जयपुर. कोरोना से सावधानी जरूरी है, डरकर इसका इलाज नहीं लिया जा सकता है. ईटीवी भारत राजस्थान पर आयोजित विशेष परिचर्चा में सीनियर कार्डियोलोजिस्ट डॉक्टर अशोक गर्ग और कन्सलटेंट फिजिशियन डॉक्टर विपुल खण्डेलवाल ने कोविड-19 महामारी के दौर में जारी अफवाह और इलाज में बरती जानी वाली एहतियात पर अपनी बात रखी. दोनों चिकित्सकों ने इस दौरान सोशल मीडिया के जरिए बताए जाने वाले इलाज के नुस्खों की जगह पारिवारिक चिकित्सक या फिर नजदीकी डॉक्टर से मशवरे की बात कही.
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उन्होंने कहा कि ये देखा जा रहा है कि लोग हाल में कैसे पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद अस्पतालों का रुख कर रहे हैं, जबकि उन्हें इस सिलसिले में सावधानी रखे जाने की जरूरत है. घर पर रहकर भी 'ए' सिम्पमेटिक यानि सामान्य लक्षणों वाले मरीज का इलाज किया जा सकता है. इससे ये फायदा होगा कि अस्पतालों पर दबाव कम होगा और जरूरतमंद मरीज को वक्त पर सही इलाज मिलने में आसानी होगी.
ऑक्सीजन का स्तर जांचें, परेशान ना हो
डॉक्टर विपुल खंडेलवाल ने बताया कि कोरोना ग्रसित मरीज आमतौर पर परेशान होकर ये कहते हैं कि ऑक्सीजन का स्तर शरीर में कम हो रहा है, ऐसे में अस्पताल जाकर ही इलाज मिल सकता है ये बात पूरी तरह सहीं नही है. उन्होंने कहा कि बाजार में मिलने वाले ऑक्सी पल्स मीटर के जरिए घर पर रहकर भी शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई की मात्रा का पता लगाया जा सकता है. इसके लिए किसी भी अंगुली में ऑक्सीमीटर लगाकर कम से कम एक मिनट तक इंतजार करना चाहिए.
अगर ऑक्सीजन की मात्रा 95 से कम दर्शाई जाती है तो चिकित्सक के परामर्श के मुताबिक इलाज लेना चाहिए. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि घर पर ऑक्सीजन सिलेण्डर रखना या फिर इसके लिए प्रयास करना पूरी तरह से देश विरोधी सोच है क्योंकि वर्तमान में गंभीर मरीजों की इसकी जरूरत है और देश सेवा के लिए सभी को इस बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए.
रेमडेसिविर नहीं है रामबाण कोरोना इलाज
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के व्यापक होने के साथ ही सोशल मीडिया पर जीवनरक्षक दवा के रूप में पहचानी जानी वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर जारी भ्रामक प्रचार को डॉक्टर अशोक गर्ग ने सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने एम्स की मौजूदा रिसर्च का हवाला देते हुए बताया कि कोरोना के इलाज में रेमडेसिविर की भूमिका को मेडिकल वर्ल्ड ने पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है. इसलिए फिलहाल इसे अचूक दवा के रूप में इस्तेमाल करना किसी अन्य बीमारी को शरीर में न्यौता दिए जाने के समान साबित हो सकता है.
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इसलिए बिना किसी चिकित्सीय परामर्श के इस दवा का इस्तेमाल किए जाने से बचना चाहिए. उन्होंने स्टेरॉयड्स को लेकर भी अपनी बात कही और बताया कि किसी भी हालत में विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लिए बिना वायरल हो रहे इलाज के तरीकों से बचने की कोशिश करनी चाहिए. कोविड-19 का इलाज घर पर रहकर सावधानी बरतकर और सतर्कता से हो सकता है.
ईटीवी भारत की इस चर्चा के दौरान दोनों चिकित्सकों ने अपील की है कि सभी लोग देश में जारी वैक्सीनेशन कार्यक्रम का हिस्सा बनें और टीकाकरण को लेकर जारी भ्रामक प्रचार से दूर रहे. कोविड-19 से बचने के लिए देश में तैयार की गई दोनों वैक्सीन किसी भी हालत में इस बीमारी से बढ़ने वाली मृत्यु दर पर अंकुश लगाने में कारगर है. इसके साथ ही मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना की जानी चाहिए.