ETV Bharat / city

SPECIAL: लॉकडाउन के बाद मंदिरों में ऑनलाइन दान करने में भक्तों की नहीं रही 'आस्था'

देश में फैले कोरोना संक्रमण के कारण सरकार ने सभी मंदिर परिसरों पर ताला जड़ रखा है. जिसके चलते भक्त भगवान के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. वहीं लॉकडाउन के कारण मंदिरों की दान पेटी में चढ़ावा भी नहीं आ रहा है. देखिए जयपुर से ये स्पेशल रिपोर्ट..

राजस्थान न्यूज, Jaipur news
लॉकडाउन के कारण भक्त ऑनलाइन चढ़ावे में नहीं दिखा रहे आस्था
author img

By

Published : Jul 19, 2020, 2:38 PM IST

जयपुर. कोरोना महामारी के चलते राजस्थान में बड़े मंदिरों के द्वार अभी भी बंद हैं. ऐसे में भक्त अपने आराध्य के दर्शन से वंचित है. हालांकि ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन ऑनलाइन दान यानी की ई-भुगतान में भक्तों की आस्था नहीं दिख रही है, क्योंकि मंदिरों के पट बंद होने से बिना भक्तों के दान पेटी में चढ़ावा नहीं आ रहा. वहीं, दूसरी ओर देवस्थान विभाग की ओर से ई-भुगतान में भी भक्त रुचि नहीं दिखा रहे हैं.

बदलते समय के साथ-साथ परंपरा में हुआ बदलाव, अब भक्तों को नहीं आ रहा रास

कोरोना से पहले ई-भुगतान के जरिए लाखों रुपए की भेंट भगवान को चढ़ाने वाले भक्तों की संख्या अपार थी, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद भगवान के चरणों में ऑनलाइन दान करने वालों की संख्या सिर्फ और सिर्फ 2 हो गई है, यानी कि लॉकडाउन के बाद सिर्फ 2 भक्तों ने ही ई-भुगतान के जरिए मंदिरों में दान राशि भेंट की है और वो भी 252 रुपए.

लॉकडाउन के कारण भक्त ऑनलाइन चढ़ावे में नहीं दिखा रहे आस्था

कोविड-19 के खौफ में राजस्थान में भगवान के नाम पर ऑनलाइन दान करने वाले भक्तों की संख्या बिल्कुल ही कम हो गई है. डेढ़ साल पहले शुरू की गई योजना भक्तों की आस्था नहीं बढ़ा पाई है. पहले जहां भक्तों को भगवान के दरबार में जाकर भेंट चढ़ाने वाले दिन का इंतजार करना पड़ता था. वहीं, अब भक्त जब इच्छा हो तब ही भुगतान से पलक झपकते ही भगवान को भेंट अर्पित कर देते हैं, लेकिन लॉकडाउन के बाद सिर्फ 2 भक्तों ने ही ई-भुगतान से भेंट अर्पित की. जिसके तहत इंदौर निवासी रमेश चौहान नाम के भक्त ने मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के खाते में धमार्थ आरती में 4 अप्रैल 2020 को 151 रुपए ऑनलाइन दान किया. तो वहीं तरुण शर्मा नाम के श्रदालु ने सालासर हनुमान मंदिर में विविध दान के प्रयोजन के तहत 1 अप्रैल को 101 रुपए ई-भुगतान किया.

कोविड-19 में दान करने वाले भक्तों की संख्या-

ई-भुगतान (रु) नकद (रु) दान पेटी कुल

ई-भुगतान (रु)नकद (रु)दान पेटीकुल
अप्रैल252 0 0252
मई 252000
जून 0000
इस माह0000
इस साल141910014191
अब तक122923200110301679624714

देवस्थान विभाग की सूची में अभी केवल राजस्थान के 24 प्रमुख मंदिर तीर्थ स्थलों के अलावा 34 देवी-देवताओं को शामिल किया गया है. इन्हीं मंदिरों में ई-भुगतान किया और शुरू में तो इस योजना को भक्त रिस्पांस अच्छा दे रहे थे, लेकिन कोरोना संकटकाल के बाद मंदिरों के बंद होने के साथ साथ अब ई-भुगतान में भी भक्तों की आस्था कम हो गई. यही वजह है कि लॉकडाउन के बाद अप्रैल-मई-जून और जुलाई में अब तक सिर्फ 2 भक्तों ने ई-भुगतान के जरिए दान दिया.

पढ़ें- देवस्थान विभाग के मंदिरों में सेवादारों के भरोसे ठाकुरजी, 2 माह से नहीं मिली भोग सामग्री

मनोकामना के लिए भक्तों को अपने आराध्य समुख जाकर चरणों में भेंट चढ़ाना अब बीते जमाने की बात हो गई है. क्योंकि अब भक्त भगवान के चरणों में या दान पेटी में नहीं सीधे भगवान के खाते में भेंट जमा करवा सकते है, लेकिन कोरोना महामारी के बीच आई आर्थिक तंगी ने भगवान के खाते में जाने वाली राशि पर भी ग्रहण लगा दिया है. ऐसे में देवस्थान विभाग को एक ही उम्मीद है कि कोरोना काल खत्म हो तो ऑनलाइन भगवान के खाते के चढ़ावे में तेजी आए.

