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बच्चों में कोरोना हो तो घबराएं नहीं, बच्चे जल्दी ठीक होते हैं: डॉ.एसडी शर्मा

कोरोना काल में लोगों को स्वास्थय संबंधी जानकारी देने के लिए बाल आयोग की ओर से 'पूछें डॉक्टर से' वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है. वेबिनार के 14वें सत्र में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एसडी शर्मा ने कहा कि किसी भी प्रकार का टेस्ट बिना डॉक्टर के सलाह के नहीं करवाएं. उन्होंने कहा कि बच्चे कोरोना से जल्दी ठीक होते हैं.

Corona in Rajasthan,  Jaipur News
बच्चों में कोरोना
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Published : May 17, 2021, 3:52 PM IST

जयपुर. बच्चों को कोरोना हो जाए तो घबराना नहीं है. इलाज करवाएं, सेल्फ मेडिकेशन नहीं करवाएं. किसी भी प्रकार का टेस्ट बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं करवाएं. सीटी स्कैन नहीं करवाएं. बच्चों में कॉम्पलीकेशन और डेथ रेट 1 फीसदी होती है. यह कहना है बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एसडी शर्मा का.

सेल्फ मेडिकेशन न करें

पढ़ें- राजनाथ सिंह और डॉ. हर्षवर्धन ने लॉन्च की DRDO की एंटी कोरोना दवा 2DG

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल का कहना है कि बच्चों के साथ समय बिताएं, जो माता-पिता बच्चों के साथ समय नहीं बिता पा रहे थे वे बच्चों के साथ समय बिताएं. इस लॉकडाउन में बच्चों का टाइम टेबल सेट करना अति आवश्यक है.

ऑनलाइन संवाद सत्र के बारे में बताते हुए बाल आयोग की अध्यक्षा ने बताया कि बाल अधिकारों एवं उनकी सुरक्षा के प्रति बाल आयोग सदैव तत्पर है. कोरोना काल में इसी क्रम में घर बैठे सही स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी देने हेतु बाल आयोग की सहभागियों की संयुक्त पहल 'पूछें डॉक्टर से' स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाने में अहम भागीदारी निभा रहा है.

गौरतलब है कि 'पूछे डॉक्टर से' के 14वें सत्र में एसएमएस मेडिकल कॉलेज एवं जेके लोन अस्पताल, जयपुर पूर्व अधीक्षक एवं विभागाध्यक्ष, बाल-शिशु रोग एवं नियोनेटोलॉजी विभाग डॉ. एसडी शर्मा और राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल जनता से जुड़ी.

इडियट सिन्ड्रोम से बचें...

डॉ. एसडी शर्मा ने कहा कि आज के समय में सबसे ज्यादा जरूरी इडियट सिन्ड्रोम (IDIOT syndrome) से बचना है. जो इंटरनेट से ज्ञान से लेकर खुद का इलाज शुरू कर देते हैं, उसे इडियट सिन्ड्रोम (Internet Derived Information Obstruction Treatment) कहते हैं. उन्होंने कहा कि एचआरसीटी (HRCT) में एक्स-रे से ज्यादा रेडिएशन होता है, जो बच्चों के लिए नुकसानदायक है. इसमें बच्चा डर जाता है. उन्होंने कहा कि बच्चे नहीं समझते हैं कि कोरोना क्या होता है और यह महामारी क्या है. बच्चों में मानसिक तनाव पैदा होने लगा है, जिसका अभिभावकों को ध्यान रखना है.

पढ़ें- नागौर के शिशु गृह में दो से ढाई माह के दो बच्चे पाए गए कोरोना पॉजिटिव, बाल आयोग ने लिया संज्ञान

शर्मा ने कहा कि बच्चे को मास्क पहनाना भी कठिन कार्य है. इससे बचने के लिए घर में बड़े लोगों को कोरोना गाइडलाइन की पालना करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोरोना में 'ए सिम्टोमेटिक' एक टर्म है, जिसमें कोई लक्षण नहीं होता है. घर में किसी बड़े को कोरोना है तो 24 घंटे मास्क लगा कर रखें.

एमएससी सिन्ड्रोम के लक्षण

कुछ बच्चे एमएससी सिन्ड्रोम (MSC syndrome) से ग्रसित होने लगे हैं. यह सिन्ड्रोम कोरोना से संबंधित है. यह 1-19 साल के बच्चों में होता है. 48 से 72 घंटे का बुखार इसके लक्षण हैं. हांफने लग जाना, पेट फूल जाना, पीलिया हो जाना, दौरे आना, बेहोशी आना इत्यादि भी इसका लक्षण है. यह नया सिन्ड्रोम है.

सेल्फ मेडिकेशन न करें

उन्होंने कहा कि मदर को कोरोना है तो भी बच्चे को मां का दूध पिलाना जारी रखें. सेल्फ मेडिकेशन (Self Medication) न करें, उससे नुकसान ज्यादा है. डॉक्टर की सलाह जरूरी है. शर्मा ने कहा कि मास्क से ऑक्सीजन की कमी नहीं होती है. हर आठ घंटे में मास्क बदलें. सही प्रकार का मास्क या सर्जिकल मास्क जरूरी है. घर में किसी को कोरोना है तो सभी को मास्क लगा कर रखना जरूरी है.

