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संक्रमण पर नियंत्रण के लिए शनिवार, रविवार को शुरू करें लाॅकडाउन -देवनानी

शुक्रवार को विधान सभा में कोविड 19 को लेकर चर्चा हो रही थी. जिसमें अजमेर उत्तर विधायक और पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने राज्य सरकार को कई तरह के सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. जिसको देखते हुए रविवार और शनिवार को लॉकडाउन घोषित करना चाहिए.

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देवनानी बोले सरकार को रविवार और शनिवार को लगाना चाहिए लॉकडाउन
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Published : Aug 22, 2020, 1:03 AM IST

जयपुर. अजमेर उत्तर विधायक और पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि प्रदेश में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए प्रत्येक शनिवार और रविवार को लॉकडाउन शुरू किया जाए.

देवनानी ने शुक्रवार को विधान सभा में कोविड-19 पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है और बचाव हेतु आवश्यक गाइडलाइन की पालना नहीं हो रही है. चूंकि शनिवार और रविवार को सरकारी कार्यालय बंद रहते है और अधिकांश निजी संस्थानों में भी अवकाश रहता है इसलिए अस्पतालों को छोड़कर सप्ताह में इन दो दिन के लिए लॉकडाउन शुरू करना चाहिए.

देवनानी बोले सरकार को रविवार और शनिवार को लगाना चाहिए लॉकडाउन

देवनानी ने अजमेर के JLN हॉस्पिटल की अव्यवस्थाओं का मामला उठाते हुए कहा कि यदि चिकित्सा मंत्री जी उनके गृह जिले में स्थित इस हॉस्पिटल के अचानक निरीक्षण पर चले जाए तो पता चलेगा कि वहां पर मरीज बीमारी से तो नहीं लेकिन व्याप्त अव्यवस्थाओं से मर जाए. आइसोलेशन वार्ड जहां पर कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती है वहां के टॉयलेट इतने गन्दे है कि उनमें अन्दर घुसना ही मुश्किल है. सीनियर डॉक्टर तो छोड़ों रेजीडेन्ट डॉक्टर तक वार्ड में जाकर मरीजों को नहीं सम्भालते. नर्सिंगकर्मियों और वार्ड बॉय के हाथों दवाईयां मरीज के सामने खिसका दी जाती है.

पढ़ें- कोरोना पर चर्चा के लिए विधानसभा सत्र बुलाया, लेकिन मुंह छिपाकर भागती रही सरकार: सतीश पूनिया

उन्होंने JLN में व्याप्त अव्यवस्थाओं का हाल सदन में रखते हुए ये भी कहा कि वहां कार्यरत नर्सिंगकर्मी बहुत मानसिक दबाव में काम कर रहे हैं. रोटेशन के आधार पर उनकी ड्यूटी नहीं बदली जा रही और वरिष्ठ और अनुभवी नर्सिंगकर्मियों को ना लगाकर नए नर्सिंगकर्मियों से लगातार ड्यूटी कराई जा रही है.

इसके अलावा चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों को पीपीई किट, एन-95 मास्क जैसे आवश्यक संसाधन भी चिकित्सालय प्रशासन की ओर से उपलबध नहीं कराए जा रहे हैं. देवनानी ने कहा कि चिकित्सा मंत्री प्रदेश में बेहतरीन चिकित्सा व्यवस्थाओं का दावा कर रहे हैं और उनके गृह जिले के हॉस्पिटल के हालात इतने बदतर हैं.

देवनानी ने सदन में निजी अस्पतालों की ओर से कोरोना के इलाज के नाम पर मनमानी और लूटपाट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वहां पर जब चाहे रिपोर्ट पॉजिटिव और जब चाहे रिपोर्ट नेगेटिव कर दी जाती है. इतना ही नहीं नेगेटिव रिपोर्ट वालों को भी पॉजिटिव बताकर इलाज के नाम पर लूटा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्थिति इतनी चिंताजनक हो गई है कि मरीज जाए तो जाए कहां. सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाओं का बुरा हाल है तो निजी में खुली लूटमार. उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 को लेकर चिकित्सा विभाग की ओर से आवश्यक संसाधनों की खरीद में भी भ्रष्टाचार दिखाई पड़ता है. चिकित्सा मंत्री चाहे तो अजमेर जिले में की गई खरीद की ही किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करा ले तो भ्रष्टाचार की पोल खुल जाएगी.

