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दिव्यांग अधिवक्ताओं को नोटरी पब्लिक नियुक्ति में तीन साल अनुभव में छूट - Notary public appointment exemption

दिव्यांग वकीलों को नोटरी पब्लिक की नियुक्ति में अब अनुभव में तीन साल की छूट मिलेगी. दिव्यांग अधिवक्ताओं को अनुभव में छूट आरक्षण के लिए दिव्यांग अधिकार महासंघ ने विशेष योग्यजन न्यायालय और मानवाधिकार आयोग में भी परिवाद दाखिल किया था. विशेष योग्यजन न्यायालय ने इस संबंध में राज्य सरकार को निर्देशित किया था.

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Published : Jun 1, 2021, 10:19 PM IST

जयपुर. दिव्यांग अधिकार महासंघ् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल ने विशेष योग्यजन न्यायालय में परिवाद दाखिल किया था. जिसमें नोटरी पब्लिक के कार्य को एक जगह बैठकर करने योग्य और दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बताते हुए आरक्षण और अन्य छूट देने की गुहार की थी. जिस पर राजस्थान सरकार के विधि विभाग ने केन्द्रीय विधि विभाग को इस संबंध में अनुशंषा भेजी थी.

जिसमें नोटेरी अधिनियम 1952 एवं नोटेरी नियम 1956 के नियम 3 के तहत नोटेरी पब्लिक के पद पर नियुक्ति हेतु दिव्यांग वकीलों को अनुभव में 3 साल की छूट देने का कहा था. जिस पर केंद्रीय विधि विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. दिव्यांग वकीलों को नोटेरी पब्लिक के पद पर नियुक्ति के मामले में राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने तीन सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है.

पढ़ें- केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति में कोई बदलाव नहीं, 12 हफ्ते के गैप पर दूसरी डोज

हैल्पर के पद पर पदावनत करने पर रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने जलदाय विभाग में कार्यरत याचिकाकर्ता स्टोर मुंशी से रिकवरी करने व उसे हैल्पर के पद पर पदावनत करने पर रोक लगा दी है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश कुलदीप सिंह व अन्य की याचिकाओं पर दिए. याचिकाओं में अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पहले वर्कचार्ज कर्मचारी के पद पर नियुक्त हुए और बाद में हैल्पर के पद पर स्थाई किया गया. वह शुरू से ही स्टोर मुंशी के पद पर काम करता रहा. इस दौरान विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी ने उसे अयोग्य घोषित किया, लेकिन विभाग ने उसके कामकाज को देखते हुए उसे स्टोर मुंशी के पद पर ही नियमित कर दिया. वहीं बाद में विभाग ने स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें 30 अप्रैल 2021 को आदेश जारी कर वापस हैल्पर के पद पर पदावनत कर दिया और पूर्व में स्टोर मुंशी के पद के लिए दिए गए वेतन की रिकवरी निकाल दी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने विभाग के रिकवरी आदेश पर रोक लगाते हुए पदावनत करने पर रोक लगा दी है.

जयपुर. दिव्यांग अधिकार महासंघ् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल ने विशेष योग्यजन न्यायालय में परिवाद दाखिल किया था. जिसमें नोटरी पब्लिक के कार्य को एक जगह बैठकर करने योग्य और दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बताते हुए आरक्षण और अन्य छूट देने की गुहार की थी. जिस पर राजस्थान सरकार के विधि विभाग ने केन्द्रीय विधि विभाग को इस संबंध में अनुशंषा भेजी थी.

जिसमें नोटेरी अधिनियम 1952 एवं नोटेरी नियम 1956 के नियम 3 के तहत नोटेरी पब्लिक के पद पर नियुक्ति हेतु दिव्यांग वकीलों को अनुभव में 3 साल की छूट देने का कहा था. जिस पर केंद्रीय विधि विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. दिव्यांग वकीलों को नोटेरी पब्लिक के पद पर नियुक्ति के मामले में राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने तीन सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है.

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हैल्पर के पद पर पदावनत करने पर रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने जलदाय विभाग में कार्यरत याचिकाकर्ता स्टोर मुंशी से रिकवरी करने व उसे हैल्पर के पद पर पदावनत करने पर रोक लगा दी है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश कुलदीप सिंह व अन्य की याचिकाओं पर दिए. याचिकाओं में अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पहले वर्कचार्ज कर्मचारी के पद पर नियुक्त हुए और बाद में हैल्पर के पद पर स्थाई किया गया. वह शुरू से ही स्टोर मुंशी के पद पर काम करता रहा. इस दौरान विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी ने उसे अयोग्य घोषित किया, लेकिन विभाग ने उसके कामकाज को देखते हुए उसे स्टोर मुंशी के पद पर ही नियमित कर दिया. वहीं बाद में विभाग ने स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें 30 अप्रैल 2021 को आदेश जारी कर वापस हैल्पर के पद पर पदावनत कर दिया और पूर्व में स्टोर मुंशी के पद के लिए दिए गए वेतन की रिकवरी निकाल दी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने विभाग के रिकवरी आदेश पर रोक लगाते हुए पदावनत करने पर रोक लगा दी है.

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