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प्रदेश कांग्रेस संगठन में हो रही देरी के पीछे कहीं ये वजह तो नहीं? - राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा

बीते 6 माह से केवल प्रदेशाध्यक्ष के सहारे पंचायती राज चुनाव और नगर निकाय जैसे बड़े चुनाव निकालने के बाद भी कांग्रेस पार्टी नई कार्यकारिणी के गठन को लेकर जूझ रही है. हालात ये हैं कि नए फॉर्मूले के चलते वरिष्ठ नेताओं तक ने पार्टी में पद के लिए ना कह दी है. पढ़ें ये खबर...

Rajasthan PCC news, राजस्थान कांग्रेस कार्यकारिणी
Rajasthan PCC news, राजस्थान कांग्रेस कार्यकारिणी
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Published : Jan 2, 2021, 1:13 PM IST

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की कार्यकारिणी के गठन को लेकर लगातार कवायद चल रही है, लेकिन 6 महीने से अकेले राजस्थान कांग्रेस की कमान संभाल रहे गोविंद डोटासरा की अब भी वह इसमें सफल नहीं हो पा रहे हैं. पहले तो राजस्थान में नेताओं का आपसी द्वंद और फिर नए फॉर्मूले को लेकर पशोपेश चल रही है.

नए फॉर्मूले के अनुसार जिन कार्यकर्ताओं को संगठन में मौका मिल जाएगा उन्हें सरकार में हिस्सेदारी यानी राजनीतिक नियुक्तियों में स्थान नहीं मिलेगा. इस फॉर्मूले ने कांग्रेस पार्टी के कार्यकारिणी गठन की कवायद को बहुत धीमा कर दिया है. क्योंकि राजस्थान में अभी कांग्रेस की सरकार है ऐसे में हर कोई जानता है कि जब सरकार होती है तो संगठन लगभग गौण ही रहता है. ऐसे में पार्टी के नेता चाहते हैं कि उन्हें सत्ता में किसी प्रकार की भागीदारी मिले.

पढे़ंः पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री बूटा सिंह का निधन, दिल्ली AIIMS में ली अंतिम सांस

यही कारण है कि पहले बड़ी संख्या में ऐसे कांग्रेस कार्यकर्ता थे जो संगठन में अपने लिए पद की चाह रख रहे थे लेकिन जब से यह कहा जा रहा है कि जिन्हें एक पद मिल जाएगा उन्हें दूसरी जगह मौका नहीं मिलेगा। इसके बाद से हालात यह हैं कि कांग्रेस के कई नेताओं ने तो खुलकर अब संगठन में काम नहीं करने की बात कह दी है.

वहीं, कई नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को अपनी इच्छा से अवगत करवा दिया है. ऐसे में प्रदेश कार्यकारिणी के नेताओं के नामों में कई बार बदलाव हो चुका है और अभी भी कार्यकारिणी में कौन नेता शामिल होगा और कौन नहीं इसे लेकर जद्दोजहद जारी है. खुद प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन की कई दौर की वार्ता इस मसले पर हो चुकी है लेकिन अब भी इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका है.

पढे़ंः बूटा सिंहः 'गाय-बछड़ा' की जगह कांग्रेस को 'हाथ का पंजा' सिंबल देने वाला सितारा अस्त

नए मापदंडों को लेकर खुद प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी दुविधा में है क्योंकि कांग्रेस में राजनीतिक नियुक्तियों से पत्ता कट होने के चलते उपाध्यक्ष और महामंत्री जैसे पदों पर भी अनुभवी और दिग्गज नेता नहीं आना चाहते हैं. ऐसे पदों पर पार्टी नेतृत्व नए नेताओं को मौका देना नहीं चाहता है. ऐसे में अब तक लॉबी कर अपने लिए वरिष्ठ पदाधिकारी का पद मांगने वाले नेता पीछे हट गए हैं जो कांग्रेस पार्टी के लिए नई दुविधा बन गया है.

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की कार्यकारिणी के गठन को लेकर लगातार कवायद चल रही है, लेकिन 6 महीने से अकेले राजस्थान कांग्रेस की कमान संभाल रहे गोविंद डोटासरा की अब भी वह इसमें सफल नहीं हो पा रहे हैं. पहले तो राजस्थान में नेताओं का आपसी द्वंद और फिर नए फॉर्मूले को लेकर पशोपेश चल रही है.

नए फॉर्मूले के अनुसार जिन कार्यकर्ताओं को संगठन में मौका मिल जाएगा उन्हें सरकार में हिस्सेदारी यानी राजनीतिक नियुक्तियों में स्थान नहीं मिलेगा. इस फॉर्मूले ने कांग्रेस पार्टी के कार्यकारिणी गठन की कवायद को बहुत धीमा कर दिया है. क्योंकि राजस्थान में अभी कांग्रेस की सरकार है ऐसे में हर कोई जानता है कि जब सरकार होती है तो संगठन लगभग गौण ही रहता है. ऐसे में पार्टी के नेता चाहते हैं कि उन्हें सत्ता में किसी प्रकार की भागीदारी मिले.

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यही कारण है कि पहले बड़ी संख्या में ऐसे कांग्रेस कार्यकर्ता थे जो संगठन में अपने लिए पद की चाह रख रहे थे लेकिन जब से यह कहा जा रहा है कि जिन्हें एक पद मिल जाएगा उन्हें दूसरी जगह मौका नहीं मिलेगा। इसके बाद से हालात यह हैं कि कांग्रेस के कई नेताओं ने तो खुलकर अब संगठन में काम नहीं करने की बात कह दी है.

वहीं, कई नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को अपनी इच्छा से अवगत करवा दिया है. ऐसे में प्रदेश कार्यकारिणी के नेताओं के नामों में कई बार बदलाव हो चुका है और अभी भी कार्यकारिणी में कौन नेता शामिल होगा और कौन नहीं इसे लेकर जद्दोजहद जारी है. खुद प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन की कई दौर की वार्ता इस मसले पर हो चुकी है लेकिन अब भी इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका है.

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नए मापदंडों को लेकर खुद प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी दुविधा में है क्योंकि कांग्रेस में राजनीतिक नियुक्तियों से पत्ता कट होने के चलते उपाध्यक्ष और महामंत्री जैसे पदों पर भी अनुभवी और दिग्गज नेता नहीं आना चाहते हैं. ऐसे पदों पर पार्टी नेतृत्व नए नेताओं को मौका देना नहीं चाहता है. ऐसे में अब तक लॉबी कर अपने लिए वरिष्ठ पदाधिकारी का पद मांगने वाले नेता पीछे हट गए हैं जो कांग्रेस पार्टी के लिए नई दुविधा बन गया है.

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