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Special: कोरोना काल में शिक्षा Online...लेकिन हजारों सह शैक्षिक गतिविधियों के शिक्षकों की नौकरी खतरे में

कोरोना संक्रमण की वजह से अभी भी स्कूल-कॉलेज बंद हैं, लेकिन ऑनलाइन क्लॉसेज की मदद से बच्चों के पाठ्यक्रम पूरे करवाए जा रहे हैं. वहीं, कराटे ट्रेनर, क्रिकेट कोच, संगीत शिक्षक सहित कई सह शिक्षकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और कइयों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. देखिये ये रिपोर्ट...

जयपुर के सह शिक्षक, Jaipur co-teacher
सह गतिविधि के शिक्षकों पर मंडराया आर्थिक संकट
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Published : Jul 15, 2020, 4:49 PM IST

जयपुर. कोरोना वायरस ने न जाने कितने ही लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है. 'अनलॉक 2.0' के बाद भी स्थिति सुधरती नहीं दिख रही है. संक्रमण के प्रसार के साथ ही साथ हर सप्ताह किसी ना किसी क्षेत्र से सैकड़ों कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी देने, नौकरियों से निकालने, वेतन में भारी कटौती करने की खबरें आ रही हैं.

कोरोना लील गई हजारों सह शिक्षकों की नौकरी

जहां मॉल्स, रेस्टोरेंट, होटल, फैक्ट्रियां कारखाने खुलने के बाद भी स्थितियां सामान्य नहीं हुई है, वहीं प्राइवेट स्कूल एजुकेशन भी फिलहाल ऑनलाइन क्लॉसेज तक सिमटी हुई हैं. इन स्कूलों में होने वाली सह शैक्षणिक गतिविधियां भी पूरी तरह लॉकडाउन है. ऐसे में क्रिकेट, संगीत, योगा, कराटे की क्लास देने वाले शिक्षकों की नौकरी पर भी तलवार लटक रही है.

मंथली वेजेस पर नियुक्त होते हैं सह शिक्षक...

संगीत हो या क्रिकेट, योगा हो या कराटे प्रदेश के कई प्राइवेट स्कूलों में छात्रों के लिए शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ इस तरह की सह शैक्षिक गतिविधियां भी संचालित हैं. कुछ प्राइवेट स्कूलों में तो यही गतिविधियां उस स्कूल की पहचान भी बनी हुई है. कोरोना काल में ये सह शैक्षिक गतिविधियां खुद अपनी पहचान खो बैठी हैं. स्कूल बंद होने की वजह से प्राइवेट स्कूल संचालकों ने छात्रों का पाठ्यक्रम पूरा कराने के लिए ऑनलाइन क्लॉसेज तो शुरू कर दी, लेकिन संगीत, क्रिकेट जैसी दूसरी गतिविधियां अभी भी बंद है. चूकि इनके शिक्षक भी मंथली वेजेस पर नियुक्त किए जाते हैं और अभी स्कूलों में ये क्लासेस शुरू होना संभव नहीं. ऐसे में प्रदेश के सैकड़ों शिक्षकों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई है.

जयपुर के सह शिक्षक, Jaipur co-teacher
योगाभ्यास करते छात्र

पढ़ेंः राजस्थान सियासी संकट : पायलट के बगावती तेवर, कांग्रेस ने व्हिप जारी कर बुलाई विधायक दल की बैठक

कोरोना फाइनेंशियल डिजास्टर...

संगीत शिक्षक रविंद्र सिंह ने बताया कि कोरोना हेल्थ डिजास्टर के साथ-साथ फाइनेंशियल डिजास्टर भी है. वो अपनी प्रतिभा से अपना गुजारा करते हैं. चूकि अभी स्कूल बंद है, ऐसे में उन जैसे सैकड़ों शिक्षक भी घर पर बैठे हैं. यही नहीं, जिन म्यूजिक एकेडमी में वो संगीत सिखाते हैं, वो भी बंद पड़ी है. ऐसे में इंतजार है कि सरकार, स्कूल और ऐसी एकेडमी के लिए भी कोई आदेश निकाल कर राहत प्रदान करें. उन्होंने कहा कि स्कूल वालों ने सैलरी रोक दी है. ऐसे में फिलहाल घर का खर्चा चलाना भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.

जयपुर के सह शिक्षक, Jaipur co-teacher
मैदान पर प्रैक्टिस करते छात्र

वहीं, कराटे ट्रेनर श्रीराम चौधरी ने बताया कि उनके साथ काम करने वाले एक दो नहीं, बल्कि 10 ट्रेनर ऐसे हैं जो स्कूलों में जाकर कराटे की क्लॉसेज दिया करते थे. उन्हें बीते 4 महीने से सैलरी नहीं मिली. जिन छात्रों को कराटे में रुचि है वो क्लॉसेज के लिए फोन जरूर करते हैं. लेकिन स्पोर्ट एक्टिविटी ऑनलाइन क्लास से संभव नहीं है. कुछ ट्रेनर्स की तो बीते 10-15 साल से केवल कराटे ही रोजी-रोटी का साधन था. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है.