नेगेटिव आने के बाद भी गाइडलाइन की पालना जरूरी

अगर घर में आइसोलेट नहीं हो सकते हैं तो संस्थागत क्वॉरेंटाइन सेंटर में जा कर आइसोलेट हो सकते हैं. लोगों में भ्रांति है कोरोना पॉजिटिव होने के बाद जब वे नेगेटिव हो जाएंगे तो उन्हें कुछ नहीं होगा. नेगेटिव आने के बाद भी कोरोना गाइडलाइन की पालना करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बच्चों को बचाना है तो बड़ों को सजग रहना होगा.

बच्चों का ऐसे रखें ध्यान

एसडी शर्मा ने कहा कि एयरबोर्न बच्चों के लिए खतरे की घंटी है. बच्चा संक्रमित है और उसे घर में रखें तो दाल, हरी सब्जियां, पनीर आदि दें. स्क्रीन टाइम घटाएं, इसका टाइम फिक्स करें. बच्चों को योगा सिखाएं, नृत्य करवाएं, स्कूलिंग की कमी पूरी करवाएं, माताएं अपने बच्चों को रसोई में काम करवाएं. इससे बच्चे मनोविकार से बचेंगे.

चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 पर दें सूचना...

राजस्थान बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल का कहना है कि कोरोना के कारण बालश्रम के केस बढ़ने की संभावना है. ऐसे में चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर फोन कर सूचना दे सकते हैं. जिला विधिक सेवा प्रधिकरण को सूचना दे सकते हैं. यहां पर आप का नाम गोपनीय रखा जाता है. सभी जिलों में बाल कल्याण समिति से भी लगातार संपर्क में रहा जा सकता है.

यहां किया जा रहा प्रसारण

गौरतलब है कि रेड अलर्ट पखवाड़ा अवधि में कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत अलवर पुलिस, यूनिसेफ, राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग, सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी, राजीविका-ग्रामीण विकास विभाग, राजस्थान सरकार, जिला प्रशासन अलवर, एलएआरसी एवं संप्रीति संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में जारी ऑनलाइन चिकित्सक संवाद श्रृंखला में 'पूछें डॉक्टर से' के अंतर्गत वेबिनार अलवर पुलिस के अधिकृत सोशल मीडिया फेसबुक हैंडल और सुरक्षा संवाद श्रृंखला के यूट्यूब चैनल पर लाइव प्रसारित किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त इसका सीधा प्रसारण आरएससीपीसीआर, एसपीयूपी, जोधपुर पुलिस आदि के सोशल मीडिया हैंडल पर भी किया जा रहा है.

जयपुर. बच्चों को कोरोना हो जाए तो घबराना नहीं है. इलाज करवाएं, सेल्फ मेडिकेशन नहीं करवाएं. किसी भी प्रकार का टेस्ट बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं करवाएं. सीटी स्कैन नहीं करवाएं. बच्चों में कॉम्पलीकेशन और डेथ रेट 1 फीसदी होती है. यह कहना है बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एसडी शर्मा का.

सेल्फ मेडिकेशन न करें

पढ़ें- राजनाथ सिंह और डॉ. हर्षवर्धन ने लॉन्च की DRDO की एंटी कोरोना दवा 2DG

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल का कहना है कि बच्चों के साथ समय बिताएं, जो माता-पिता बच्चों के साथ समय नहीं बिता पा रहे थे वे बच्चों के साथ समय बिताएं. इस लॉकडाउन में बच्चों का टाइम टेबल सेट करना अति आवश्यक है.

ऑनलाइन संवाद सत्र के बारे में बताते हुए बाल आयोग की अध्यक्षा ने बताया कि बाल अधिकारों एवं उनकी सुरक्षा के प्रति बाल आयोग सदैव तत्पर है. कोरोना काल में इसी क्रम में घर बैठे सही स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी देने हेतु बाल आयोग की सहभागियों की संयुक्त पहल 'पूछें डॉक्टर से' स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाने में अहम भागीदारी निभा रहा है.

गौरतलब है कि 'पूछे डॉक्टर से' के 14वें सत्र में एसएमएस मेडिकल कॉलेज एवं जेके लोन अस्पताल, जयपुर पूर्व अधीक्षक एवं विभागाध्यक्ष, बाल-शिशु रोग एवं नियोनेटोलॉजी विभाग डॉ. एसडी शर्मा और राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल जनता से जुड़ी.

इडियट सिन्ड्रोम से बचें...

