जयपुर. पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा द्वारा सरकार के 2 साल के कार्यकाल की गिनाई उपलब्धियों को झूठ का पुलिंदा करार दिया है. देवनानी ने कहा कि सरकार ने पिछले दो सालों में शिक्षा क्षेत्र में कोई सुधार करने के बजाए शिक्षा का बंटाधार करने का कार्य किया है. देवनानी ने एक बयान जारी कर कहा कि अपनी गलतियों पर पर्दा डालते हुए नाकामियों को भी उपलब्धियों के रूप में कैसे गिनाया जा सकता है यह सरकार के शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कोई सीखें.
देवनानी ने कहा कि गत भाजपा सरकार में शिक्षा क्षेत्र में कई नवाचार हुए. इन नवाचारों के चलते ही कभी शिक्षा के मामले में बीमारू राज्य के रूप में पहचाना जाने वाले राजस्थान ने शिक्षा में टाॅप तीन प्रदेशों में स्थान पाया लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता पर काबिज होते ही एक के बाद एक इन नवाचारों पर कैंची चलाई. सरकार ने पाठयक्रम में मनमाने ढंग से काटछांट कर महापुरूषों का अपमान करने का दुस्साहस किया. स्कूलों में योग अभ्यास और भारत माता का वंदन ‘वंदे मातरम’ का नियमित वाचन बंद कराया. विद्यालयों में पूर्व राष्ट्रपति, मिसाइल मैन एवं भारत रत्न डाॅ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम का जन्म दिवस विद्यार्थी दिवस के रूप मनाने पर रोक लगा दी.
कोरोना महामारी की आड़ में नित नए बेतुक आदेश निकाल राष्ट्र निर्माता शिक्षकों को अपमानित किया गया. इस दौरान शिक्षकों की ड्यूटी मरीजों के मनोरंजन जैसे ऐसे ऐसे कार्यों मे लगाई गई जिसका शिक्षकों के मूल कार्यो से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं. आधारभूत ढांचे में कोई परिवर्तन किए बगैर हिंदी माध्यम को अंग्रेजी माध्यम कर अंग्रेजी स्कूल खोलने का होहल्ला कांग्रेस सरकार द्वारा किया गया.
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देवनानी ने कहा कि राजकीय विद्यालयों में अब तक पुस्तकें नहीं पहुंची है. सरकार द्वारा वर्तमान सत्र का कोई फैसला नहीं हुआ है जिसके चलते विद्यार्थी और अभिभावक दोनों को परेशानी का सामना करना पड रहा है. विद्यार्थी लैपटाॅप और साइकिलें मिलने के इंतजार में है. सरकार ने स्कूलों की फीस निर्धारण को लेकर कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है. भाजपा सरकार में शुरू स्कूलों के बच्चों को दूध पिलाने की योजना को बंद करने को लेकर कांग्रेस सरकार आमाद है. देवनानी ने कहा कि इतना होने के बाद भी शिक्षा मंत्री अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. केवल कागजों में दो साल की उपलब्धियां दौड रही है धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. हकीकत तो यह है कि सरकार के दो साल के कार्यकाल और उसकी कार्यशैली से प्रदेश के विद्यार्थी और अभिभावक दोनों त्रस्त है.