सरकार ने कोविड-19 के मरीज की व्यवस्थाओं के लिए 2 हजार 440 रुपए का प्रावधान किया, लेकिन इसमें से खर्च कितना हुआ और व्यवस्थाएं कैसी की गई सरकार को ये भी दिखवाना चाहिए. प्रशासन एक पलंग और एक चद्दर के लिए 550 रुपए दे रहा है. वहीं निजी होटलों को एक पेशेंट के लिए मात्र 238 रुपए दिए गए हैं जिसमें उनके ए.सी. का, बिजली बिल ही चुकता नहीं होता है. देवनानी ने निरोगी राजस्थान बनाने के दावें पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे हालात रहे तो रोगी राजस्थान बनने में देर नहीं लगेगी.

देवनानी ने कहा कि सरकार बार-बार ये दावा कर रही है कि लॉकडाउन में प्रदेश में कोई भूखा नहीं रहा, लेकिन ये सब तो हमारे भामाशाहों, हमारी संस्कृति जिसमें ये भावना निहित है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राशन से लेकर दी गई आर्थिक सहायता और सम्बल से ही सम्भव हो पाया है.

मोदी जी की ओर से देश के 80 करोड़ लोगों को राशन दिया जा रहा है, जबकि राज्य सरकार की अनदेखी के चलते प्रदेश का मध्यम वर्ग आज सबसे ज्यादा पीड़ित है. उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि प्रदेश में निजी स्कूलों और अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाई जाए और नहीं मानने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए. अभिभावकों को स्कूलों की ओर से फीस और किताबों आदि के लिए परेशान किया जा रहा है. शिक्षा मंत्री जी ने 3 माह की फीस स्थगित करने की घोषणा की थी, लेकिन स्कूल मेनेजमेंट का अभिभावकों पर लगातार दबाव बना हुआ है.

राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर वेट बढ़ाकर कोरोना से प्रभावित हुए काम-धंधों से त्रस्त जनता को और अधिक दुःखी कर दिया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिस प्रकार दिल्ली सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर आठ रुपए कम किए हैं, उसी प्रकार राजस्थान में क्यों नहीं किया जा सकता. देवनानी ने सरकार को ये भी सुझाव दिया कि प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने की व्यवस्था की जाए और इसके लिए उन्हें आईटीआई में आवश्यक प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाएं ताकि वे राजस्थान में ही रहकर रोजगार प्राप्त कर सके. साथ ही उनके बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाए.

उन्होंने कहा कि प्रारम्भ में सभी वार्डों, गलियों, मोहल्लों में सैनिटाइजेशन कराया जा रहा था जिसे बन्द कर दिया गया है. ये व्यवस्था फिर शुरू की जाए. वर्तमान में अधिकांश कोरोना संक्रमितों को होम आइसोलेट किया जा रहा है, लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ली जा रही. उन्होंने कहा कि यदि सरकार के पास चिकित्सीय टीम की कमी है तो होम आइसोलेट मरीजों से चिकित्सक फोन पर ही बात कर उनके स्वास्थ्य की संभाल की जा सकती है और आवश्यक परामर्श दिया जा सकता है.

पढ़ें- कोरोना को लेकर सरकार के काम के आगे निरुत्तर रहे विपक्ष के छुटभैया नेता : रघु शर्मा

इसके साथ ही उन्होंने कोरोना महामारी से प्रभावित मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए बिजली के बिलों में 4 माह का स्थाई शुल्क माफ करने की मांग भी सरकार से की. उन्होंने अस्पतालों के आइशोलेशन वार्ड में सीसी टीवी और वाई-फाई की सुविधा के साथ टीवी लगवाने की मांग भी सरकार से की.