डॉ. एसडी शर्मा ने कहा कि आज के समय में सबसे ज्यादा जरूरी इडियट सिन्ड्रोम (IDIOT syndrome) से बचना है. जो इंटरनेट से ज्ञान से लेकर खुद का इलाज शुरू कर देते हैं, उसे इडियट सिन्ड्रोम (Internet Derived Information Obstruction Treatment) कहते हैं. उन्होंने कहा कि एचआरसीटी (HRCT) में एक्स-रे से ज्यादा रेडिएशन होता है, जो बच्चों के लिए नुकसानदायक है. इसमें बच्चा डर जाता है. उन्होंने कहा कि बच्चे नहीं समझते हैं कि कोरोना क्या होता है और यह महामारी क्या है. बच्चों में मानसिक तनाव पैदा होने लगा है, जिसका अभिभावकों को ध्यान रखना है.

पढ़ें- नागौर के शिशु गृह में दो से ढाई माह के दो बच्चे पाए गए कोरोना पॉजिटिव, बाल आयोग ने लिया संज्ञान

शर्मा ने कहा कि बच्चे को मास्क पहनाना भी कठिन कार्य है. इससे बचने के लिए घर में बड़े लोगों को कोरोना गाइडलाइन की पालना करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोरोना में 'ए सिम्टोमेटिक' एक टर्म है, जिसमें कोई लक्षण नहीं होता है. घर में किसी बड़े को कोरोना है तो 24 घंटे मास्क लगा कर रखें.

एमएससी सिन्ड्रोम के लक्षण

कुछ बच्चे एमएससी सिन्ड्रोम (MSC syndrome) से ग्रसित होने लगे हैं. यह सिन्ड्रोम कोरोना से संबंधित है. यह 1-19 साल के बच्चों में होता है. 48 से 72 घंटे का बुखार इसके लक्षण हैं. हांफने लग जाना, पेट फूल जाना, पीलिया हो जाना, दौरे आना, बेहोशी आना इत्यादि भी इसका लक्षण है. यह नया सिन्ड्रोम है.

सेल्फ मेडिकेशन न करें

उन्होंने कहा कि मदर को कोरोना है तो भी बच्चे को मां का दूध पिलाना जारी रखें. सेल्फ मेडिकेशन (Self Medication) न करें, उससे नुकसान ज्यादा है. डॉक्टर की सलाह जरूरी है. शर्मा ने कहा कि मास्क से ऑक्सीजन की कमी नहीं होती है. हर आठ घंटे में मास्क बदलें. सही प्रकार का मास्क या सर्जिकल मास्क जरूरी है. घर में किसी को कोरोना है तो सभी को मास्क लगा कर रखना जरूरी है.

नेगेटिव आने के बाद भी गाइडलाइन की पालना जरूरी

अगर घर में आइसोलेट नहीं हो सकते हैं तो संस्थागत क्वॉरेंटाइन सेंटर में जा कर आइसोलेट हो सकते हैं. लोगों में भ्रांति है कोरोना पॉजिटिव होने के बाद जब वे नेगेटिव हो जाएंगे तो उन्हें कुछ नहीं होगा. नेगेटिव आने के बाद भी कोरोना गाइडलाइन की पालना करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बच्चों को बचाना है तो बड़ों को सजग रहना होगा.

बच्चों का ऐसे रखें ध्यान

एसडी शर्मा ने कहा कि एयरबोर्न बच्चों के लिए खतरे की घंटी है. बच्चा संक्रमित है और उसे घर में रखें तो दाल, हरी सब्जियां, पनीर आदि दें. स्क्रीन टाइम घटाएं, इसका टाइम फिक्स करें. बच्चों को योगा सिखाएं, नृत्य करवाएं, स्कूलिंग की कमी पूरी करवाएं, माताएं अपने बच्चों को रसोई में काम करवाएं. इससे बच्चे मनोविकार से बचेंगे.

चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 पर दें सूचना...

राजस्थान बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल का कहना है कि कोरोना के कारण बालश्रम के केस बढ़ने की संभावना है. ऐसे में चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर फोन कर सूचना दे सकते हैं. जिला विधिक सेवा प्रधिकरण को सूचना दे सकते हैं. यहां पर आप का नाम गोपनीय रखा जाता है. सभी जिलों में बाल कल्याण समिति से भी लगातार संपर्क में रहा जा सकता है.

यहां किया जा रहा प्रसारण

गौरतलब है कि रेड अलर्ट पखवाड़ा अवधि में कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत अलवर पुलिस, यूनिसेफ, राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग, सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी, राजीविका-ग्रामीण विकास विभाग, राजस्थान सरकार, जिला प्रशासन अलवर, एलएआरसी एवं संप्रीति संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में जारी ऑनलाइन चिकित्सक संवाद श्रृंखला में 'पूछें डॉक्टर से' के अंतर्गत वेबिनार अलवर पुलिस के अधिकृत सोशल मीडिया फेसबुक हैंडल और सुरक्षा संवाद श्रृंखला के यूट्यूब चैनल पर लाइव प्रसारित किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त इसका सीधा प्रसारण आरएससीपीसीआर, एसपीयूपी, जोधपुर पुलिस आदि के सोशल मीडिया हैंडल पर भी किया जा रहा है.

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