जयपुर. राजधानी जयपुर में भले ही ई-रिक्शा प्रदूषण में कमी लाने की दिशा में परिवहन का प्रमुख साधन है. लेकिन बेतरतीब तरीके से ई-रिक्शों का संचालन आज परकोटा क्षेत्र में जाम का प्रमुख कारण भी बन चुका है. बीते 2 साल से यातायात पुलिस, हेरिटेज निगम और परिवहन विभाग ई-रिक्शों को जोनों में बांट कर चलाने की प्लानिंग कर रहे हैं, लेकिन अब तक इस प्लानिंग को धरातल पर नहीं उतार पाए हैं.
आजीविका चलाने के लिए ई रिक्शा बना नया साधन
शहर के परकोटे में चलने वाले ई-रिक्शा पब्लिक ट्रांसपोर्ट की नई लाइफ लाइन बन गए हैं. सस्ता और इको फ्रेंडली ई रिक्शा की संख्या 6 साल में 4 हज़ार से बढ़कर 17 हजार के पार पहुंच चुकी है. इसका एक बड़ा कारण कोविड-19 के दौर में बढ़े बेरोजगारों को भी माना जा रहा है, जिन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए ई-रिक्शा को नया साधन बनाया. लेकिन मलाल इस बात का है कि इन 17 हज़ार ई रिक्शा में से 10 हजार से ज्यादा अकेले परकोटा क्षेत्र में संचालित हो रहे हैं, जो अब जाम की प्रमुख वजह बन गए हैं.
यदि आप भी वॉलसिटी से गुजरते हैं, तो इस समस्या से दो-चार जरूर होंगे. परकोटे के बाजारों में ई-रिक्शों के बेतरतीब संचालन से व्यापारी से लेकर खरीददार तक सब परेशान हैं. इस संबंध में हेरिटेज निगम की विजिलेंस शाखा भी कई बार यातायात पुलिस और परिवहन विभाग को लिख चुकी है.
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अब तक धरातल पर नहीं उतर सका प्लान
हालांकि, 2 साल पहले ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में ई-रिक्शा को 8 जोन में संचालित करने की योजना बनाई गई थी. इसके बाद परिवहन विभाग ने 8 के बजाय 12 जोन बनाने, ई-रिक्शा को कलर कोड के साथ बांटने और सभी जोन में अलग-अलग रंग की पट्टियां बनाए जाने की योजना बनाई. ताकि परकोटे में ई रिक्शा की संख्या कम हो सके और बाहरी इलाकों में ई-रिक्शा की सुविधा मिल सके. लेकिन ये प्लान अब तक धरातल पर नहीं उतारा जा सका है. यही नहीं इनके लिए कुछ बाजारों में बैरिकेडिंग भी की गई है लेकिन आधे से ज्यादा ई-रिक्शा बैरिकेडिंग को ताक पर रखते हैं.
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ई-रिक्शा एसोसिएशन भी चाहता है सुव्यवस्थित व्यवस्था
त्योहारी सीजन में परकोटे में लगे जाम की स्थिति को देखते हुए यातायात पुलिस को एक बार फिर ये प्लान याद आया है. अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ट्रैफिक मुस्तफा अली जैदी ने जानकारी देते हुए बताया कि ई-रिक्शा एसोसिएशन भी चाहता है कि इन्हें सुव्यवस्थित किया जाए. आरटीओ ई-रिक्शा के रूट निर्धारण पर काम कर रहा है. वहीं एक चौराहे या एक स्टैंड पर ई-रिक्शा की संख्या निर्धारित की जाएगी. ई-रिक्शा का जोन और रूट निर्धारित करने के लिए आरटीओ से वार्ता की जाएगी, और एक कलर कोड दिया जाएगा.
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चालक का मिलेगा ड्रेस कोड और आई कार्ड
ई-रिक्शा को चिह्नित करने के लिए चालक का ड्रेस कोड और आई कार्ड भी बनाया जाएगा. साथ ही ई रिक्शा की फिटनेस और मेंटेनेंस पर भी ध्यान रखा जाएगा. ये कार्य ई-रिक्शा एसोसिएशन से जुड़े वॉलिंटियर्स को ही सौंपा जाएगा. जिन्हें ट्रैफिक पुलिस द्वारा ट्रेंड किया जाएगा. जो की ट्रैफिक वार्डन की तरह काम करते हुए ई-रिक्शा का संचालन करेंगे. बहरहाल, प्लानिंग काफी है, लेकिन सवाल यही है कि ये प्लानिंग धरातल पर कब उतरेगी.