जयपुर के सह शिक्षक, Jaipur co-teacher
कराटे का अभ्यास करते विद्यार्थी

पढ़ेंः जोधपुर: चौराहे के नामकरण को लेकर दो पक्षो में पथराव, घटना सीसीटीवी में कैद

वहीं, क्रिकेट कोच मनीष शर्मा की मानें तो कोरोना की वजह से खेल की सभी गतिविधि पूरी तरह बंद है. ऐसे में स्कूल या एकेडमी में क्लॉसेज संभव नहीं हो पा रही. चूंकि पूरे साल स्कूलों में खेल होते नहीं, ऐसे में उन्हें मंथली वेजेस पर स्कूलों से बुलाया जाता है. अब इनकम का वो सोर्स भी बंद हो गया है. वहीं जिन एकेडमी में तीन से चार कोच लगे थे वहां भी महज एक कोच से काम चलाया जा रहा है. अब देखना ये होगा कि कब इन सह शिक्षकों को स्कूलों से फिर बुलाया जाता है, जिससे इनकी आर्थिक तंगी की समस्या खत्म हो.

जयपुर. कोरोना वायरस ने न जाने कितने ही लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है. 'अनलॉक 2.0' के बाद भी स्थिति सुधरती नहीं दिख रही है. संक्रमण के प्रसार के साथ ही साथ हर सप्ताह किसी ना किसी क्षेत्र से सैकड़ों कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी देने, नौकरियों से निकालने, वेतन में भारी कटौती करने की खबरें आ रही हैं.

कोरोना लील गई हजारों सह शिक्षकों की नौकरी

जहां मॉल्स, रेस्टोरेंट, होटल, फैक्ट्रियां कारखाने खुलने के बाद भी स्थितियां सामान्य नहीं हुई है, वहीं प्राइवेट स्कूल एजुकेशन भी फिलहाल ऑनलाइन क्लॉसेज तक सिमटी हुई हैं. इन स्कूलों में होने वाली सह शैक्षणिक गतिविधियां भी पूरी तरह लॉकडाउन है. ऐसे में क्रिकेट, संगीत, योगा, कराटे की क्लास देने वाले शिक्षकों की नौकरी पर भी तलवार लटक रही है.

मंथली वेजेस पर नियुक्त होते हैं सह शिक्षक...

संगीत हो या क्रिकेट, योगा हो या कराटे प्रदेश के कई प्राइवेट स्कूलों में छात्रों के लिए शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ इस तरह की सह शैक्षिक गतिविधियां भी संचालित हैं. कुछ प्राइवेट स्कूलों में तो यही गतिविधियां उस स्कूल की पहचान भी बनी हुई है. कोरोना काल में ये सह शैक्षिक गतिविधियां खुद अपनी पहचान खो बैठी हैं. स्कूल बंद होने की वजह से प्राइवेट स्कूल संचालकों ने छात्रों का पाठ्यक्रम पूरा कराने के लिए ऑनलाइन क्लॉसेज तो शुरू कर दी, लेकिन संगीत, क्रिकेट जैसी दूसरी गतिविधियां अभी भी बंद है. चूकि इनके शिक्षक भी मंथली वेजेस पर नियुक्त किए जाते हैं और अभी स्कूलों में ये क्लासेस शुरू होना संभव नहीं. ऐसे में प्रदेश के सैकड़ों शिक्षकों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई है.

जयपुर के सह शिक्षक, Jaipur co-teacher
योगाभ्यास करते छात्र

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कोरोना फाइनेंशियल डिजास्टर...

संगीत शिक्षक रविंद्र सिंह ने बताया कि कोरोना हेल्थ डिजास्टर के साथ-साथ फाइनेंशियल डिजास्टर भी है. वो अपनी प्रतिभा से अपना गुजारा करते हैं. चूकि अभी स्कूल बंद है, ऐसे में उन जैसे सैकड़ों शिक्षक भी घर पर बैठे हैं. यही नहीं, जिन म्यूजिक एकेडमी में वो संगीत सिखाते हैं, वो भी बंद पड़ी है. ऐसे में इंतजार है कि सरकार, स्कूल और ऐसी एकेडमी के लिए भी कोई आदेश निकाल कर राहत प्रदान करें. उन्होंने कहा कि स्कूल वालों ने सैलरी रोक दी है. ऐसे में फिलहाल घर का खर्चा चलाना भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.

जयपुर के सह शिक्षक, Jaipur co-teacher
मैदान पर प्रैक्टिस करते छात्र

वहीं, कराटे ट्रेनर श्रीराम चौधरी ने बताया कि उनके साथ काम करने वाले एक दो नहीं, बल्कि 10 ट्रेनर ऐसे हैं जो स्कूलों में जाकर कराटे की क्लॉसेज दिया करते थे. उन्हें बीते 4 महीने से सैलरी नहीं मिली. जिन छात्रों को कराटे में रुचि है वो क्लॉसेज के लिए फोन जरूर करते हैं. लेकिन स्पोर्ट एक्टिविटी ऑनलाइन क्लास से संभव नहीं है. कुछ ट्रेनर्स की तो बीते 10-15 साल से केवल कराटे ही रोजी-रोटी का साधन था. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है.

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वहीं, क्रिकेट कोच मनीष शर्मा की मानें तो कोरोना की वजह से खेल की सभी गतिविधि पूरी तरह बंद है. ऐसे में स्कूल या एकेडमी में क्लॉसेज संभव नहीं हो पा रही. चूंकि पूरे साल स्कूलों में खेल होते नहीं, ऐसे में उन्हें मंथली वेजेस पर स्कूलों से बुलाया जाता है. अब इनकम का वो सोर्स भी बंद हो गया है. वहीं जिन एकेडमी में तीन से चार कोच लगे थे वहां भी महज एक कोच से काम चलाया जा रहा है. अब देखना ये होगा कि कब इन सह शिक्षकों को स्कूलों से फिर बुलाया जाता है, जिससे इनकी आर्थिक तंगी की समस्या खत्म हो.

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