूजन की सामग्री भी इसी गाय के गोबर से तैयार की जा रही है.

खास बात ये है कि सिर्फ जयपुर या राजस्थान में ही नहीं देश-विदेश में भी इन प्रोडक्ट्स को ऑर्डर पर पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि आज गाय के गोबर से बनने वाले उत्पादों से न सिर्फ गाय और गौशाला स्वावलंबी बन रही हैं बल्कि इससे सैकड़ों ग्रामीण लोगों को जोड़कर उन्हें भी रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. अच्छी बात ये है कि राजस्थान में फलते फूलते इस प्रोजेक्ट से उत्तर प्रदेश सरकार भी काफी प्रभावित है. गोकृति फाउंडर का दावा है कि गाय के गोबर से बनने वाले उत्पादों को लेकर वहां एक वृहद प्लांट लगाने की बात चल रही है.

जयपुर. गाय के प्रति श्रद्धा हर व्यक्ति में है और गाय के लिए कुछ ना कुछ करना भी चाहता है. इसी सोच के साथ अब गाय को स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया जा रहा है. गोमूत्र से चिकित्सा, पूजा-पाठ में गोमूत्र, दूध, घी और गोबर के कंडे (उपले) आदि का इस्तेमाल सदियों से होता रहा है. लेकिन अब गाय के गोबर से उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. बीते साल से राजधानी जयपुर में गाय के गोबर और पराली से तैयार किए गए गोकाष्ठ से होलिका दहन की गई थी.

इस साल भी ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने 2000 से ज्यादा स्थानों पर गोकाष्ठ की होलिका दहन का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि गाय हिंदू समाज की श्रद्धा का केंद्र है. गौशाला ठीक तरह से चले और आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो ये पूरे समाज की जिम्मेदारी है. साथ ही बिगड़ता पर्यावरण संतुलन भी चिंता का बड़ा कारण है.

गाय और गौशाला को बनाया जा रहा स्वावलंबी

पर्यावरण संतुलन के लिए पेड़ आवश्यक है. उन्होंने पेड़ों को काटकर होलिका दहन, यज्ञ- हवन यहां तक कि अंतिम संस्कार भी नहीं करने को लेकर अपील की. और गोकाष्ठ को लकड़ी का सब्सीट्यूट बताते हुए इसका इस्तेमाल करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि पिछले साल 750 स्थानों पर गोकाष्ठ से होलिका दहन किया गया. और इस बार ये लक्ष्य 2000 स्थान का है.

पढ़ें- गुलाबी नगरी में गंगा-जमुनी तहजीब: परंपराओं को सहेजे है गुलाल गोटा...होली पर बढ़ी मांग, विदेशों में भी होता है सप्लाई

गोकाष्ठ ही नहीं राजधानी के एक व्यापारी गाय के गोबर से कई कलाकृति और उत्पाद तैयार कर बेच रहे हैं. गोकृति के फाउंडर भीमराज शर्मा ने बताया कि शुरुआत में लोगों ने गाय के गोबर से बने उत्पादों को पसंद नहीं किया. इसलिए गाय के गोबर से पहले कागज बनाया गया और उस कागज से प्रोडक्ट बनाए गए. वर्तमान में 70 तरह के प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं. ये प्रोडक्ट हर आयु वर्ग को ध्यान में रखकर के बनाए जा रहे हैं.

वर्तमान में गाय के गोबर से ₹50 से लेकर ₹1400 तक के सामान उपलब्ध हैं. वहीं हिंदू संस्कृति के त्योहारों से जोड़ते हुए गाय के गोबर से बनने वाले उत्पाद भी तैयार किए गए. दिवाली-होली जैसे त्योहारों के लिए पूजन सामग्री का किट तैयार किया गया. तो वहीं रक्षाबंधन को ध्यान में रखते हुए गाय के गोबर, बीज और प्राकृतिक सामग्रियों से राखी तक बनाई गई. इसके अलावा हवन-पूजन की सामग्री भी इसी गाय के गोबर से तैयार की जा रही है.

खास बात ये है कि सिर्फ जयपुर या राजस्थान में ही नहीं देश-विदेश में भी इन प्रोडक्ट्स को ऑर्डर पर पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि आज गाय के गोबर से बनने वाले उत्पादों से न सिर्फ गाय और गौशाला स्वावलंबी बन रही हैं बल्कि इससे सैकड़ों ग्रामीण लोगों को जोड़कर उन्हें भी रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. अच्छी बात ये है कि राजस्थान में फलते फूलते इस प्रोजेक्ट से उत्तर प्रदेश सरकार भी काफी प्रभावित है. गोकृति फाउंडर का दावा है कि गाय के गोबर से बनने वाले उत्पादों को लेकर वहां एक वृहद प्लांट लगाने की बात चल रही है.

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