जयपुर. राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी 'स्वास्थ्य का अधिकार' कानून के विभिन्न आयामों को लेकर शुक्रवार को विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों ने चर्चा की और प्रस्तावित स्वास्थ्य का अधिकार कानून के विभिन्न आयामों पर चर्चा की गई. आज की चर्चा में जो महत्वपूर्ण बातें निकालकर सामने आएंगी उन्हें सरकार के साथ साझा किया जाएगा. स्वयंसेवी संगठन जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान की ओर से 'कैसा हो राजस्थान का स्वास्थ्य का अधिकार कानून' विषय पर राज्य स्तरीय संवाद का आयोजन किया गया.
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. मालती गुप्ता ने की. इसके अलावा डॉ. नरेंद्र गुप्ता, डॉ. विशाल सिंह, डॉ. पीआर सोढानी, डॉ. पवित्र मोहन, संजय शर्मा और डॉ. मोनिका चौधरी इस कार्यक्रम में वक्ता थे.
जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान की छाया पचौली का कहना है कि चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में स्वास्थ्य का अधिकार कानून लागू करने की बात कही थी. इस पर अब सरकार ने काम भी शुरू कर दिया है. इस साल बजट घोषणा में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वास्थ्य का अधिकार कानून लागू करने का एलान किया है.
हालांकि, जनस्वास्थ्य अभियान राजस्थान सरकार को पहले ही इस कानून का ड्राफ्ट भेज चुका है. बीते एक साल में कोरोना संक्रमण खतरे के कारण इसकी प्रक्रिया धीमी हुई है. लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आज इस कानून की प्रासंगिकता ज्यादा है. इसलिए आज इस विषय पर राज्य स्तरीय संवाद का आयोजन किया गया है.
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इसमें इस बात पर चर्चा की गई कि यह बिल कैसा होना चाहिए. इस संवाद में चर्चा की गई कि लोगों को उनके घर के नजदीक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया होनी चाहिए यह सुनिश्चित करना चाहिए. दूसरी अहम बात यह है कि स्वास्थ्य के जो मानक हैं, वो तय होने चाहिए. जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्या-क्या सुविधाएं होनी चाहिए.
उनका कहना है कि इसके साथ ही एक मजबूत शिकायत व्यवस्था की भी व्यवस्था होनी चाहिए. ताकि यदि किसी को समुचित स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं मिले तो उसके लिए एक ऐसा प्लेटफार्म होना चाहिए. जहां शिकायत की जा सके. उनका कहना है कि रोगियों के जो अधिकार हैं. उनको लेकर भी इस कानून में बहुत ज्यादा स्पष्टता की जरूरत है.