देवनानी ने चिकित्सा मंत्री से कहा कि उन्होंने पांच माह में आकर कभी अपने गृह जिले को नहीं संभाला, कभी जनप्रतिनिधियों से नहीं मिले जबकि यहां के हालात इतने खराब हो चुके है. उन्होंने कहा कि सरकार और हमारा एक ही उद्धेश्य है कि क्षेत्र में कोई संक्रमित ना हो औऱ संक्रमण से किसी की मौत भी ना हो. सरकार को इसके लिए गंभीरतापूर्वक जरूरी कदम उठाने चाहिए.

जयपुर. अजमेर उत्तर विधायक और पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि प्रदेश में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए प्रत्येक शनिवार और रविवार को लॉकडाउन शुरू किया जाए.

देवनानी ने शुक्रवार को विधान सभा में कोविड-19 पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है और बचाव हेतु आवश्यक गाइडलाइन की पालना नहीं हो रही है. चूंकि शनिवार और रविवार को सरकारी कार्यालय बंद रहते है और अधिकांश निजी संस्थानों में भी अवकाश रहता है इसलिए अस्पतालों को छोड़कर सप्ताह में इन दो दिन के लिए लॉकडाउन शुरू करना चाहिए.

देवनानी बोले सरकार को रविवार और शनिवार को लगाना चाहिए लॉकडाउन

देवनानी ने अजमेर के JLN हॉस्पिटल की अव्यवस्थाओं का मामला उठाते हुए कहा कि यदि चिकित्सा मंत्री जी उनके गृह जिले में स्थित इस हॉस्पिटल के अचानक निरीक्षण पर चले जाए तो पता चलेगा कि वहां पर मरीज बीमारी से तो नहीं लेकिन व्याप्त अव्यवस्थाओं से मर जाए. आइसोलेशन वार्ड जहां पर कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती है वहां के टॉयलेट इतने गन्दे है कि उनमें अन्दर घुसना ही मुश्किल है. सीनियर डॉक्टर तो छोड़ों रेजीडेन्ट डॉक्टर तक वार्ड में जाकर मरीजों को नहीं सम्भालते. नर्सिंगकर्मियों और वार्ड बॉय के हाथों दवाईयां मरीज के सामने खिसका दी जाती है.

पढ़ें- कोरोना पर चर्चा के लिए विधानसभा सत्र बुलाया, लेकिन मुंह छिपाकर भागती रही सरकार: सतीश पूनिया

उन्होंने JLN में व्याप्त अव्यवस्थाओं का हाल सदन में रखते हुए ये भी कहा कि वहां कार्यरत नर्सिंगकर्मी बहुत मानसिक दबाव में काम कर रहे हैं. रोटेशन के आधार पर उनकी ड्यूटी नहीं बदली जा रही और वरिष्ठ और अनुभवी नर्सिंगकर्मियों को ना लगाकर नए नर्सिंगकर्मियों से लगातार ड्यूटी कराई जा रही है.

इसके अलावा चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों को पीपीई किट, एन-95 मास्क जैसे आवश्यक संसाधन भी चिकित्सालय प्रशासन की ओर से उपलबध नहीं कराए जा रहे हैं. देवनानी ने कहा कि चिकित्सा मंत्री प्रदेश में बेहतरीन चिकित्सा व्यवस्थाओं का दावा कर रहे हैं और उनके गृह जिले के हॉस्पिटल के हालात इतने बदतर हैं.

देवनानी ने सदन में निजी अस्पतालों की ओर से कोरोना के इलाज के नाम पर मनमानी और लूटपाट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वहां पर जब चाहे रिपोर्ट पॉजिटिव और जब चाहे रिपोर्ट नेगेटिव कर दी जाती है. इतना ही नहीं नेगेटिव रिपोर्ट वालों को भी पॉजिटिव बताकर इलाज के नाम पर लूटा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्थिति इतनी चिंताजनक हो गई है कि मरीज जाए तो जाए कहां. सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाओं का बुरा हाल है तो निजी में खुली लूटमार. उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 को लेकर चिकित्सा विभाग की ओर से आवश्यक संसाधनों की खरीद में भी भ्रष्टाचार दिखाई पड़ता है. चिकित्सा मंत्री चाहे तो अजमेर जिले में की गई खरीद की ही किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करा ले तो भ्रष्टाचार की पोल खुल जाएगी.

