जयपुर. सरकारी विभागों की आपसी खींचतान और तालमेल नहीं होने का खामियाजा अमूमन शहर की आम जनता को भुगतना पड़ता है. सड़क, पानी, बिजली, अतिक्रमण जैसे मुद्दों पर सरकारी विभागों में तालमेल नहीं हो पाता. हालांकि जिला कलेक्टर और संभागीय आयुक्त बैठकों में अधिकारियों को आपसी तालमेल से काम करने के निर्देश देते हैं, लेकिन विभागों में तालमेल की पटरी नहीं बैठ पाती है. देखिये यह खास रिपोर्ट...
जब बात नगर निगम की करते हैं, तो उसे तो पीएचईडी, जेडीए, जेवीवीएनएल, रीको, जिला प्रशासन, हाउसिंग बोर्ड, ट्रैफिक जैसे बड़े डिपार्टमेंट से हर दिन ही समन्वय जरूरी हो जाता है. शहर में सड़कों का काम कहीं नगर निगम, कहीं जेडीए, तो कहीं रीको के भरोसे है, लेकिन इन्हीं सड़कों के नीचे से पीएचईडी की पानी की लाइन, जेवीवीएनएल की बिजली की लाइन, नगर निगम की सीवर लाइन भी गुजरती है. जिनकी मरम्मत-रखरखाव और नई लाइन डालने के लिए आए दिन इन सड़कों को खोद दिया जाता है. जिसके बाद नई सड़कों के निर्माण में कई दिन बीत जाते हैं. जिसका खामियाजा सड़कों पर चलने वाले राहगीरों और वाहन चालकों को भुगतना पड़ता है.
इसका जिम्मेदार कोई विभाग नहीं बल्कि विभागों के बीच समन्वय की कमी है. इसी समन्वय को स्थापित करने के लिए करीब 3 साल पहले आखिरी बार जयपुर नगर निगम के पूर्व मेयर अशोक लाहोटी ने सभी विभागों की बैठक बुलाई थी. उसके बाद से शहर के हालात देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपसी सामंजस्य कितना जरूरी है.
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जिला स्तर पर जिला कलेक्टर राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं. ऐसे में वो सभी महकमों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए बैठक बुला सकते हैं. इसी तरह संभागीय आयुक्त संभाग स्तर के मामलों को निपटाते हैं. जयपुर में कलेक्टर की अध्यक्षता में साप्ताहिक बैठक भी होती है. जिसमें आम जनता से जुड़े विभिन्न विभाग पानी, बिजली, जेडीए, नगर निगम, पीएचईडी, पीडब्ल्यूडी से जुड़े जिला स्तरीय अधिकारी बैठक से जुड़ते हैं.
इस मीटिंग में तात्कालिक प्रकरणों पर चर्चा कर उनके निस्तारण के संबंध में निर्देश दिए जाते हैं. इसी दौरान विभागों के आपसी समन्वय के लिए भी निर्देशित किया जाता है. वहीं, डीएलबी डायरेक्टर ने बताया कि कोई भी बड़ी योजना और कार्यक्रम सभी विभागों के सामंजस्य से ही बनती है. हालांकि नगरीय निकायों का बोर्ड साधारण सभा में यदि किसी विभाग से जुड़ा एजेंडा है, तो उन्हें बुला सकता है.
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ग्रेटर नगर निगम महापौर के अनुसार जयपुर के पूरे विकास का यदि प्लान बनाते हैं, तो वहां बहुत सारी एजेंसी काम कर रही हैं. जिनमें आपसी समन्वय की जरूरत है. ऐसे में सभी एजेंसियों के साथ बैठकर विकास के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए जल्द समन्वय बैठक भी बुलाई जाएगी. फिलहाल बीसलपुर की लाइने डालने के लिए सड़कें तोड़ी गई, लेकिन पानी अब तक नहीं आया है. अब सड़कों के हालात भी खराब है. जिससे जनता परेशान हो रही है. हेरिटेज नगर निगम महापौर ने माना कि फिलहाल एजेंसियों में समन्वय की कमी है, लेकिन जल्द एक मंच पर साथ बैठकर शहर के विकास के क्रम में काम किया जाएगा.
हाल ही में कोरोना काल में इसी तरह का समन्वय देखने को भी मिला और अब जल्द स्वच्छता सर्वेक्षण की चुनौती भी सामने होगी. हालांकि स्वच्छता सर्वेक्षण में निगम प्रशासन भले ही नोडल विभाग की भूमिका निभाता है. लेकिन शहर को अव्वल बनाने में सभी विभागों से समन्वय जरूरी होगा.