जयपुर. कोरोना महामारी के चलते राजस्थान में बड़े मंदिरों के द्वार अभी भी बंद हैं. ऐसे में भक्त अपने आराध्य के दर्शन से वंचित है. हालांकि ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन ऑनलाइन दान यानी की ई-भुगतान में भक्तों की आस्था नहीं दिख रही है, क्योंकि मंदिरों के पट बंद होने से बिना भक्तों के दान पेटी में चढ़ावा नहीं आ रहा. वहीं, दूसरी ओर देवस्थान विभाग की ओर से ई-भुगतान में भी भक्त रुचि नहीं दिखा रहे हैं.

बदलते समय के साथ-साथ परंपरा में हुआ बदलाव, अब भक्तों को नहीं आ रहा रास

कोरोना से पहले ई-भुगतान के जरिए लाखों रुपए की भेंट भगवान को चढ़ाने वाले भक्तों की संख्या अपार थी, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद भगवान के चरणों में ऑनलाइन दान करने वालों की संख्या सिर्फ और सिर्फ 2 हो गई है, यानी कि लॉकडाउन के बाद सिर्फ 2 भक्तों ने ही ई-भुगतान के जरिए मंदिरों में दान राशि भेंट की है और वो भी 252 रुपए.

लॉकडाउन के कारण भक्त ऑनलाइन चढ़ावे में नहीं दिखा रहे आस्था

कोविड-19 के खौफ में राजस्थान में भगवान के नाम पर ऑनलाइन दान करने वाले भक्तों की संख्या बिल्कुल ही कम हो गई है. डेढ़ साल पहले शुरू की गई योजना भक्तों की आस्था नहीं बढ़ा पाई है. पहले जहां भक्तों को भगवान के दरबार में जाकर भेंट चढ़ाने वाले दिन का इंतजार करना पड़ता था. वहीं, अब भक्त जब इच्छा हो तब ही भुगतान से पलक झपकते ही भगवान को भेंट अर्पित कर देते हैं, लेकिन लॉकडाउन के बाद सिर्फ 2 भक्तों ने ही ई-भुगतान से भेंट अर्पित की. जिसके तहत इंदौर निवासी रमेश चौहान नाम के भक्त ने मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के खाते में धमार्थ आरती में 4 अप्रैल 2020 को 151 रुपए ऑनलाइन दान किया. तो वहीं तरुण शर्मा नाम के श्रदालु ने सालासर हनुमान मंदिर में विविध दान के प्रयोजन के तहत 1 अप्रैल को 101 रुपए ई-भुगतान किया.

कोविड-19 में दान करने वाले भक्तों की संख्या-

ई-भुगतान (रु) नकद (रु) दान पेटी कुल

ई-भुगतान (रु)नकद (रु)दान पेटीकुल
अप्रैल252 0 0252
मई 252000
जून 0000
इस माह0000
इस साल141910014191
अब तक122923200110301679624714

देवस्थान विभाग की सूची में अभी केवल राजस्थान के 24 प्रमुख मंदिर तीर्थ स्थलों के अलावा 34 देवी-देवताओं को शामिल किया गया है. इन्हीं मंदिरों में ई-भुगतान किया और शुरू में तो इस योजना को भक्त रिस्पांस अच्छा दे रहे थे, लेकिन कोरोना संकटकाल के बाद मंदिरों के बंद होने के साथ साथ अब ई-भुगतान में भी भक्तों की आस्था कम हो गई. यही वजह है कि लॉकडाउन के बाद अप्रैल-मई-जून और जुलाई में अब तक सिर्फ 2 भक्तों ने ई-भुगतान के जरिए दान दिया.

पढ़ें- देवस्थान विभाग के मंदिरों में सेवादारों के भरोसे ठाकुरजी, 2 माह से नहीं मिली भोग सामग्री

मनोकामना के लिए भक्तों को अपने आराध्य समुख जाकर चरणों में भेंट चढ़ाना अब बीते जमाने की बात हो गई है. क्योंकि अब भक्त भगवान के चरणों में या दान पेटी में नहीं सीधे भगवान के खाते में भेंट जमा करवा सकते है, लेकिन कोरोना महामारी के बीच आई आर्थिक तंगी ने भगवान के खाते में जाने वाली राशि पर भी ग्रहण लगा दिया है. ऐसे में देवस्थान विभाग को एक ही उम्मीद है कि कोरोना काल खत्म हो तो ऑनलाइन भगवान के खाते के चढ़ावे में तेजी आए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.