जयपुर. शहर दिनों-दिन प्रगति कर रहा है, लेकिन आज भी कई क्षेत्र रात के अंधेरे में डूब जाते हैं. इस अंधेरे के बीच अपराध (Crime) और डर जन्म लेता है. राजधानी का ग्रेटर नगर निगम (Greater Municipal Corporation) दूर तक फैला हुआ है. कई आउटर कॉलोनियों तक स्ट्रीट लाइट नहीं पहुंची है. हेरिटेज नगर निगम (
Heritage Municipal Corporation Jaipur) के कुछ हिस्सों में भी स्ट्रीट लाइट की कमी दूर नहीं हो पाई है.
राजधानी में स्ट्रीट लाइट (Street lights) एक आम समस्या है. यह निगम के लिए बड़ी चुनौती भी है. नगर निगम में हर दिन दर्ज होने वाली शिकायतों में करीब 30% शिकायतें स्ट्रीट लाइट से जुड़ी होती है. यही नहीं मांग पत्रों के माध्यम से भी लोग अपने क्षेत्र में रोड लाइट लगाने की मांग करते आए हैं, जबकि वार्ड पार्षदों से अपने क्षेत्र की जनता को सड़कों पर अंधेरा होने के चलते जवाब देते नहीं बनता.
कई इलाकों में स्ट्रीट लाइट नहीं
ग्रेटर निगम पार्षद करण शर्मा ने बताया कि उनके वार्ड में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां एक भी स्ट्रीट लाइट नहीं है. यहां तक कि राजस्थान विश्वविद्यालय के पीछे सरकारी क्वार्टर तक इससे अछूते हैं. गांधीनगर रेलवे स्टेशन के बाहर से गुजरने वाली मेन रोड, बजाज नगर, बैरवा कॉलोनी पर रोड लाइट की कमी है. महापौर, उपमहापौर और लाइट समिति के चेयरमैन से भी बात की गई थी. उनसे 15 मई तक लाइट उपलब्ध कराए जाने आश्वासन मिला था, लेकिन अब भी क्षेत्र अंधेरे में डूबा हुआ है.
स्ट्रीट लाइट नहीं होने से होते हैं हादसे
पूर्व पार्षद मंजू शर्मा ने कहा कि उनके क्षेत्र में निगम की लापरवाही और अनदेखी की वजह से बिना लाइट लगे खंबे क्षेत्रीय लोगों को चिड़ा रहे हैं. अंधेरे की वजह से चाहे 60 फुट रोड हो, चाहे 30 फुट रोड, महिलाओं, बच्चों और वृद्धजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है. आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं, लेकिन निगम प्रशासन को इससे कोई सरोकार नहीं. उद्योग नगर, आरके नगर, राठौड़ नगर, श्रीराम पुरी ऐसे कई स्थान हैं, जहां खाली पोल स्ट्रीट लाइट का इंतजार कर रहे हैं.
स्ट्रीट लाइट नहीं होने की रोज होती है शिकायतें
स्ट्रीट लाइटों के संबंध में एक्सईएन लाइट रूपाराम चौधरी ने बताया कि प्रथम चरण में हर वार्ड में 100-100 लाइट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. आउटर वार्ड में रिक्वायरमेंट अधिक होने के चलते वहां पुनर्मूल्यांकन कर दूसरे चरण में और लाइट लगवाई जाएगी. दोनों ही कंपनियों को मेंटेनेंस पर 25 रुपये प्रति लाइट हर महीने दिया जाता है. जिसमें हर साल 5% बढ़ोतरी होती है. हालांकि निगम की शिकायतों में तकरीबन हर दिन 700 से 800 शिकायत स्ट्रीट लाइट की दर्ज होती हैं.
ग्रेटर नगर निगम की तरह ही हेरिटेज नगर निगम में भी वार्ड पार्षदों को स्ट्रीट लाइट को लेकर शिकायतें है. वार्ड पार्षद रमेश सैनी ने बताया कि नंद वाटिका, सर्वानंद कॉलोनी, गोविंद वाटिका जैसी कई कॉलोनियां है, जहां रोड लाइट की काफी समस्या है. यहां काफी अंधेरा रहता है. लेकिन कई बार शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद महज 50 एलईडी लाइट देकर इतिश्री कर ली गई.
हेरिटेज निगम के उपायुक्त विद्युत सुरेंद्र कुमार बिसारिया ने बताया कि हाल ही में महापौर के निर्देश पर प्रत्येक वार्ड में 50-50 लाइट लगवाई गई है. वहीं क्षेत्रवार सर्वे कराया जा रहा है, ताकि जहां से भी रोड लाइट नहीं होने की शिकायतें आती हैं, उनका समाधान किया जा सके. दिन भर में करीब 150 से 200 शिकायतें स्ट्रीट लाइट से जुड़ी आती हैं. जिन्हें 24 घंटे में ठीक कराने का उन्होंने दावा किया. हालांकि उन्होंने ये भी माना कि अभी आमेर ऐसा क्षेत्र है, जहां बड़ी संख्या में स्ट्रीट लाइट लगाने की आवश्यकता है, लेकिन संसाधन के अनुसार कार्य किए जा रहे हैं.
बहरहाल, निगम प्रशासन ने 550 करोड़ खर्च कर शहर को रोशन करने के लिए ढाई लाख एलईडी लगाने का टेंडर दिया था. जिनमें से अधिकतर लाइट मुख्य सड़कों पर इस्तेमाल हो चुकी हैं. हालांकि एलईडी लाइट लगने का फायदा निगम को बिजली के बिल में नहीं मिला. वहीं अब भी कई क्षेत्र एलईडी लाइट से अछूते है. ऐसे में एलईडी लाइट का पूरा फायदा आम जनता को भी नहीं मिला है.