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Discom MD Posts Vacant in Rajasthan : पहली बार जयपुर-अजमेर और जोधपुर डिस्कॉम MD पद खाली, तेज हुई लॉबिंग...निर्णय में देरी से अटके यह काम

प्रदेश में सरकारी क्षेत्र की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में प्रबंध निदेशक के पद (Discom MD Posts Vacant in Rajasthan) खाली चल रहे हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब तीनों कंपनियों में एक साथ यह पद रिक्त हो और राज्य सरकार के पद बढ़ाने या नए व्यक्ति को जिम्मेदारी देने में इतना समय लगा हो. निर्णय में देरी से तीनों ही डिस्कॉम में कई बड़े काम प्रभावित होना तय है. बावजूद इसके, सरकार के स्तर पर इन नियुक्तियों में लगातार देरी हो रही है.

Discom MD Posts Vacant in Rajasthan
पहली बार जयपुर-अजमेर और जोधपुर डिस्कॉम MD पद खाली
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Published : Feb 17, 2022, 6:48 PM IST

जयपुर. राजस्थान में विद्युत वितरण कंपनियों में प्रबंध निदेशक के पद पर नियुक्तियों को लेकर सरकार की ओर से देरी के कारण कई बड़े कार्य प्रभावित होंगे. बावजूद इसके, ऐसी स्थिति बनी हुई है. सबसे पहले 28 जनवरी को जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक का पद खाली हुआ. इस पद पर नवीन अरोड़ा का 1 वर्ष का कार्यकाल पूरा हुआ, लेकिन अब तक न तो अरोड़ा का कार्यकाल आगे बढ़ाया गया और न ही नया प्रबंध निदेशक नियुक्त किया.

इसके बाद 14 फरवरी को जोधपुर डिस्कॉम एमडी अविनाश सिंह का भी कार्यकाल खत्म हो गया और फिर 15 फरवरी को अजमेर डिस्कॉम एमडी रहे वीएस भाटी का कार्यकाल खत्म हो गया. लेकिन सरकार ने अब तक (Discom MD Appointment in Gehlot Government) तीनों ही डिस्कॉम में एमडी पद को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया.

पहली बार जयपुर-अजमेर और जोधपुर डिस्कॉम MD पद खाली

वीएस भाटी और अविनाश सिंघवी का पूर्व में बढ़ चुका है कार्यकाल, लेकिन अब नए आदेश का इंतजार : जयपुर डिस्कॉम एमडी नवीन अरोड़ा 1 साल ही इस पद पर काम करने का मौका मिला, लेकिन जोधपुर डिस्कॉम एमडी रहे अविनाश सिंघवी का कार्यकाल सरकार ने 3 बार बढ़ाया था. वहीं, अजमेर डिस्कॉम एमडी वीएस भाटी का कार्यकाल भी सरकार ने दो बार बढ़ाया था. अब तीनों ही डिस्कॉम में यह पद खाली चल रहे हैं, लेकिन बिजली कंपनियों से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों की निगाहें इस बात पर टिकी है कि सरकार इन पदों पर निवर्तमान एमडी का कार्यकाल आगे बढ़ाएगी या फिर नए अधिकारी को मौका मिलेगा.

पढ़ें : संकट में डिस्कॉम : नए सामान की खरीद पर 3 महीने रोक, सरकार पर भी सब्सिडी के करोड़ों रुपए बकाया

लॉबिंग में जुटे हैं कई टेक्नोक्रेट, जल्द निर्णय के आसार : सरकार ने इन तीनों ही कंपनियों में पिछले कुछ सालों से प्रशासनिक अधिकारियों के बजाय बिजली क्षेत्र में काम का अनुभव रखने वाले रिटायर्ड अधिकारियों को ही मौका दिया है. यही कारण है कि तीनों ही डिस्कॉम में खाली चल रहे एमडी पद पर नियुक्ति के लिए बिजली विभाग से जुड़े कई रिटायर्ड टेक्नोक्रेट राजनेताओं की लॉबिंग करवाने में जुटे हैं. बताया जा रहा है कि सरकार के स्तर पर जल्द ही इस संबंध में निर्णय लिया जा सकता है.

पढे़ं : डिस्कॉम में तकनीकी सहायक तृतीय के 1512 पदों पर होगी भर्ती, आवेदन पत्र आमंत्रित

निर्णय में देरी से अटकेगा डिस्कॉम में यह काम : विद्युत वितरण कंपनियों में प्रबंध निदेशक पद काफी महत्वपूर्ण होता है. कंपनियों के अधीन आने वाले (Power Supply Condition in Rajasthan) जिलों में बिजली सप्लाई गुणवत्ता और मेंटेनेंस संबंधी कामों की सीधी मॉनिटरिंग यही अधिकारी करते हैं. इसके अलावा सेटेलमेंट से जुड़े बड़े फैसले एमडी की अध्यक्षता में गठित कमेटी में ही लिए जाते हैं. इसके अलावा डिस्कॉम में 50 लाख या उससे अधिक से जुड़े वित्तीय निर्णय में प्रबंध निदेशक के हस्ताक्षर और सहमति जरूरी होता है.