सरकार ने कोविड-19 के मरीज की व्यवस्थाओं के लिए 2 हजार 440 रुपए का प्रावधान किया, लेकिन इसमें से खर्च कितना हुआ और व्यवस्थाएं कैसी की गई सरकार को ये भी दिखवाना चाहिए. प्रशासन एक पलंग और एक चद्दर के लिए 550 रुपए दे रहा है. वहीं निजी होटलों को एक पेशेंट के लिए मात्र 238 रुपए दिए गए हैं जिसमें उनके ए.सी. का, बिजली बिल ही चुकता नहीं होता है. देवनानी ने निरोगी राजस्थान बनाने के दावें पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे हालात रहे तो रोगी राजस्थान बनने में देर नहीं लगेगी.

देवनानी ने कहा कि सरकार बार-बार ये दावा कर रही है कि लॉकडाउन में प्रदेश में कोई भूखा नहीं रहा, लेकिन ये सब तो हमारे भामाशाहों, हमारी संस्कृति जिसमें ये भावना निहित है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राशन से लेकर दी गई आर्थिक सहायता और सम्बल से ही सम्भव हो पाया है.

मोदी जी की ओर से देश के 80 करोड़ लोगों को राशन दिया जा रहा है, जबकि राज्य सरकार की अनदेखी के चलते प्रदेश का मध्यम वर्ग आज सबसे ज्यादा पीड़ित है. उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि प्रदेश में निजी स्कूलों और अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाई जाए और नहीं मानने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए. अभिभावकों को स्कूलों की ओर से फीस और किताबों आदि के लिए परेशान किया जा रहा है. शिक्षा मंत्री जी ने 3 माह की फीस स्थगित करने की घोषणा की थी, लेकिन स्कूल मेनेजमेंट का अभिभावकों पर लगातार दबाव बना हुआ है.

राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर वेट बढ़ाकर कोरोना से प्रभावित हुए काम-धंधों से त्रस्त जनता को और अधिक दुःखी कर दिया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिस प्रकार दिल्ली सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर आठ रुपए कम किए हैं, उसी प्रकार राजस्थान में क्यों नहीं किया जा सकता. देवनानी ने सरकार को ये भी सुझाव दिया कि प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने की व्यवस्था की जाए और इसके लिए उन्हें आईटीआई में आवश्यक प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाएं ताकि वे राजस्थान में ही रहकर रोजगार प्राप्त कर सके. साथ ही उनके बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाए.

उन्होंने कहा कि प्रारम्भ में सभी वार्डों, गलियों, मोहल्लों में सैनिटाइजेशन कराया जा रहा था जिसे बन्द कर दिया गया है. ये व्यवस्था फिर शुरू की जाए. वर्तमान में अधिकांश कोरोना संक्रमितों को होम आइसोलेट किया जा रहा है, लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ली जा रही. उन्होंने कहा कि यदि सरकार के पास चिकित्सीय टीम की कमी है तो होम आइसोलेट मरीजों से चिकित्सक फोन पर ही बात कर उनके स्वास्थ्य की संभाल की जा सकती है और आवश्यक परामर्श दिया जा सकता है.

पढ़ें- कोरोना को लेकर सरकार के काम के आगे निरुत्तर रहे विपक्ष के छुटभैया नेता : रघु शर्मा

इसके साथ ही उन्होंने कोरोना महामारी से प्रभावित मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए बिजली के बिलों में 4 माह का स्थाई शुल्क माफ करने की मांग भी सरकार से की. उन्होंने अस्पतालों के आइशोलेशन वार्ड में सीसी टीवी और वाई-फाई की सुविधा के साथ टीवी लगवाने की मांग भी सरकार से की.

देवनानी ने चिकित्सा मंत्री से कहा कि उन्होंने पांच माह में आकर कभी अपने गृह जिले को नहीं संभाला, कभी जनप्रतिनिधियों से नहीं मिले जबकि यहां के हालात इतने खराब हो चुके है. उन्होंने कहा कि सरकार और हमारा एक ही उद्धेश्य है कि क्षेत्र में कोई संक्रमित ना हो औऱ संक्रमण से किसी की मौत भी ना हो. सरकार को इसके लिए गंभीरतापूर्वक जरूरी कदम उठाने चाहिए.

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