जयपुर. राजस्थान में दर्ज होने वाले दुष्कर्म की प्रकरणों में पीड़ितों को जल्द न्याय दिलाने के लिए पुलिस द्वारा अनुसंधान और प्रभावी अभियोजन पर बल दिया जा रहा है. राजस्थान सरकार के निर्देशन पर पुलिस द्वारा महिलाओं एवं कमजोर वर्ग के प्रति होने वाले अत्याचारों को दर्ज कर उसका अनुसंधान तेजी के साथ किया जा रहा है. डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव के अनुसार राजस्थान में दुष्कर्म के प्रकरणों में वर्ष 2018 तक अनुसंधान का औसत समय करीब 278 दिन हुआ करता था जो अब वर्तमान में घटकर 113 दिन रह गया है.
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अनुसंधान की औसत समय को 113 दिन से भी और कम करने का प्रयास राजस्थान पुलिस द्वारा किया जा रहा है. डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव के अनुसार थानागाजी गैंगरेप प्रकरण में भी पुलिस ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अनुसंधान अधिकारी और उनकी टीम द्वारा प्रकरण में एफएसएल और साइबर सेल की सहायता से तथ्य जुटाकर त्वरित अनुसंधान की कार्रवाई की गई. थानागाजी प्रकरण में मात्र 16 दिन में अनुसंधान पूरा कर न्यायालय में पेश किया गया और किस ऑफिस में स्कीम के तहत प्रकरण में जांच की गई.
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केस ऑफिसर स्कीम के तहत न्यायालय में प्रकरण की दिन प्रतिदिन सुनवाई की गई और इस पूरे प्रकरण में 32 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए. प्रकरण में 176 दस्तावेज और 40 आर्टिकल कोर्ट के समक्ष पेश किए गए, जिसमें न्यायालय द्वारा गैंगरेप की चार दोषियों छोटेलाल, हंसराज, अशोक कुमार और इंद्रजीत को आजीवन कठोर कारावास और 1-1 लाख रुपए के आर्थिक दंड से दंडित किया गया है. इसके साथ ही वीडियो और फोटो वायरल करने में दोषी पाए गए मुकेश को 5 साल के कठोर कारावास की सजा के साथ ही 50 हजार रुपए के आर्थिक दंड से दंडित किया गया है.