वित्तीय वर्ष के अंतिम समय में रेवेन्यू वसूली टारगेट भी होगा प्रभावित : कंपनियों का वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है और फरवरी और मार्च का महीना कंपनियों के बकाया वसूली से जुड़े टारगेट पूरे करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. वर्तमान में तीनों ही कंपनियों में एमडी पद खाली चल रहे हैं. ऐसे में तीनों डिस्कॉम के मार्च तक रेवेन्यू वसूली के पूर्व निर्धारित लक्ष्यों पर इसका सीधा असर पड़ना तय है. वो इसलिए क्योंकि रेवेन्यू वसूली के टारगेट से कार्यों की मॉनिटरिंग काजिमा एमडी के कंधों पर ही रहता है.

जयपुर. राजस्थान में विद्युत वितरण कंपनियों में प्रबंध निदेशक के पद पर नियुक्तियों को लेकर सरकार की ओर से देरी के कारण कई बड़े कार्य प्रभावित होंगे. बावजूद इसके, ऐसी स्थिति बनी हुई है. सबसे पहले 28 जनवरी को जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक का पद खाली हुआ. इस पद पर नवीन अरोड़ा का 1 वर्ष का कार्यकाल पूरा हुआ, लेकिन अब तक न तो अरोड़ा का कार्यकाल आगे बढ़ाया गया और न ही नया प्रबंध निदेशक नियुक्त किया.

इसके बाद 14 फरवरी को जोधपुर डिस्कॉम एमडी अविनाश सिंह का भी कार्यकाल खत्म हो गया और फिर 15 फरवरी को अजमेर डिस्कॉम एमडी रहे वीएस भाटी का कार्यकाल खत्म हो गया. लेकिन सरकार ने अब तक (Discom MD Appointment in Gehlot Government) तीनों ही डिस्कॉम में एमडी पद को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया.

पहली बार जयपुर-अजमेर और जोधपुर डिस्कॉम MD पद खाली

वीएस भाटी और अविनाश सिंघवी का पूर्व में बढ़ चुका है कार्यकाल, लेकिन अब नए आदेश का इंतजार : जयपुर डिस्कॉम एमडी नवीन अरोड़ा 1 साल ही इस पद पर काम करने का मौका मिला, लेकिन जोधपुर डिस्कॉम एमडी रहे अविनाश सिंघवी का कार्यकाल सरकार ने 3 बार बढ़ाया था. वहीं, अजमेर डिस्कॉम एमडी वीएस भाटी का कार्यकाल भी सरकार ने दो बार बढ़ाया था. अब तीनों ही डिस्कॉम में यह पद खाली चल रहे हैं, लेकिन बिजली कंपनियों से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों की निगाहें इस बात पर टिकी है कि सरकार इन पदों पर निवर्तमान एमडी का कार्यकाल आगे बढ़ाएगी या फिर नए अधिकारी को मौका मिलेगा.

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लॉबिंग में जुटे हैं कई टेक्नोक्रेट, जल्द निर्णय के आसार : सरकार ने इन तीनों ही कंपनियों में पिछले कुछ सालों से प्रशासनिक अधिकारियों के बजाय बिजली क्षेत्र में काम का अनुभव रखने वाले रिटायर्ड अधिकारियों को ही मौका दिया है. यही कारण है कि तीनों ही डिस्कॉम में खाली चल रहे एमडी पद पर नियुक्ति के लिए बिजली विभाग से जुड़े कई रिटायर्ड टेक्नोक्रेट राजनेताओं की लॉबिंग करवाने में जुटे हैं. बताया जा रहा है कि सरकार के स्तर पर जल्द ही इस संबंध में निर्णय लिया जा सकता है.

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निर्णय में देरी से अटकेगा डिस्कॉम में यह काम : विद्युत वितरण कंपनियों में प्रबंध निदेशक पद काफी महत्वपूर्ण होता है. कंपनियों के अधीन आने वाले (Power Supply Condition in Rajasthan) जिलों में बिजली सप्लाई गुणवत्ता और मेंटेनेंस संबंधी कामों की सीधी मॉनिटरिंग यही अधिकारी करते हैं. इसके अलावा सेटेलमेंट से जुड़े बड़े फैसले एमडी की अध्यक्षता में गठित कमेटी में ही लिए जाते हैं. इसके अलावा डिस्कॉम में 50 लाख या उससे अधिक से जुड़े वित्तीय निर्णय में प्रबंध निदेशक के हस्ताक्षर और सहमति जरूरी होता है.

वित्तीय वर्ष के अंतिम समय में रेवेन्यू वसूली टारगेट भी होगा प्रभावित : कंपनियों का वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है और फरवरी और मार्च का महीना कंपनियों के बकाया वसूली से जुड़े टारगेट पूरे करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. वर्तमान में तीनों ही कंपनियों में एमडी पद खाली चल रहे हैं. ऐसे में तीनों डिस्कॉम के मार्च तक रेवेन्यू वसूली के पूर्व निर्धारित लक्ष्यों पर इसका सीधा असर पड़ना तय है. वो इसलिए क्योंकि रेवेन्यू वसूली के टारगेट से कार्यों की मॉनिटरिंग काजिमा एमडी के कंधों पर ही रहता है.

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