जयपुर. प्रदेश में राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर हर जगह बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एक और कदम उठाया गया. इस मौके पर राजधानी के एक निजी होटल में भी राज्य शिक्षा शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें राज्य शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने शिरकत की. इस मौके पर दो महत्वपूर्ण दस्तावेज THB यानी शिक्षक मार्गदर्शिका और SHB यानी बालिकाओं के लिए मार्गदर्शिका का अनावरण किया गया.
राज्य शिक्षा शिखर सम्मेलन में प्रदेशभर के शिक्षा विभाग के अधिकारी, सीडीईओ, एपीसीएस के साथ-साथ 14 से अधिक गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और बालिका शिक्षा की समस्याओं के बारे में चर्चा की. जहां राजस्थान एजुकेशन के तहत राज्य के जिलों में विभिन्न स्तरों पर शिक्षा में सहयोग करने वाले संस्थाओं ने अपनी प्रस्तुतियां दी. इसके तहत संस्थाओं द्वारा शिक्षा में नवाचार, सूचना एंव संचार प्रौद्योगिकी, सीखने के स्तर में वृद्धि आदि विषयों पर मंथन किया.
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इस मौके पर वक्ताओं ने बताया कि विश्व बैंक की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार बालिका शिक्षा में आने वाली बाधाएं बीते हुए जीवन काल की उत्पादकता और कमाई के मामले में बोझ देशों पर डालती है. लेकिन, इसके सामाजिक लाभ हालांकि गणना के लिए कठिन है, पर फिर भी महत्वपूर्ण है.
शिक्षित बालिकाएं, बाल विवाह, उच्च प्रजनन दर, उच्च जनसंख्या वृद्धि, बाल मृत्यु दर और कुपोषण जैसे मुद्दों से निपटने में कहीं बेहतर तरीके से सक्षम होती है. शिक्षित और स्वतंत्र महिलाओं के परिवार के केंद्र में होने से वह ना सिर्फ अपना बल्कि अपने पूरे समुदाय का बहुत बेहतर ध्यान रखती है.
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वहीं रीड के राष्ट्रीय निदेशक सौरव बनर्जी के अनुसार इस स्थिति को बदला जा सकता है. रूम टू रीड द्वारा शुरू किए गए बालिका शिक्षा और लैंगिक समानता कार्यक्रम की वजह से पूरे देश में 62457 बालिकाओं को लाभ मिला है. जो उन्हें न केवल प्रेरणा और सामग्री से सहयोग और समर्थन प्रदान करता है, बल्कि जरूर जीवन कौशल का प्रशिक्षण भी प्रदान करता है.
राजस्थान में रूम टू रीड के GEGEP ने IKEA फाउंडेशन के साथ 2019 में 'विजय' नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की. यह पहल जो के 31 जिलों में 182 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों और 72 औपचारिक विद्यालयों में संचालित है. इस पहल ने 22696 सादिक बालिकाओं के जीवन को बदल दिया है.